Read Paid Emails
Saturday, December 19, 2009
विश्वविद्यालय के शिक्षकों को यू.जी.सी. के अनुरूप छठवां वेतनमान
Labels: mp, NEWS-ALERT, UGC-POLICY
Friday, February 20, 2009
दिल्ली के जेएनयू के समान अनुदान मिलेगा सागर विवि को..
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने मप्र के डॉ0 हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय के लिए दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के समान अनुदान देना मंजूर किया गया है। आयोग का यह निर्णय सागर विवि के लिए गौरव का विषय है। यह जानकारी प्रेस को जारी विज्ञप्ति मे डॉ0 हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी प्रोफेसर अखिलेश्वर प्रसाद दुबे ने यूजीसी के उप:-सचिव डॉ0 एस जिलानी के हवाले से दी।
श्री जिलानी ने 11वीं पंचवर्षीय योजना के तहत डॉ0 हरिसिंह गौर विश्वाविद्यालय द्वारा अनुदान की मांग के लिए पेश प्रस्तावों मे से यूजीसी की जांच समिति द्वारा सिफारिश किए प्रस्तावों के आधार पर सागर विश्वविद्यालय को 40 करोड़ से अधिक का अनुदान प्राप्त होने की संभावना जताई है।
गौरतलब है कि 1 अप्रेल 2007 से शुरू हुई 11 वीं पंचवर्षीय योजना के तहत अनुदान की मांग के लिए मप्र के डॉ0 हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय द्वारा पेश किए गए प्रस्तावों की जांच करने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की सात सदस्यीय समिति तीन दिवसीय दौरे पर सागर आई हुई थी। इस समिति के संयोजक चण्डीगढ़ के पंजाब विश्वविद्यालय के कुलपति व सदस्य रूप में अमृतसर के गुरूनानक विश्वविद्यालय के भौतिकी विभाग के प्रो0 आरके बेदी, कलकत्ता विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के प्रो0 जीपी चतुर्वेदी, प्रो0 बी0 वेंकटेश्वर राव, शिक्षाविद एवं प्रख्यात विधिवेत्ता, उच्च न्यायालय आंध्र प्रदेश, हैदराबार के उस्मानिया विश्वविद्यालय के राजनीति विभाग से सेवानिवृत प्रो0 के मधूसूदन रेड्डी सहित यूजीसी के उप सचिव डॉ0 एस जिलानी, वीसी जोशी व आरके सैनी शामिल थे।
Labels: SAGAR UNIVERSITY, UGC-POLICY
Wednesday, February 18, 2009
देश का पहला हिन्दी भाषा लैब मप्र मे स्थापित होगा
मप्र के डॉ0 हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय मे देश का अपनी तरह का पहला हिन्दी भाषा का लैब खोला जाएगा। यह बात विश्वविद्यालय के लिए 11 वीं पंचवर्षीय योजना के तहत मिलने वाले अनुदानों के लिए पेश किए गए प्रस्तावों की जांच के लिए सागर आए विश्वविद्यालय अनुदान विभाग की समिति के संयोजक चण्डीगढ़ स्थित पंजाब यूनीवर्सिटी के कुलपति प्रो0 आरसी सोबती ने मंगलवार को शाम पत्रकारों से चर्चा के दौरान कही।
गौरतलब है कि दो दिनों के दौरे पर 16 फरवरी को सागर आई यूजीसी की टीम ने डॉ0 हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय के सभी विभागों व गैर शैक्षणिक संस्थानों का दौर किया। इस दौरान समिति के समक्ष विवि के सभी विभागों की ओर से करीब 1148 करोड़ के प्रस्ताव पेश किए गए।
समिति के संयोजक श्री सोबती ने मप्र के सबसे पहले व प्रदेश के सबसे पहले केन्द्रीय विश्वविद्यालय बनने वाले डॉ0 हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय मे इंस्टीटयूट ऑफ वूमेन स्टीडीज व मानवाधिकार से जुड़े पाठयक्रमों को शुरू किए जाने को जरूरी बताया। उन्होने बताया कि विवि में लड़कियों के लिए नए सर्वसुविधायुक्त छात्रावास, परिवहन की सुविधा व स्वास्थ्य केन्द्र को सुविधाओं मुहैया कराईं जाएंगीं। समिति के ही अन्य सदस्य अम़ृतसर के गुरू नानक विश्वविद्यालय के भौतिकी विभाग के प्रोफेसर आरके बेदी ने बताया कि सभी देशी व विदेशी भाषाओं के अध्ययन की सुविधा एक ही छत के नीचे मुहैया कराने के लिए सागर विश्वविद्यालय में स्कूल ऑफ लैंग्वेज विभाग स्थापित किए जाने का प्रस्ताव है।
डॉ0 हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय के प्रदर्शनकारी कलाओं के विभाग :दृश्य एवं श्रव्य विभाग के उपलब्धियों को शानदान बताते हुए समिति के सदस्य व हैदराबाद के उस्मानिया विश्वविद्यालय के राजनीति विभाग के प्रोफेसर के मधुसूदन रेड्डी ने कहा इस विभाग के लिए बेहतर सुविधाओं दिलाने के लिए पर्याप्त राशि मुहैया कराई जाएगी।
समिति के सभी सदस्यों ने यह माना कि सागर विश्वविद्यालय के शैक्षणिक व गैर शैक्षणिक स्टाफ के लिए पर्याप्त संख्या मे आवास उपलब्ध नहीं हैं। इसी के चलते समिति ने विवि मे बहुमंजिला आवास सहित सामूदायिक भवन के प्रस्ताव को उचित बताया।
11 वीं पंचवर्षीय योजना के तहत विवि को मिलने वाले अनुदानों मे छात्रों को मुहैया कराई जाने वाली सुविधाओं से के बारे मे समिति संयोजक श्री सोबती ने बताया विवि मे छात्रों के अध्ययन केन्द्र, छात्रसंघ के लिए कार्यालय की सुविधा प्रदान की जाएगी ।
यूजीसी की समिति ने सागर विश्वविद्यालय के खिलाड़ियों की उपलब्यों को उल्लेखनीय बताया लेकिन विवि मे उपलब्ध खेल संबंधी सुविधाओं को नाकाफी बताया। समिति के सदस्यों ने 11 वीं पंचवर्षीया योजना के तहत विवि को उच्च स्तरीय खेल सुविधाएं प्रदानकीं जाएंगीं।
डॉ0 हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय में शैक्षणिक गुणवत्ता सुधार के लिए विवि के विभिन्न विभागों ने द्वारा की गई नए पदों की मांग के सिलसिले में समिति ने कहा कि बेहतर होगा कि विवि पहले रिक्त पड़े हुए पदों को भरे उसके बाद ही नए पदों सृजन की मंजूरी दी जा सकेगी। इस सिलसिले मे समिति ने विश्वविद्यालय प्रशासन को ताकीद भी किया कि केन्द्रीय विश्वविद्यालय के प्रक्रिया शुरू होने से पहले वह सभी रिक्त पदों को नियमों के मुताबिक भर ले। लेकिन एक भी नियुक्ति ऐसी नहीं होना चाहिए जिसे बैक डोर एन्ट्री कहा जा सके।
विश्वविद्यालय के आम जन से जुड़ाव के सेतु के रूप मे शहर के बीचों बीच स्थित विवि के गौर अध्ययन केन्द्र के विकास को समिति ने अहम बताया। समिति ने विवि को इस केन्द्र के लिए गतिविधियों का मुख्य केन्द्र बनाने का सुझाव भी दिया।
समिति ने यह माना कि डॉ0 हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय के छात्रावास बदहाल अवस्था मे हैं लेकिन इसके लिए उन्होने विवि प्रशासन के साथ छात्रों को भी दोषी बताया। हालांकि छात्रों के उन्नयन व उनमें बेहतर अनुशासन की स्थापना के मकसद से छात्रावासों की जिम्मेदारी छात्र कल्याण अधिष्ठाता को सौंपने की सिफारिश की।
यूजीसी की जांच समिति के संयोजक प्रो0 सोबती ने बताया कि विवि के पत्रकारिता विभाग को मॉस कम्यूनिकेशन सेंटर का रूप देने का प्रस्ताव है।
Labels: SAGAR UNIVERSITY, UGC-POLICY
Monday, February 16, 2009
यूजीसी का दल सागर पहुचा, विवि का निरीक्षण आज...
मप्र के सबसे पुराने विश्वविद्यालय डॉ० हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय में 11वीं पंचवर्षीय योजना को लेकर चल रहीं तैयारियां अपने अंतिम दौर मे पहुंच गईं हैं। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से आने वाले दल के समक्ष विवि के विभागों द्वारा जानकारी पेश किए जाने के तौर-तरीकों पर रविवार को एक रिहर्सल किया गया। सभी संकाध्यक्षों ने इस पूर्वाभ्यास को संतोषजनक पाया।
श्री दुबे ने में मुताबिक समिति के साथ आ रहे उच्च शिक्षा अनुदान आयोग, नई दिल्ली के उपसचिव एस गिलानी, वीसी जोशी और आरके सैनी सोमवार को सुबह 9: 45 पर सागर विश्वविद्यालय के संस्थापक डॉ० हरिसिंह गौर की समाधि पर पुष्पांजलि देने के बाद विश्वविद्यालय के विभागागों के निरीक्षण पर निकलेगें।
निरीक्षण दल के सहयोग के लिए सागर विश्वविद्यालय के प्रो० एके कण्डया, प्रो० एसके शुक्ला, प्रो० जेडी शर्मा, प्रो० पीके कठल और देवाशीष पूरे समय साथ रहेगें। गौरतलब है कि सागर दौर पर आ रही यूजीसी की टीम की अनुशंसा के आधार पर ही विवि को अगले पांच वर्षों के लिए अनुदान प्राप्त होगा।
Labels: SAGAR UNIVERSITY, UGC-POLICY
Tuesday, August 12, 2008
अब आसान नहीं होगा पीएचडी करना....
हालांकि यह नई व्यवस्था उन पर लागू नहीं होगी जिनकी पीएचडी का पंजीयन हो चुका है। लेकिन नए पंजीयन के लिए आवेदन करने वालों को इन नियमों से गुजरना ही पड़ेगा। यूजीसी के सदस्य डॉ० शशि राय के मुताबिक नए नीतिगत बदलावों के बाद पीएचडी कार्यक्रम कम से कम तीन साल का होगा।
नई व्यवस्था के मुताबिक पीएचडी के आवेदन करने वालों के लिए एक अखिल भारतीय स्तर की परीक्षा को पास करना होगा। इसमे विद्यार्थियों को यह भी बताना होगा की वे किस विश्वविद्यालय से पीएचडी करना चाहते हैं। परीक्षा मे सफल होने के बाद उम्मीदवार को चुने हुए विवि मे एक साल तक दो विषयों-रिसर्च मेथेडालॉजी तथा पीएचडी से संबंधित सामान्य अवेयरनेस की पढ़ाई करनी पड़ेगी। इस पढ़ाई को पूरी करने के बाद उसे एक बार फिर दो सेमिस्टर मे इन विषयों की परीक्षा को पास करना होगा। इस परीक्षा मे भी सफल हुए परीक्षार्थियों को ही पीएचडी मे रजिस्ट्रेशन का मौका मिलेगा।
लेकिन राष्ट्रीय अभियोग्यता परीक्षा यानि नेट पास उम्मीदवार को पीएचडी के पंजीयन कराने मे इस प्रक्रिया से नहीं गुजरना पड़ेगा।
पीएचडी रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया मे किए जा रहे इस बदलाव के बारे में श्री राय ने बताया कि बड़ी तादाद में फर्जी तरीके से पीएचडी करने व पीएचडी की गुणवत्ता मे आ रही गिरावट पर राष्ट्रीय स्तर पर चिंता की जा रही थी। उसके मद्देनजर ही काफी सोच विचार कर यूजीसी ने यह निर्णय लिया है।
गौरतलब है कि वर्तमान मे पीएचडी करने के इच्छुक उम्मीदवार को एक फार्म भर कर गाईड के पास जमा करना होता है। फीस जमा करने की तारीख से पीएचडी शुरू मानी जाने लगती है। छह महीने के अंदर आरडीसी यानि रिसर्च डीन कमेटी की बैठक होती है जो संबंधित विषय मे फेरबदल या किसी संशोधन के लिए सुझाव दे सकती है। यदि आरडीसी विषय को मंजूर कर देती है तो पीएचडी का पंजीयन पूर्ण माना जाता है। पंजीकरण के बाद उम्मीदवार को कम से कम 24 महीने का समय देना अनिवार्य है, जबकि उच्च शिक्षा वाले शिक्षक के लिए यह अवधि न्यूनतम 18 माह रहती है।
Labels: UGC-POLICY
Friday, August 8, 2008
यूजीसी ने जारी किए रैंगिंग विरोधी सख्त निर्देश..
आयोग ने कहा कि ऐसे मामले की पुलिस मे सूचना अवश्य दी जाए जिसे प्रकरण मे संबंधित संस्थान से पीड़ित पक्ष के असंतुष्ट होने के हालात मे भी कार्यवाही की गुंजाईश बनी रही। निर्देशों मे कॉलेज के पाठ्यक्रमों मे रैंगिंग तथा उसके नतीजों से आगाह करने वाली पाठ्य सामग्री भी शामिल करने के लिए कहा गया है।
आयोग ने निर्देशों मे कहा है कि प्रवेश के मौके पर ही विद्यार्थी व उसके अभिभावक को बता देना होगा कि पूर्व के या भविष्य मे रैगिंग के मामले मे उसकी संलिप्तता पाए जाने पर उसे कॉलेज से निकाल दिया जाएगा।
रैगिंग विरोधी आयोग के निर्देशों मे खास तौर से उल्लेख किया गया है कि यदि रेंगिंग के मामले मे संबंधित संस्थान की कार्यवाही दोषपूर्ण पाई जाती है तो वहां के जिम्मेदार स्टाफ पर भी कार्यवाही की जा सकेगी। रैगिंग के सिलसिले मे सर्वोच्च न्यायालय भी अपने निर्देशों मे कह चुका है कि अदालतों को रैगिंग के मामले की सुनवाई प्राथमिकता के आधार पर करना चाहिए ताकि समाज मे यह संदेश जा सके कि रैगिंग दण्डनीय अपराध है व इसके दोषी को दंड दिया जाएगा।
Read Full Text......
Labels: UGC-POLICY