मप्र के डॉ0 हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय मे देश का अपनी तरह का पहला हिन्दी भाषा का लैब खोला जाएगा। यह बात विश्वविद्यालय के लिए 11 वीं पंचवर्षीय योजना के तहत मिलने वाले अनुदानों के लिए पेश किए गए प्रस्तावों की जांच के लिए सागर आए विश्वविद्यालय अनुदान विभाग की समिति के संयोजक चण्डीगढ़ स्थित पंजाब यूनीवर्सिटी के कुलपति प्रो0 आरसी सोबती ने मंगलवार को शाम पत्रकारों से चर्चा के दौरान कही।
दसवीं पंचवर्षीय योजना के तहत विश्वविद्यालय को मिले अनुदान की राशि के उपयोग को संतोषजनक बताते हुए यूजीसी समिति के साथ आए यूजीसी के ही उपसचिव एस जिलानी ने कहा कि 11 वीं पंचवर्षीय योजना के तहत विश्ववि्द्यालय को सभी विभागों के लिए पर्याप्त अनुदान दिया जाएगा। श्री जिलानी ने बताया कि ऐसी समिति यूजीसी देश भर के विश्वविद्यालयों में हर पांच साल में एक बार भेजता है। जिससे विवि की विकासात्मक, बुनियादी ढांचे के विस्तार व शैक्षणिक गतिविधियों के सुधार से संबंधित प्रस्तावों की जांच कर अनुदान मुहैया कराया जा सके।
गौरतलब है कि दो दिनों के दौरे पर 16 फरवरी को सागर आई यूजीसी की टीम ने डॉ0 हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय के सभी विभागों व गैर शैक्षणिक संस्थानों का दौर किया। इस दौरान समिति के समक्ष विवि के सभी विभागों की ओर से करीब 1148 करोड़ के प्रस्ताव पेश किए गए।
समिति के संयोजक श्री सोबती ने मप्र के सबसे पहले व प्रदेश के सबसे पहले केन्द्रीय विश्वविद्यालय बनने वाले डॉ0 हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय मे इंस्टीटयूट ऑफ वूमेन स्टीडीज व मानवाधिकार से जुड़े पाठयक्रमों को शुरू किए जाने को जरूरी बताया। उन्होने बताया कि विवि में लड़कियों के लिए नए सर्वसुविधायुक्त छात्रावास, परिवहन की सुविधा व स्वास्थ्य केन्द्र को सुविधाओं मुहैया कराईं जाएंगीं। समिति के ही अन्य सदस्य अम़ृतसर के गुरू नानक विश्वविद्यालय के भौतिकी विभाग के प्रोफेसर आरके बेदी ने बताया कि सभी देशी व विदेशी भाषाओं के अध्ययन की सुविधा एक ही छत के नीचे मुहैया कराने के लिए सागर विश्वविद्यालय में स्कूल ऑफ लैंग्वेज विभाग स्थापित किए जाने का प्रस्ताव है।
डॉ0 हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय के प्रदर्शनकारी कलाओं के विभाग :दृश्य एवं श्रव्य विभाग के उपलब्धियों को शानदान बताते हुए समिति के सदस्य व हैदराबाद के उस्मानिया विश्वविद्यालय के राजनीति विभाग के प्रोफेसर के मधुसूदन रेड्डी ने कहा इस विभाग के लिए बेहतर सुविधाओं दिलाने के लिए पर्याप्त राशि मुहैया कराई जाएगी।
समिति के सभी सदस्यों ने यह माना कि सागर विश्वविद्यालय के शैक्षणिक व गैर शैक्षणिक स्टाफ के लिए पर्याप्त संख्या मे आवास उपलब्ध नहीं हैं। इसी के चलते समिति ने विवि मे बहुमंजिला आवास सहित सामूदायिक भवन के प्रस्ताव को उचित बताया।
11 वीं पंचवर्षीय योजना के तहत विवि को मिलने वाले अनुदानों मे छात्रों को मुहैया कराई जाने वाली सुविधाओं से के बारे मे समिति संयोजक श्री सोबती ने बताया विवि मे छात्रों के अध्ययन केन्द्र, छात्रसंघ के लिए कार्यालय की सुविधा प्रदान की जाएगी ।
यूजीसी की समिति ने सागर विश्वविद्यालय के खिलाड़ियों की उपलब्यों को उल्लेखनीय बताया लेकिन विवि मे उपलब्ध खेल संबंधी सुविधाओं को नाकाफी बताया। समिति के सदस्यों ने 11 वीं पंचवर्षीया योजना के तहत विवि को उच्च स्तरीय खेल सुविधाएं प्रदानकीं जाएंगीं।
डॉ0 हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय में शैक्षणिक गुणवत्ता सुधार के लिए विवि के विभिन्न विभागों ने द्वारा की गई नए पदों की मांग के सिलसिले में समिति ने कहा कि बेहतर होगा कि विवि पहले रिक्त पड़े हुए पदों को भरे उसके बाद ही नए पदों सृजन की मंजूरी दी जा सकेगी। इस सिलसिले मे समिति ने विश्वविद्यालय प्रशासन को ताकीद भी किया कि केन्द्रीय विश्वविद्यालय के प्रक्रिया शुरू होने से पहले वह सभी रिक्त पदों को नियमों के मुताबिक भर ले। लेकिन एक भी नियुक्ति ऐसी नहीं होना चाहिए जिसे बैक डोर एन्ट्री कहा जा सके।
विश्वविद्यालय के आम जन से जुड़ाव के सेतु के रूप मे शहर के बीचों बीच स्थित विवि के गौर अध्ययन केन्द्र के विकास को समिति ने अहम बताया। समिति ने विवि को इस केन्द्र के लिए गतिविधियों का मुख्य केन्द्र बनाने का सुझाव भी दिया।
समिति ने यह माना कि डॉ0 हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय के छात्रावास बदहाल अवस्था मे हैं लेकिन इसके लिए उन्होने विवि प्रशासन के साथ छात्रों को भी दोषी बताया। हालांकि छात्रों के उन्नयन व उनमें बेहतर अनुशासन की स्थापना के मकसद से छात्रावासों की जिम्मेदारी छात्र कल्याण अधिष्ठाता को सौंपने की सिफारिश की।
यूजीसी की जांच समिति के संयोजक प्रो0 सोबती ने बताया कि विवि के पत्रकारिता विभाग को मॉस कम्यूनिकेशन सेंटर का रूप देने का प्रस्ताव है।
गौरतलब है कि दो दिनों के दौरे पर 16 फरवरी को सागर आई यूजीसी की टीम ने डॉ0 हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय के सभी विभागों व गैर शैक्षणिक संस्थानों का दौर किया। इस दौरान समिति के समक्ष विवि के सभी विभागों की ओर से करीब 1148 करोड़ के प्रस्ताव पेश किए गए।
समिति के संयोजक श्री सोबती ने मप्र के सबसे पहले व प्रदेश के सबसे पहले केन्द्रीय विश्वविद्यालय बनने वाले डॉ0 हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय मे इंस्टीटयूट ऑफ वूमेन स्टीडीज व मानवाधिकार से जुड़े पाठयक्रमों को शुरू किए जाने को जरूरी बताया। उन्होने बताया कि विवि में लड़कियों के लिए नए सर्वसुविधायुक्त छात्रावास, परिवहन की सुविधा व स्वास्थ्य केन्द्र को सुविधाओं मुहैया कराईं जाएंगीं। समिति के ही अन्य सदस्य अम़ृतसर के गुरू नानक विश्वविद्यालय के भौतिकी विभाग के प्रोफेसर आरके बेदी ने बताया कि सभी देशी व विदेशी भाषाओं के अध्ययन की सुविधा एक ही छत के नीचे मुहैया कराने के लिए सागर विश्वविद्यालय में स्कूल ऑफ लैंग्वेज विभाग स्थापित किए जाने का प्रस्ताव है।
डॉ0 हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय के प्रदर्शनकारी कलाओं के विभाग :दृश्य एवं श्रव्य विभाग के उपलब्धियों को शानदान बताते हुए समिति के सदस्य व हैदराबाद के उस्मानिया विश्वविद्यालय के राजनीति विभाग के प्रोफेसर के मधुसूदन रेड्डी ने कहा इस विभाग के लिए बेहतर सुविधाओं दिलाने के लिए पर्याप्त राशि मुहैया कराई जाएगी।
समिति के सभी सदस्यों ने यह माना कि सागर विश्वविद्यालय के शैक्षणिक व गैर शैक्षणिक स्टाफ के लिए पर्याप्त संख्या मे आवास उपलब्ध नहीं हैं। इसी के चलते समिति ने विवि मे बहुमंजिला आवास सहित सामूदायिक भवन के प्रस्ताव को उचित बताया।
11 वीं पंचवर्षीय योजना के तहत विवि को मिलने वाले अनुदानों मे छात्रों को मुहैया कराई जाने वाली सुविधाओं से के बारे मे समिति संयोजक श्री सोबती ने बताया विवि मे छात्रों के अध्ययन केन्द्र, छात्रसंघ के लिए कार्यालय की सुविधा प्रदान की जाएगी ।
यूजीसी की समिति ने सागर विश्वविद्यालय के खिलाड़ियों की उपलब्यों को उल्लेखनीय बताया लेकिन विवि मे उपलब्ध खेल संबंधी सुविधाओं को नाकाफी बताया। समिति के सदस्यों ने 11 वीं पंचवर्षीया योजना के तहत विवि को उच्च स्तरीय खेल सुविधाएं प्रदानकीं जाएंगीं।
डॉ0 हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय में शैक्षणिक गुणवत्ता सुधार के लिए विवि के विभिन्न विभागों ने द्वारा की गई नए पदों की मांग के सिलसिले में समिति ने कहा कि बेहतर होगा कि विवि पहले रिक्त पड़े हुए पदों को भरे उसके बाद ही नए पदों सृजन की मंजूरी दी जा सकेगी। इस सिलसिले मे समिति ने विश्वविद्यालय प्रशासन को ताकीद भी किया कि केन्द्रीय विश्वविद्यालय के प्रक्रिया शुरू होने से पहले वह सभी रिक्त पदों को नियमों के मुताबिक भर ले। लेकिन एक भी नियुक्ति ऐसी नहीं होना चाहिए जिसे बैक डोर एन्ट्री कहा जा सके।
विश्वविद्यालय के आम जन से जुड़ाव के सेतु के रूप मे शहर के बीचों बीच स्थित विवि के गौर अध्ययन केन्द्र के विकास को समिति ने अहम बताया। समिति ने विवि को इस केन्द्र के लिए गतिविधियों का मुख्य केन्द्र बनाने का सुझाव भी दिया।
समिति ने यह माना कि डॉ0 हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय के छात्रावास बदहाल अवस्था मे हैं लेकिन इसके लिए उन्होने विवि प्रशासन के साथ छात्रों को भी दोषी बताया। हालांकि छात्रों के उन्नयन व उनमें बेहतर अनुशासन की स्थापना के मकसद से छात्रावासों की जिम्मेदारी छात्र कल्याण अधिष्ठाता को सौंपने की सिफारिश की।
यूजीसी की जांच समिति के संयोजक प्रो0 सोबती ने बताया कि विवि के पत्रकारिता विभाग को मॉस कम्यूनिकेशन सेंटर का रूप देने का प्रस्ताव है।
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