विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने कॉलेजों मे रैगिंग रोकने के लिए नए निर्देश जारी किए हैं। इनके साथ में भेजे पत्र मे सर्वोच्च न्यायालय, राघवन समिति एवं खुद आयोग द्वारा रैगिंग रोकने के सिलसिले मे जारी निर्देशों का हवाला देते हुए आयोग ने कहा है कि रैंगिंग के आरोपी को इतना कड़ा दण्ड दिया जिससे ऐसी घटना दोबारा न हो सके। कॉलेजों के निरीक्षण के लिए जाने वाले यूजीसी के दल भी रैगिंग के मामले सख्ती से रोकने के सिलसिले मे कॉलेजों को जागरूक बनाएगी।
आयोग ने कहा कि ऐसे मामले की पुलिस मे सूचना अवश्य दी जाए जिसे प्रकरण मे संबंधित संस्थान से पीड़ित पक्ष के असंतुष्ट होने के हालात मे भी कार्यवाही की गुंजाईश बनी रही। निर्देशों मे कॉलेज के पाठ्यक्रमों मे रैंगिंग तथा उसके नतीजों से आगाह करने वाली पाठ्य सामग्री भी शामिल करने के लिए कहा गया है।
आयोग ने निर्देशों मे कहा है कि प्रवेश के मौके पर ही विद्यार्थी व उसके अभिभावक को बता देना होगा कि पूर्व के या भविष्य मे रैगिंग के मामले मे उसकी संलिप्तता पाए जाने पर उसे कॉलेज से निकाल दिया जाएगा।
रैगिंग विरोधी आयोग के निर्देशों मे खास तौर से उल्लेख किया गया है कि यदि रेंगिंग के मामले मे संबंधित संस्थान की कार्यवाही दोषपूर्ण पाई जाती है तो वहां के जिम्मेदार स्टाफ पर भी कार्यवाही की जा सकेगी। रैगिंग के सिलसिले मे सर्वोच्च न्यायालय भी अपने निर्देशों मे कह चुका है कि अदालतों को रैगिंग के मामले की सुनवाई प्राथमिकता के आधार पर करना चाहिए ताकि समाज मे यह संदेश जा सके कि रैगिंग दण्डनीय अपराध है व इसके दोषी को दंड दिया जाएगा।
आयोग ने कहा कि ऐसे मामले की पुलिस मे सूचना अवश्य दी जाए जिसे प्रकरण मे संबंधित संस्थान से पीड़ित पक्ष के असंतुष्ट होने के हालात मे भी कार्यवाही की गुंजाईश बनी रही। निर्देशों मे कॉलेज के पाठ्यक्रमों मे रैंगिंग तथा उसके नतीजों से आगाह करने वाली पाठ्य सामग्री भी शामिल करने के लिए कहा गया है।
आयोग ने निर्देशों मे कहा है कि प्रवेश के मौके पर ही विद्यार्थी व उसके अभिभावक को बता देना होगा कि पूर्व के या भविष्य मे रैगिंग के मामले मे उसकी संलिप्तता पाए जाने पर उसे कॉलेज से निकाल दिया जाएगा।
रैगिंग विरोधी आयोग के निर्देशों मे खास तौर से उल्लेख किया गया है कि यदि रेंगिंग के मामले मे संबंधित संस्थान की कार्यवाही दोषपूर्ण पाई जाती है तो वहां के जिम्मेदार स्टाफ पर भी कार्यवाही की जा सकेगी। रैगिंग के सिलसिले मे सर्वोच्च न्यायालय भी अपने निर्देशों मे कह चुका है कि अदालतों को रैगिंग के मामले की सुनवाई प्राथमिकता के आधार पर करना चाहिए ताकि समाज मे यह संदेश जा सके कि रैगिंग दण्डनीय अपराध है व इसके दोषी को दंड दिया जाएगा।
1 comments:
हर साल ऎसे कानुन बनते हे होता कुछ नही, धन्यवाद
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