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Saturday, December 13, 2008

घट सकती है अवसरों की संख्या यूपीएसी परीक्षा में...

नई दिल्लीः सरकार ने अगर एक आधिकारिक पैनल की सिफारिशें मान ली तो विभिन्न वर्ग के उम्मीदवारों के लिए यूपीएससी की परीक्षा देने के मौकों में कटौती की जा सकती है।

दूसरे प्रशासनिक सुधार आयोग ने शुक्रवार को जारी अपनी रिपोर्ट में जनरल कैटिगरी के उम्मीदवारों के लिए यूपीएससी की परीक्षा देने के अधिकतम 4 अवसरों को घटाकर 3 करने की सिफारिश की है।
इसके अलावा ओबीसी के उम्मीदवारों के अवसरों को 7 से घटाकर 5 करने और अब तक असीमित मौके पाने वाले अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों के लिये अधिकतम 6 अवसरों की सीमा तय करने की सिफारिश की गई है।
एआरसी ने अपनी रिपोर्ट में विभिन्न वर्ग के उम्मीदवारों की अधिकतम आयुसीमा में भी कटौती करने की सिफारिश की है। आयोग ने सिविल सेवा परीक्षा के जनरल कैटिगरी के लिये अधिकतम आयुसीमा को 30 से घटाकर 25 वर्ष, ओबीसी के लिए 33 से घटाकर 28 साल और अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के लिये 35 से घटाकर 29 वर्ष करने की सिफारिश की है।

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Tuesday, November 18, 2008

आईआईएम के इम्तिहान मे अग्रेजी का पर्चा रहा चौंकाने वाला....

देश के 7 आईआईएम (अहमदाबाद, बेंगलुरु, कोलकाता, इंदौर, लखनऊ, कोझिकोड, शिलॉन्ग) और करीब 120 मैनिजमंट इंस्टिट्यूट में एडमिशन के लिए रविवार को हुए कॉमन एडमिशन टेस्ट (कैट) में इस बार भी इंग्लिश सरप्राइज पैकिज रहा। इस बार एग्जाम में प्रश्नों की संख्या 75 से बढ़कर 90 हो गई। बढ़े हुए सभी 15 सवा इंग्लिश सेक्शन में आए। इंग्लिश में 40, जबकि बाकी 2 सेक्शन में 25-25 सवाल आए। एक्सपर्ट का कहना है कि पिछले 2 सालों से इंग्लिश का सेक्शन सबसे मुश्किल रहा था लेकिन इस बार यह पिछले सालों की तुलना में आसान रहा। बाकी दो सेक्शन कमोबेश पिछली बार की तरह ही रहे।

वहीं छात्रों का कहना था कि पेपर लंबा हो गया और जिसने बेहतर तरीके से टाइम मैनिजमंट किया होगा, वही सफल होगा। इस बार कैट 360 नंबर का आया, जबकि पिछली बार यह 300 नंबर का था। देश के 23 शहरों में हुए इस एग्जाम में 2.76 लाख छात्र बैठे।
इस बार का कैट आईआईएम बेंगलुरु ने आयोजित किया था। एक्सपर्ट मानते हैं कि कैट में अब सवाल को काफी घुमा फिराकर पूछा जाता है। अपने सब्जेक्ट में पारंगत छात्र ही कैट को फतह कर पाते हैं। कैट के नतीजे 9 जनवरी को आएंगे।
ढाई घंटे के इस टेस्ट में पिछले 2 साल से इस टेस्ट में 75 क्वेश्चन आ रहे थे, इस बार यह संख्या बढ़कर 90 हो गई। 2005 में 90 क्वेश्चन आए थे। 2003-04 में 123 और 2002 में 150 क्वेश्चन आए थे। कैट की तैयारी कराने वाले संस्थान टाइम के डायरेक्टर उल्हास वेरागकर का कहना है कि मैथ्स और डाटा इंटरप्रिटेशन का सेक्शन तो पिछली बार की तरह ही रहा लेकिन इंग्लिश सेक्शन में छात्रों को अधिक मुश्किल नहीं आई। इंग्लिश में इस बार ग्रामर पर भी काफी जोर रहा। उनका कहना है कि पिछले 10 साल में पहली बार देखने में आया है कि इंग्लिश को इतनी अधिक अहमियत दी गई है। चूंकि, इंग्लिश सेक्शन सबसे अधिक नंबर का है इसलिए जिन छात्रों की इस सब्जेक्ट पर अच्छी पकड़ है, उसे काफी फायदा होगा। कोचिंग के डायरेक्टर रवि कुमार का कहना है कि कैट सरप्राइज की बात करें तो इस बार भी पेपर काफी अलग रहा। छात्रा सिंधु का कहना है कि क्वेश्चन बढ़ जाने के कारण परेशानी आई और इंग्लिश सेक्शन पर इस बार भी काफी कुछ निर्भर करेगा।

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Monday, November 17, 2008

फीस तय करने मे नहीं चलेगी निजी कॉलेजों की मनमानी....

इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट, फार्मेसी सहित तमाम टेक्नीकल कोर्स चलाने वाले कालेजों की मनमानी पर शिकंजा कसने जा रहा है। कोई भी कालेज फीस के मामले में छात्र-छात्राओं का शोषण नहीं कर सकेगा। टेक्नीकल कोर्सेस की मान्यता देने वाली अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद अपने कोर्सेस की फीस भी अब खुद ही तय करेगी। यह व्यवस्था अगले सत्र से ही लागू हो जाएगी। पूरे देश में एकीकृत फीस स्ट्रक्चर घोषित करने में जुटी एआईसीटीई की तैयारी लगभग अंतिम दौर में पहुंच गई है

प्रो.रंगनाथ मिश्र की अध्यक्षता में राष्ट्रीय स्तर की कमेटी ने अन्य राज्यों के अलावा मध्यप्रदेश के कालेजों का दौरा भी हाल ही में पूर्ण कर लिया है। अब केवल एक या दो राज्य ही बचे हैं। सूत्रों के मुताबिक यह उच्च स्तरीय कमेटी रेंडम टेस्टिंग के तौर पर कालेजों का दौरा कर रही है। मध्यप्रदेश में भी चुनिंदा कालेजों का दौरा किया है। इसमें छोटे-बड़े शहर, कस्बों के अलावा नए और पुराने कालेजों को चुना है। कालेजों में उपलब्ध सुविधाओं के अलावा इनकी आय-व्यय, पढ़ाई का स्तर, टीचिंग स्टॉफ की स्थिति, योग्यता आदि को बारीकी से देखा जा रहा है।
सूत्रों के मुताबिक फीस तय करते समय कालेजों के स्तर के साथ ही प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय को भी ध्यान में रखा जाएगा। संभव है इसमें कालेजों को अलग-अलग श्रेणी में रखकर उनके लिए फीस तय की जाए। उच्च स्तरीय कमेटी इस माह दौरे पूर्ण कर लेगी। दिसंबर में कमेटी अपनी रिपोर्ट भी सौंप देगी। अगले सत्र से यह फीस लागू होना है, इसलिए इसकी घोषणा जनवरी में ही कर दी जाएगी।
हर कालेज होगा बाध्य : एआईसीटीई की मान्यता पर कोर्स चलाने वाला हर कालेज फीस के लिए भी बाध्य होगा। तय फीस से अधिक वसूली करने पर कालेज की मान्यता भी खतरे में पड़ सकती है। इसके लिए कालेजों की मानीटरिंग की भी पर्याप्त व्यवस्था की जाएगी। उल्लेखनीय है कि इस मामले में करीब एक साल से मशक्कत चल रही थी। एआईसीटीई द्वारा श्री मिश्र की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने जून में अपनी सिफारिशें सौंप दी थी। इनमें कमेटी ने हर राज्य का दौरा कर एकीकृत फीस तय करने का सुझाव दिया था।

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