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Monday, November 17, 2008

फीस तय करने मे नहीं चलेगी निजी कॉलेजों की मनमानी....

इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट, फार्मेसी सहित तमाम टेक्नीकल कोर्स चलाने वाले कालेजों की मनमानी पर शिकंजा कसने जा रहा है। कोई भी कालेज फीस के मामले में छात्र-छात्राओं का शोषण नहीं कर सकेगा। टेक्नीकल कोर्सेस की मान्यता देने वाली अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद अपने कोर्सेस की फीस भी अब खुद ही तय करेगी। यह व्यवस्था अगले सत्र से ही लागू हो जाएगी। पूरे देश में एकीकृत फीस स्ट्रक्चर घोषित करने में जुटी एआईसीटीई की तैयारी लगभग अंतिम दौर में पहुंच गई है

प्रो.रंगनाथ मिश्र की अध्यक्षता में राष्ट्रीय स्तर की कमेटी ने अन्य राज्यों के अलावा मध्यप्रदेश के कालेजों का दौरा भी हाल ही में पूर्ण कर लिया है। अब केवल एक या दो राज्य ही बचे हैं। सूत्रों के मुताबिक यह उच्च स्तरीय कमेटी रेंडम टेस्टिंग के तौर पर कालेजों का दौरा कर रही है। मध्यप्रदेश में भी चुनिंदा कालेजों का दौरा किया है। इसमें छोटे-बड़े शहर, कस्बों के अलावा नए और पुराने कालेजों को चुना है। कालेजों में उपलब्ध सुविधाओं के अलावा इनकी आय-व्यय, पढ़ाई का स्तर, टीचिंग स्टॉफ की स्थिति, योग्यता आदि को बारीकी से देखा जा रहा है।
सूत्रों के मुताबिक फीस तय करते समय कालेजों के स्तर के साथ ही प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय को भी ध्यान में रखा जाएगा। संभव है इसमें कालेजों को अलग-अलग श्रेणी में रखकर उनके लिए फीस तय की जाए। उच्च स्तरीय कमेटी इस माह दौरे पूर्ण कर लेगी। दिसंबर में कमेटी अपनी रिपोर्ट भी सौंप देगी। अगले सत्र से यह फीस लागू होना है, इसलिए इसकी घोषणा जनवरी में ही कर दी जाएगी।
हर कालेज होगा बाध्य : एआईसीटीई की मान्यता पर कोर्स चलाने वाला हर कालेज फीस के लिए भी बाध्य होगा। तय फीस से अधिक वसूली करने पर कालेज की मान्यता भी खतरे में पड़ सकती है। इसके लिए कालेजों की मानीटरिंग की भी पर्याप्त व्यवस्था की जाएगी। उल्लेखनीय है कि इस मामले में करीब एक साल से मशक्कत चल रही थी। एआईसीटीई द्वारा श्री मिश्र की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने जून में अपनी सिफारिशें सौंप दी थी। इनमें कमेटी ने हर राज्य का दौरा कर एकीकृत फीस तय करने का सुझाव दिया था।

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