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Saturday, December 6, 2008

इग्नू की पहुंच -भाग-दो

वर्ष 1985 में संसदीय अधिनियम द्वारा स्थापित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय ने मात्र दो दशकों में दुनिया के सबसे बडे विश्वविद्यालय के रूप में अपनी पहचान बना ली है। 1987 से इसने शैक्षिक कार्यक्रम चलाने आरंभ किए। सबसे पहले प्रबंध में डिप्लोमा एवं दूर शिक्षा में डिप्लोमा कार्यक्रम शुरू किए गए। आज यह विश्वविद्यालय 21 अध्ययन विद्यापीठों, 58 क्षेत्रीय केंद्रों, 1804 अध्ययन केंद्रों-दूर अध्ययन केंद्रों तथा विदेशों में स्थित 46 केंद्रों के नेटवर्क के माध्यम से भारत सहित विश्व के 32 देशों में लगभग 18 लाख स्टूडेंट्स की शैक्षिक आवश्यकताओं को पूरा कर रहा है। वर्तमान समय में इग्नू के 138 सर्टिफिकेट, डिप्लोमा, डिग्री पीएचडी प्रोग्राम्स के तहत करीब 1300 कोर्स संचालित हैं।

बढ रही हैं उपलब्धियां
उल्लेखनीय है कि आज देश के उच्च शिक्षा में नामांकित कुल छात्रों में से लगभग 13 प्रतिशत (डिस्टेंस एजुकेशन में कुल स्टूडेंट्स का 50 प्रतिशत से अधिक) की शैक्षिक आवश्यकताएं इग्नू पूरी कर रहा है। डिस्टेंस एजुकेशन में अग्रणी संस्थान के रूप में इसे कनाडा स्थित कॉमनवेल्थ ऑफ लर्निग (सीओएल) ने 1993 में डिस्टेंस एजुकेशन के क्षेत्र में सर्वोत्तम केंद्र के रूप में सम्मानित किया। इसके अतिरिक्त इसे 1999 में डिस्टेंस एजुकेशन के क्षेत्र में सर्वोत्तम सामग्री का पुरस्कार भी मिला।
खास बात यह भी है कि केवल एजुकेशन के लिए समर्पित देश के विशेष उपग्रह एडुसैट के 20 सितंबर, 2004 को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किए जाने तथा अंतर-विश्वविद्यालय कंसोर्टियम की स्थापना से इग्नू ने भारत को टेक्नोलॉजी समर्थ शिक्षा के नए युग में प्रवेश करा दिया है। आज इग्नू के पास 134 दो-तरफा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सेंटर हैं। साथ ही, सभी क्षेत्रीय अध्ययन केंद्रों को एडुसैट से जोडा गया है, ताकि सैटेलाइट के माध्यम से दूर-दराज के विद्यार्थियों तक शिक्षा का आदान-प्रदान किया जा सके। इग्नू में वर्ष 2005 में परिसर रोजगार सहायक प्रकोष्ठ (सीपीसी) की स्थापना की गई, जिसका उद्देश्य अपने विद्यार्थियों को उनके अनुकूल जॉब दिलाने में सहायता देना है।
वरदान बना ओपेन लर्निग
डिस्टेंस एजुकेशन पढाई का ऐसा माध्यम है, जिसमें टीचर और स्टूडेंट्स अलग-अलग स्थानों पर होते हैं। टेली-कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए किसी एक जगह पढा रहे टीचर से देश के अलग-अलग व सुदूरवर्ती क्षेत्रों में बैठे स्टूडेंट्स पढ सकते हैं और उनसे सवाल पूछकर अपनी उत्सुकता शांत कर सकते हैं। खास बात यह है कि स्टूडेंट्स क्लासरूम में लगी बडी स्क्रीन पर टीचर को पढाते हुए भी देखते हैं। इससे उन्हें ऐसा नहीं लगता कि वे बिना टीचर के पढाई कर रहे हैं।
स्टूडेंट्स को कोर्स पर आधारित पर्याप्त स्टडी मैटीरियल भी उपलब्ध कराया जाता है। ताकि वे रेगुलर पढाई कर सकें। समय-समय पर एग्जाम होता है और फाइनल एग्जाम क्वालिफाई करने के बाद उन्हें रेगुलर कोर्सो की भांति मान्यता प्राप्त प्रमाण पत्र प्रदान किया जाता है, जिसके आधार पर वे सरकारी और निजी या फिर विदेश में कहीं भी अपने अनुकूल जॉब पा सकते हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि ऐसे कोर्स बेहद कम फीस में और अपने आस-पास स्थित स्टडी सेंटर से ही किए जा सकते हैं। ऐसे कोर्स उच्च शिक्षा के क्षेत्र में उपलब्ध हैं और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा मान्यता प्राप्त हैं।
उच्च शिक्षा हासिल करने वाले स्टूडेंट्स की लगातार बढती संख्या को देखते हुए डिस्टेंस लर्निग से शिक्षा प्रदान करने वाले ऐसे संस्थान तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं। इस माध्यम के उपलब्ध हो जाने से उन स्टूडेंट्स को काफी लाभ हो रहा है, जिन्हें महानगरों या बडे शहरों में न जा पाने के कारण उच्च शिक्षा से वंचित रहना पडता था। ये कोर्स ग्रामीण और सुदूरवर्ती क्षेत्रों के युवाओं के लिए बेहद उपयोगी हैं। इन कोर्सो की लोकप्रियता को देखते हुए आज भारत में इग्नू के अलावा दस अन्य विश्वविद्यालय भी डिस्टेंस एजुकेशन से तमाम कोर्स उपलब्ध करा रहे हैं। इन विश्वविद्यालयों के अलावा देश भर में आज 54 से अधिक डिस्टेंस लर्निग इंस्टीटयूट भी हायर एजुकेशन की जरूरत को पूरा कर रहे हैं।
इग्नू के प्रमुख कोर्स
कम्प्यूटर ऐंड लाइब्रेरी ऐंड इन्फॉर्मेशन साइंसेज : इसमें मास्टर ऑफ कम्प्यूटर अप्लीकेशंस, बैचलर ऑफ कम्प्यूटर अप्लीकेशंस, पीजी डिप्लोमा इन लाइब्रेरी ऑटोमेशन ऐंट नेटवर्किग आदि शामिल हैं।
जर्नलिज्म, कम्युनिकेशन ऐंड क्रिएटिव राइटिंग : इसके तहत पीजी डिप्लोमा इन ट्रांसलेशन, जर्नलिज्म ऐंड मास कम्युनिकेशन, ऑडियो प्रोग्राम प्रॉडक्शन, रेडियो प्रसारण, डिप्लोमा इन क्रिएटिव राइटिंग इन इंग्लिश आदि शामिल हैं।
इंजीनियरिंग ऐंड रूरल डेवलॅपमेंट :
इस प्रोग्राम के अंतर्गत बीटेक-सिविल (कॅन्स्ट्रक्शन मैनेजमेंट), वाटर रिसोर्स इंजीनियरिंग, मैकेनिकल इंजीनियरिंग, पीजी डिप्लोमा इन रूरल डेवलॅपमेंट, एडवांस डिप्लोमा इन वाटर रिसोर्स।
एरिया स्फेसिफिक अवेयरनेस ऐंड मैनपॉवर डेवलॅपमेंट प्रोग्राम्स : इस प्रोग्राम के तहत शामिल विषय बेहद महत्वपूर्ण हैं। इनमें शामिल विषयों के नाम हैं-पीजी डिप्लोमा इन डिजास्टर मैनेजमेंट, इनवॉयरमेंट ऐंड सस्टेनेबल डेवलॅपमेंट, डिप्लोमा इन वैल्यू एडेड प्रॉडक्ट फ्रॉम फ्रूट्स ऐंड वेजिटेबल्स, पल्सेज ऐंड ऑयलसीड्स, मीट टेक्नोलॉजी आदि हैं। पता : इंदिरा गांधी नेशनल ओपेन यूनिवर्सिटी (1985), मैदान गढी, नई दिल्ली,फोन : 91-11-29532321, 29535062-65,
ई-मेल rmohan@ignou.ac.in,
वेबसाइट www.ignou.ac.in
टेक्नोलॉजी से पॉपुलर हुए कोर्स
इग्नू के कोर्स आज के समय के अनुसार कितने अपडेटेड हैं?
इग्नू डिस्टेंस ओपेन लर्निग के माध्यम से उच्च और वोकेशनल शिक्षा प्रदान करने वाला देश का सबसे बडा संस्थान है। इसकी सबसे बडी चुनौती देश के दूर-दराज के उन इलाकों तक उपयोगी शिक्षा का प्रसार करना है, जहां के लोग शहर जाकर पढाई नहीं कर सकते। इसके लिए हमने सैटेलाइट की मदद ली है। हमारी कोशिशों से इसरो ने इसी उद्देश्य से एडुसैट का प्रक्षेपण किया था। इसके अलावा, अब हम कम्युनिटी रेडियो, कम्युनिटी कॉलेज और अब मोबाइल एजुकेशन जैसे माध्यमों का भी इस्तेमाल कर रहे हैं।
शिक्षा में मोबाइल का उपयोग कैसे हो रहा है?
चूंकि अब मोबाइल का प्रसार गांव-गांव तक हो गया है, ऐसे में हमने मोबाइल फोन के माध्यम से स्टडी मैटीरियर प्रोवाइड करने और ऑन-डिमांड ऑब्जेक्टिव टेस्ट लेने की व्यवस्था शुरू की है। ऑन-डिमांड का मतलब है-किसी कोर्स का स्टूडेंट जब यह सूचना देगा कि वह अब परीक्षा देने के लिए तैयार है, तभी उसका टेस्ट होगा।
टेक्नोलॉजी का और किस तरह प्रयोग हो रहा है?
हम गांव-गांव में उपलब्ध एसटीडी बूथ के माध्यम से टेली सेंटर/विलेज नॉलेज सेंटर मैनेजमेंट कोर्स शुरू कर रहे हैं। इसके तहत बूथ चलाने वाले व्यक्ति को ट्रेनिंग देकर डिप्लोमा प्रदान किया जाएगा। यह ट्रेंड व्यक्ति गांव के लोगों को कॉल सेंटर, टेलीकम्युनिकेशन ट्रेनिंग देगा, ताकि वे टेलीकॉम इंडस्ट्री में बेहतर जॉब पा सकें। इसके लिए इग्नू टेलीसेंटरडॉटओआरजी के साथ टाई-अप कर रहा है। इस प्रोग्राम के तहत एक लाख से अधिक टेलीसेंटर्स व विलेज नॉलेज सेंटर्स मैनेजर्स बनाना है।

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