रवि शंकर विश्वकर्मा मप्र के बुंदेलखण्ड के एक सुदूर गांव में रहते हैं और संयुक्त परिवार के सदस्य हैं। खेती-बाडी और बढईगिरी से गुजारा करने वाले उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। किसी तरह उन्होंने बारहवीं तक की पढाई की। वह कोई कामकाजी प्रशिक्षण लेकर खुद का कोई उद्यम आरंभ करना चाहते थे, लेकिन उनके आस-पास ऐसी सुविधा नहीं थी।
जब उन्होने अपने मन के इस दर्द को शहर में रहने वाले अपने बचपन के एक मित्र से व्यक्त किया, तो उन्होंने इग्नू से संपर्क करने का सुझाव दिया। संयोग से इग्नू में उनकी रुचि का बढ़ईगिरी प्रशिक्षण का सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम मौजूद था और वह भी नाममात्र के शुल्क पर। खास बात यह है कि उन्हें इसके लिए कहीं जाना भी नहीं था। उन्हें गांव की पंचायत के टीवी, अपने रेडियो और मोबाइल फोन के माध्यम से ही बढ़ईगिरी का व्यावसायिक प्रशिक्षण मिल गया। इस कोर्स को करने के बाद उन्होंने स्थानीय बैंक से लोन लेकर गांव में ही फर्नीचर की एक दुकान खोल ली। कुछ ही वर्षो में उनकी दुकान चल निकली और उन्होंने अपने परिवार के सदस्यों को इससे जोडने के अलावा कुछ और लोगों को भी नौकरी पर रख लिया। इग्नू के ऐसे अनगिनत कोर्स हैं, जिनकी मदद से शहरों के साथ-साथ गांव-देहात तक के साधनहीन लोगों को न केवल जागरूक बनाया जा रहा है, बल्कि अल्पकालीन प्रशिक्षण देकर उन्हें उद्यमी बनने के लिए भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। दरअसल, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय यानी इग्नू न केवल मुक्त व दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से शहरी से लेकर दूर-दराज तक के लोगों को उच्च शिक्षा के साथ-साथ प्रोफेशनल शिक्षा प्रदान कर रहा है, बल्कि दुनिया की नई-नई तकनीकों व जानकारियों से भी लोगों को लगातार जागरूक कर रहा है। इग्नू उच्च शिक्षा प्राप्त करने की आकांक्षा रखने वाले उन सभी लोगों के लिए एक वरदान की तरह है, जो किसी कारण नियमित पढाई नहीं कर पाते। इस संस्थान में आज के हिसाब से लगभग सभी कोर्स उपलब्ध हैं और खास बात यह है कि इनकी विश्वसनीयता नियमित संस्थानों द्वारा दी जा रही शिक्षा से किसी मायने में कम नहीं है। इग्नू द्वारा संचालित अधिकांश कोर्सो में वर्ष में दो बार एडमिशन होते हैं।
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