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Friday, July 31, 2009

खुद की शख्सियत पर नजर रखना भी होता है जरूरी

यह तथ्य सबको पता है कि व्यक्तित्व भविष्य के निर्माण उन्नति दोनों को ही प्रभावित करती है। लेकिन, व्यक्तित्व कामकाज पर किस हद तक प्रभाव डालती है कम लोग ही जानते हैं। कई लोगों को तो यह बात उस समय समझ में आती है जब वे काफी कुछ खो चुके होते हैं। कुछ प्रोफेशनल्स ऎसे भी हैं, जो अंत तक स्वीकार ही नहीं कर पाते कि उनके व्यक्तित्व में कुछ कमी है, जबकि इसका नुकसान वे आए दिन उठाते रहते हैं।
अच्छे व्यवहार या फिर आदर्श व्यक्तित्व की कोई सीमा नहीं है, बस जरूरत इस बात की है आप अपने व्यवहार को स्वयं निरीक्षण करें। किसी भी शीर्ष पद पर बैठे, मिड लेवल या फिर निचले स्तर पर काम करने वाले के व्यक्तित्व में सुधार की गुंजाइश होती है।
इसके लिए आवश्यक है कि आपको अपने व्यक्तित्व में जो भी कमी नजर आए या फिर आपके जिस व्यवहार के कारण आपको नुकसान उठाना पड़ा हो उसे दूर करने की कोशिश करें। व्यक्तित्व की कमजोरियां जानने के लिए आप मनोवैज्ञानिक परीक्षण की मदद ले सकते हैं। व्यक्तित्व विकास से जुड़े विशेषज्ञ भी आपकी मदद कर सकते हैं।
भाषा पर पकड़
पर्सनॉलिटी विकास के नाम पर कई लोगों का सोचना है कि अपने देश में यदि आपको धड़ल्ले से अंग्रेजी बोलना आती है तो आपके व्यक्तित्व का विकास हो गया है, जबकि वास्तविकता ऎसी नहीं है। भाषा के साथ और भी कई ऎसे कारक हैं जो व्यक्तित्व विकास के लिए महžवपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भाषा तो उनमें से एक पार्ट हो सकती है। आज के जमाने में अंग्रेजी सर्वग्राह्य भाषा हो गई है, इसलिए एक पूर्ण व्यक्तित्व के लिए इसका आना आवश्यक है।
प्रोफेशनल्स के लिए
मौजूदा समय में मल्टीनेशनल कंपनियों में इंटरव्यू के दौरान मनोस्थिति जानने के लिए उलटे सवाल किए जाते हैं, तनाव पैदा किए जाते हैं। नियोक्ता यह जानने का प्रयास करते हैं कि आप विपरीत परिस्थितियों में किस प्रकार से हैंडिल कर पाते हैं। तनाव के समय में आप सामने वाले से किस तरह का व्यवहार करते हैं।
कई बार ऎसा होता है कि अच्छे एकेडमिक कòरियर के बावजूद लोगों को इंटरव्यू में सफलता नहीं मिल पाती। इसका कारण काफी हद तक व्यक्तित्व पर निर्भर होता है। आजकल कंपनियां एकेडमिक नॉलेज के साथ ही व्यावहारिक ज्ञान पर ज्यादा घ्यान देती हैं। कंपनियां कर्मचारियों को अपने प्रतिनिधियों के रूप में देखना चाहती हैं, केवल कर्मचारी के रूप में ही नहीं।
सबसे बड़ी कमजोरी
आजकल युवाओं में जल्द ही सब कुछ हासिल करने की प्रवृत्ति विकसित होती जा रही है। आज के युवाओं के पास स्मार्टनेस है, नॉलेज है, लेकिन धैर्य नहीं। वे तत्काल कामयाबी की बुलंदी छूना चाहते हैं। यह आजकल के युवाओं की सबसे बड़ी कमजोरी है। लगातार जॉब बदलते रहना, किसी एक कंपनी में ज्यादा दिन तक नहीं रूकने की प्रवृत्ति इसका एक उदाहरण है।
हाई क्वालीफाइड प्रबंधन की पढ़ाई करने वाले लोगों को भी यह बताया जाता है कि धैर्य के अभाव में वे कुछ भी हासिल नहीं कर सकते। इसके बावजूद युवा उस पढ़ाई के पाठ को निजी जिंदगी में नहीं उतार पाते और जल्द ही सब कुछ हासिल करने के चक्कर में सब कुछ खो बैठते

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