आजकल सरकारी नौकरियों की कमी, बढ़ती जनसंख्या और अपने स्वयं के काम के प्रति युवाओं का बढ़ता रूझान स्वयंसेवी संगठनों की स्थापना की ओर स्वाभाविक रूप से बढ़ रहा है। सरकार की कल्याणकारी योजनाएं और अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर मिलने वाली मदद ने भी युवाओं को आकर्षित किया है।नाम-दाम और पुरस्कारों के चलते तथा अच्छा काम करने वालों को सदैव के लिए जमा जमाया काम पीढि़यों को हस्तांतरित करने की स्थिति के चलते लोगों में इसे आजीविका का साधन बनाने का मौका मिला है।
समस्या
आपको किसी ऎसी ज्वलंत समस्याओं को ढूंढना होगा जो जन सामान्य से जुड़ी हो। आपके क्षेत्र के लोग उसका समाधान नहीं ढूंढ पा रहे हों। सरकार को भी इसका समाधान नहीं सूझ रहा हो।लोग के हाल-बेहाल से विश्व समुदाय का ध्यान आकर्षित किया जा सकता हो। आप उसका समाधान कैसे करेंगे। उसे मिशन के रूप में निर्धारित कीजिए।
समाधान के लिए शोध करें
इस समस्या के समाधान के लिए वैज्ञानिक और व्यावाहारिक योजना का निर्माण करें। समस्याओं पर शोध करें और अपना नजरिया प्रेक्टिकल के धरातल पर बनाएं। योजना का स्वरूप, कार्य करने की संभावनाएं, कार्य के परिणाम मिलने की न्यूनतम अवधि, कार्य योजना को क्रियान्वयन करने के लिए साधनों की जरूरत और मिशन के सफल होने की संभावनाओं पर विचार करें। अनुमानित बजट का निर्धारण करें तथा उसको जुटाने की संभावनाओं पर विचार करें।
समूह बनाकर काम करें
अपनी टीम के गठन के लिए अपने जैसे विचारों वाले युवा साथियों की खोज करें। समान विचार वाले यदि उम्र में बुजुर्ग व्यक्ति भी जुड़ना चाहते हों तो उन्हें भी जोडिए।वे टिककर काम करेंगे। उनके अनुभवों का लाभ मिलेगा।संस्था संगठनों में काम करने का अनुभव होना चाहिए। इससे उन्हें काम करने के लिए फील्ड मिलेगा और अपेक्षित परिणाम दे पाएंगे।टीम के चयन में इन बातों का विशेष ध्यान रखें कि कहीं उनमें पैसे के प्रति अतिशय मोह तो नहीं है। लक्ष्य और ध्येय के प्रति समर्पित हुए बिना एनजीओज में चमत्कारिक परिणाम नहीं दिए जा सकते। कार्यकर्ताओं की आजीविका और सुविधाओं का ध्यान रखे बिना लम्बे समय तक उन्हें जोड़कर रखा नहीं जा सकता। इससे लाभ मिलेगा तब जब वर्कस का ध्यान रखा जाएगा।
संस्थागत शुरूआत करें
अपने विचारों को मूर्त और कानूनी जामा पहनाने के लिए आपको विशेष संस्था का गठन करना होगा। नियम उप नियम बनाएं ताकि सरकारी मदद मिल सके। संस्था का संविधान निर्माण करने के लिए नियम-उपनियमों का निर्धारण आप अन्य एंजीओज के संविधान को देखकर कर सकते हैं। संगठन की रूपरेखा ,सदस्यों की संख्या,वित्तीय वर्ष/अकाउंटिंग साइकिल,प्लानिंग,वर्किग मैथोडोलॉजी शामिल है।
पंजीकरण
भारत में कार्य करना बड़ा सरल है। यहां बिना लाभ-बिना नुकसान के कार्य करने वाले संगठनों को कंपनी एक्ट धारा-25 के अन्तर्गत ट्रस्ट,संस्था,सोसायटी या प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के तौर पर रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं।
पूंजी का इंतजाम करें
नॉन प्रोफिट संस्थाओं के लिए यह ज्यादा महत्वपूर्ण है कि वे वित्तीय व्यवस्था कैसे करेंगे। आप तीन तरह से फंड जुटा सकते हैं। कारपोरेट सेक्टर आपके लिए मददगार साबित हो सकता है।ट्रस्ट और फाउंडेशन भी आर्थिक सहयोग प्रदान करते हैं। जन सामान्य का सहयोग और उत्पाद बेचकर भी आर्थिक संसाधन जुटा सकते हैं। सदस्यों से सदस्यता शुल्क,चंदा, विदेशी एजेंसियों से सहायता प्राप्त की जा सकती है। सरकार के कई मंत्रालय भी वित्तीय सहायता प्रदान करते हैं किंतु इसके लिए संस्था का रजिस्ट्रेशन तीन साल पुराना होना चाहिए।
साख बनाएं
सोसाइटी,देश, अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी साख बनाएं। आपके कार्य की ईमानदारी का लोग लोहा मानें। आपके कार्य मात्र कागजी न हों। जनता पर उसका प्रभाव दिखाई देना चाहिए। इंस्पेक्शन को गंभीरता से लें। ऎसा करके आप आगे बढ़ सकते हैं।
आपको किसी ऎसी ज्वलंत समस्याओं को ढूंढना होगा जो जन सामान्य से जुड़ी हो। आपके क्षेत्र के लोग उसका समाधान नहीं ढूंढ पा रहे हों। सरकार को भी इसका समाधान नहीं सूझ रहा हो।लोग के हाल-बेहाल से विश्व समुदाय का ध्यान आकर्षित किया जा सकता हो। आप उसका समाधान कैसे करेंगे। उसे मिशन के रूप में निर्धारित कीजिए।
समाधान के लिए शोध करें
इस समस्या के समाधान के लिए वैज्ञानिक और व्यावाहारिक योजना का निर्माण करें। समस्याओं पर शोध करें और अपना नजरिया प्रेक्टिकल के धरातल पर बनाएं। योजना का स्वरूप, कार्य करने की संभावनाएं, कार्य के परिणाम मिलने की न्यूनतम अवधि, कार्य योजना को क्रियान्वयन करने के लिए साधनों की जरूरत और मिशन के सफल होने की संभावनाओं पर विचार करें। अनुमानित बजट का निर्धारण करें तथा उसको जुटाने की संभावनाओं पर विचार करें।
समूह बनाकर काम करें
अपनी टीम के गठन के लिए अपने जैसे विचारों वाले युवा साथियों की खोज करें। समान विचार वाले यदि उम्र में बुजुर्ग व्यक्ति भी जुड़ना चाहते हों तो उन्हें भी जोडिए।वे टिककर काम करेंगे। उनके अनुभवों का लाभ मिलेगा।संस्था संगठनों में काम करने का अनुभव होना चाहिए। इससे उन्हें काम करने के लिए फील्ड मिलेगा और अपेक्षित परिणाम दे पाएंगे।टीम के चयन में इन बातों का विशेष ध्यान रखें कि कहीं उनमें पैसे के प्रति अतिशय मोह तो नहीं है। लक्ष्य और ध्येय के प्रति समर्पित हुए बिना एनजीओज में चमत्कारिक परिणाम नहीं दिए जा सकते। कार्यकर्ताओं की आजीविका और सुविधाओं का ध्यान रखे बिना लम्बे समय तक उन्हें जोड़कर रखा नहीं जा सकता। इससे लाभ मिलेगा तब जब वर्कस का ध्यान रखा जाएगा।
संस्थागत शुरूआत करें
अपने विचारों को मूर्त और कानूनी जामा पहनाने के लिए आपको विशेष संस्था का गठन करना होगा। नियम उप नियम बनाएं ताकि सरकारी मदद मिल सके। संस्था का संविधान निर्माण करने के लिए नियम-उपनियमों का निर्धारण आप अन्य एंजीओज के संविधान को देखकर कर सकते हैं। संगठन की रूपरेखा ,सदस्यों की संख्या,वित्तीय वर्ष/अकाउंटिंग साइकिल,प्लानिंग,वर्किग मैथोडोलॉजी शामिल है।
पंजीकरण
भारत में कार्य करना बड़ा सरल है। यहां बिना लाभ-बिना नुकसान के कार्य करने वाले संगठनों को कंपनी एक्ट धारा-25 के अन्तर्गत ट्रस्ट,संस्था,सोसायटी या प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के तौर पर रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं।
पूंजी का इंतजाम करें
नॉन प्रोफिट संस्थाओं के लिए यह ज्यादा महत्वपूर्ण है कि वे वित्तीय व्यवस्था कैसे करेंगे। आप तीन तरह से फंड जुटा सकते हैं। कारपोरेट सेक्टर आपके लिए मददगार साबित हो सकता है।ट्रस्ट और फाउंडेशन भी आर्थिक सहयोग प्रदान करते हैं। जन सामान्य का सहयोग और उत्पाद बेचकर भी आर्थिक संसाधन जुटा सकते हैं। सदस्यों से सदस्यता शुल्क,चंदा, विदेशी एजेंसियों से सहायता प्राप्त की जा सकती है। सरकार के कई मंत्रालय भी वित्तीय सहायता प्रदान करते हैं किंतु इसके लिए संस्था का रजिस्ट्रेशन तीन साल पुराना होना चाहिए।
साख बनाएं
सोसाइटी,देश, अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी साख बनाएं। आपके कार्य की ईमानदारी का लोग लोहा मानें। आपके कार्य मात्र कागजी न हों। जनता पर उसका प्रभाव दिखाई देना चाहिए। इंस्पेक्शन को गंभीरता से लें। ऎसा करके आप आगे बढ़ सकते हैं।
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