सूचना प्रौद्योगिकी के इस युग में चिप लेवल इंजीनियरों की मांग एकदम से बढ़ी है। लेकिन यह भी सच है कि आईटी शिक्षा प्राप्त करने वाले अधिकतर प्रशिक्षुओं को चिप लेवल के बारे में कोई जानकारी ही नहीं है। चिप लेवल इंजीनियरिंग कोर्स करने के तुरंत बाद कम्प्यूटर निर्माण, एसेम्बलिंग करने वाली राष्ट्रीय/बहुराष्ट्रीय कंपनियों में अच्छे ऑफर मिलने लगते हैं। आजकल कंप्यूटर निर्माण करने वाली कंपनियां चिप लेवल इंजीनियरों को ही ऊंचे वेतनमान पर तुरंत रोजगार दे रही हैं। आज संपूर्ण आईटी उद्योग सच माइने में चिप लेवल इंजीनियर की कार्य-कुशलता पर ही टिका हुआ है।
चिप लेवल क्या है
लेकिन इससे बिल्कुल अलग है चिप लेवल पाठ्यक्रम । इस कोर्स को करने वाला व्यक्ति खराब कार्ड, पार्ट या पुर्जे को सिर्फ बदलने का ही काम नहीं करता बल्कि यह खराब कार्ड या पार्ट को दुरूस्त करके उसे पूर्ववत काम करने लायक बना देता है। जाहिर है कार्ड बदलने पर खर्च अधिक आता है जबकि ठीक कर देने में नाम मात्र खर्च आता है। इसलिए आजकल कार्ड लेवल इंजीनियरों की जगह कंप्यूटर निर्माण मेंटेनेंस असेम्बिलंग करने वाली कंपनियों चिप लेवल इंजीनियरों की भर्ती कर रही हैं। यही वजह है कि कंप्यूटर हार्डवेयर का कोर्स अत्यधिक रोजगारात्मक हो गया है।
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Sunday, December 21, 2008
नई दिशांए-चिप लेवल इंजीनियरिंग
कंप्यूटर ट्रेनिंग दो प्रकार की होती हैं। पहली सॉफ्टवेयर ट्रेनिंग और दूसरी हार्डवेयर ट्रेनिंग। सॉफ्टवेयर के अंतर्गत विभिन्न तरह के कंप्यूटर प्रोग्राम और सॉफ्टवेयर बनाने की ट्रेनिंग दी जाती है। सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग को कंप्यूटर के सामने बैठे-बैठे सारा काम करना होता है। इसमें महारथ हासिल करने के लिए अंग्रेजी भाषा पर अच्छी पकड़ होनी अनिवार्य है क्योंकि पूरा पाठ्यक्रम अंग्रेजी में ही संचालित होता है। इसका नतीजा यह होता है कि अंग्रेजी पर कमजोर पकड़ वाले छात्र उतने सफल नहीं हो पाते। इसलिए ऎसे छात्रों को हार्डवयेर ट्रेनिंग लेनी चाहिए। हार्डवयेर टे्रनिंग अनेक संस्थाओं में हिंदी में भी दी जाती है। यह दो प्रकार की होती हैं।
कार्ड लेवल कोर्स एवं चिप कम्पोनेंट लेवल कोर्स कार्ड लेवल ट्रेनिंग ही अधिकतर संस्थानों में आजकल दी जा रही है। चिप लेवल के कुछ गिने-चुने संस्थान ही हैं। कार्ड लेवल के अंतर्गत असेम्बलिंग, मेंटनेंस आदि सिखाया जाता है। इस कोर्स में केवल यह सिखाया जाता है कि यदि कंप्यूटर में कोई त्रुटि हो जाए तो खराब हुआ पार्ट बदल कर दूसरा पार्ट/कार्ड या पुर्जा लगा दिया जाए।
पाठ्यक्रमएक वर्ष के डिप्लोमा कोर्स के अंतर्गतर मदर बोर्ड, मॉनिटर, फ्लॉपी ड्राइव, सीडी ड्राइव, हार्ड डिस्क ड्राइव रिपयेरिंग एवं विंडोज एंट्री की ट्रेनिंग दी जाती है। बहुचर्चित कंप्यूटर संस्थान "ए-सेट" के अंतर्गत उपरोक्त सिलेबस के अतिरिक्त एसएमपीएस (पावर सप्लाई) एटीएक्स, मॉनिटर्स/बीजीए/कलर, मदर बोर्ड अपटू पेन्टियम, प्रिंटर (डॉट मैट्रिक्ज, कलर, लेजर), की-बोर्ड, माउस, डिस्प्ले कार्ड्स की शिक्षा दी जाती है। साथ ही लोकल एरिया नेटवर्किग (एलएएन) इंटरनेट की भी सूक्ष्मताओं से अवगत कराया जाता है।
शैक्षणिक योग्यताचिप लेवल डिप्लोमा कोर्स करने के लिए 10वीं प्रथम श्रेणी या 10+2 किसी भी श्रेणी में उत्तीर्ण होना चाहिए। विज्ञान, कला, वाणिज्य सभी संकाय के छात्र प्रवेश ले सकते हैं।
वेतनइस कोर्स को करने के बाद शुरूआती वेतन पांच से आठ हजार से शुरू होकर कुछ ही माह में अनुभवानुसार 30,000 रूपए तक आसानी से पहुंच जाता है। बहुराष्ट्रीय कंपनियों में वेतन की कोई सीमा नहीं है। बशर्ते योग्यता व अनुभव हो।
रोजगार की संभावनाएंइस कोर्स को करने के बाद कंप्यूटर निर्माण करने वाली कंपनियों, कंप्यूटर मरम्मत कार्य करने वाले केन्द्रों में नौकरी मिल सकती है। कोर्स के अंतिम चरण में छात्रों को साक्षात्कार की तैयारी करने एवं नौकरी खोजने के तौर तरीकों से भी अवगत कराया जाता है।
कोर्स कहां करेंहार्डवेयर शिक्षा देने वाले तमाम संस्थान है लेकिन अधिकांश (95 प्रतिशत) संस्थानों में कार्ड लेवेल ट्रेनिंग परंपरागत प्रकार से दी जाती है जबकि चिप लेवल वर्तमान समय में प्रासंगिक और अत्याधुनिक कोर्स
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1 comments:
सुंदर जानकारी
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