कार्यो को पूरा करने के लिए आज प्रशिक्षित सामाजिक कार्यकर्ताओं की मांग बढती जा रही है। यदि आप भी सोशल वर्क में ऑनर्स कर रहे हैं, तो इस कोर्स पर बेहतर पकड बनाने के लिए मेहनत और लगन के साथ तैयारी में जुट जाएं।
समझें पाठ्यक्रम के मसविदे को
इस कोर्स के अंतर्गत समाज सेवा सिद्धांत एवं प्रयोग, समाज का ढांचा, मानवीय वद्धि एवं व्यक्तित्तव विकास, सामाजिक समस्याएं, समाज सेवा की विधियों, समाज सेवा के क्षेत्र, समाजिक नीति एवं योजना, समाजिक विकास, संचार जैसे अनिवार्य विषयों के अलावा, कुछ वैकल्पिक विषय भी पढाए जाते हैं। इसके साथ-साथ सोशल वर्क के व्यावहारिक पहलुओं को सीखने के लिए सामाजिक कल्याण एवं विकास के क्षेत्र में कार्यरत एजेंसियों में स्टूडेंट्स को सप्ताह में दो अथवा तीन दिन के लिए फील्ड वर्क भी करना पडता है।
जरूरी है व्यावसायिक शैली
समाज सेवा के विद्यार्थियों के लिए यह जरूरी है कि वे क्लास रूम में इसके मूलभूत को प्राध्यापकों से जानें और समझें। साथ ही, इस विषय पर व्यवसायिक ढंग हासिल करने के लिए इन बातों पर भी अमल करें :
आत्मानुशासन का सख्ती से पालन करें।
समय प्रबंधन पर दें खास ध्यान।
दिशापूर्ण अथवा लक्ष्य केन्द्रित तरीके अपनाएं।
अभिव्यक्ति एवं लेखन क्षमता को उन्नत करें।
सीखें डॉक्यूमेंटेशन करना
सोशल वर्क में डॉक्यूमेंटेशन का विशेष महत्व है। इसमें डायग्राम्स, ग्राफ, टेबल्स एवं चार्टो का प्रयोग करते हुए लेखन कार्य करना होता है। लगातार अभ्यास से बहुत जल्द आप खुद में सुधार देखेंगे। हां, विषय संबंधी की-वर्ड्स को याद करना न भूलें।
करें आत्म-मूल्यांकन
इस पाठ्यक्रम के विद्यार्थियों को सामाजिक समस्याओं चाहे वे व्यक्तिगत स्तर पर हों, सामूहिक स्तर पर अथवा सामुदायिक स्तर पर, उनका समाधान करना पडता है। इसमें व्यक्तित्व एवं व्यवहार अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसलिए अपने व्यवहार में सरलता और सहजता लाएं। व्यक्तित्व एवं व्यवहार संबंधी कमजोरियों को तत्काल दूर करने का प्रयास करें।
मैदानी अभ्यास नियमित करें
यह विषय समाज के विभिन्न पहलुओं से संबंधित है। इसके अंतर्गत संपूर्ण समाज एक प्रयोगशाला है। फील्ड प्रैक्टिस लर्निग के लिए सामाजिक संरचना, सामाजिक घटनाओं, मानवीय संबंधों, सामाजिक मनोविज्ञान को समझें।
अवलोकन व विश्लेषण
सोशल वर्क पाठ्यक्रम के अंतर्गत फील्ड वर्क के दौरान ऐसे अनेक अवसर आते हैं, जब विद्यार्थियों को कुछ न कुछ अवलोकन करना होता है। तर्कपूर्ण सोच का प्रयोग करते हुए अवलोकन किए गए बिंदुओं का विश्लेषण करें।
कार्यशालाओं में जाएं और ज्ञान पाएं
समकालीन सामाजिक समस्याओं एवं चुनौतियों तथा उनके समाधान के मॉडलों को समझने हेतु संगोष्ठियों एवं कार्यशालाओं में भागीदारी बेहतर मंच प्रदान करती हैं। इनमें सक्रिय रूप से भाग लेने से आप अपने विषय में रुचि लेंगे और उसे गहराई से समझेंगे।
किताबों से करें दोस्ती
समाज सेवा विषय के आधारभूत सिद्धांतों को समझने के लिए कुछ अच्छी किताबें हैं, जिनसे आपको इस विषय पर पकड बनाने में आसानी होगी। इनके नाम हैं:
ह्यूमन सोसाइटी-किंग्सले डेविस
द हैंड बुक ऑफ सोशल साइकोलॉजी (वॉल्यूम एक से पांच)
जी.लिन्डजी एवं ई.एंडरसन
इंटरनेशनल सोशल वर्क-एल.एम.हीली
मेथडोलॉजी ऑफ रिसर्च इन सोशल साइंसेज-ओ.आर.कृष्णास्वामी
सोशल वर्क एंड एम्पॉवरमेंट-राबर्ट एडम्स
कम्यूनिटी ऑर्गनाइजेशन इन इंडिया- एच.वाई.सिद्दीकी
मैगजींस एवं जर्नल्स
नवीनतम जानकारियों से खुद को जागरूक रखने के लिए विद्यार्थी इन पत्रिकाओं व जर्नल को देख सकते हैं:
योजना, कुरूक्षेत्र, सोशल वेलफेयर, इंडियन जर्नल्स ऑफ सोशल वर्क, कंटेम्पररी सोशल वर्क और सोशल वर्क रिव्यू
क्या करें, क्या न करें
प्रत्येक विषय अथवा अवधारणा को समझने के बाद ही आगे बढें।
नियमित रूप से पढने की आदत डालें और नोट्स बनाएं।
फील्ड वर्क करते समय पर्यवेक्षक के दिशा-निर्देशों का पालन करें।
जहां तक संभव हो केस स्टडीज जरूर पढें।
मैदानी काम को मौज मस्ती न समझें।
इस कोर्स के अंतर्गत समाज सेवा सिद्धांत एवं प्रयोग, समाज का ढांचा, मानवीय वद्धि एवं व्यक्तित्तव विकास, सामाजिक समस्याएं, समाज सेवा की विधियों, समाज सेवा के क्षेत्र, समाजिक नीति एवं योजना, समाजिक विकास, संचार जैसे अनिवार्य विषयों के अलावा, कुछ वैकल्पिक विषय भी पढाए जाते हैं। इसके साथ-साथ सोशल वर्क के व्यावहारिक पहलुओं को सीखने के लिए सामाजिक कल्याण एवं विकास के क्षेत्र में कार्यरत एजेंसियों में स्टूडेंट्स को सप्ताह में दो अथवा तीन दिन के लिए फील्ड वर्क भी करना पडता है।
जरूरी है व्यावसायिक शैली
समाज सेवा के विद्यार्थियों के लिए यह जरूरी है कि वे क्लास रूम में इसके मूलभूत को प्राध्यापकों से जानें और समझें। साथ ही, इस विषय पर व्यवसायिक ढंग हासिल करने के लिए इन बातों पर भी अमल करें :
आत्मानुशासन का सख्ती से पालन करें।
समय प्रबंधन पर दें खास ध्यान।
दिशापूर्ण अथवा लक्ष्य केन्द्रित तरीके अपनाएं।
अभिव्यक्ति एवं लेखन क्षमता को उन्नत करें।
सीखें डॉक्यूमेंटेशन करना
सोशल वर्क में डॉक्यूमेंटेशन का विशेष महत्व है। इसमें डायग्राम्स, ग्राफ, टेबल्स एवं चार्टो का प्रयोग करते हुए लेखन कार्य करना होता है। लगातार अभ्यास से बहुत जल्द आप खुद में सुधार देखेंगे। हां, विषय संबंधी की-वर्ड्स को याद करना न भूलें।
करें आत्म-मूल्यांकन
इस पाठ्यक्रम के विद्यार्थियों को सामाजिक समस्याओं चाहे वे व्यक्तिगत स्तर पर हों, सामूहिक स्तर पर अथवा सामुदायिक स्तर पर, उनका समाधान करना पडता है। इसमें व्यक्तित्व एवं व्यवहार अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसलिए अपने व्यवहार में सरलता और सहजता लाएं। व्यक्तित्व एवं व्यवहार संबंधी कमजोरियों को तत्काल दूर करने का प्रयास करें।
मैदानी अभ्यास नियमित करें
यह विषय समाज के विभिन्न पहलुओं से संबंधित है। इसके अंतर्गत संपूर्ण समाज एक प्रयोगशाला है। फील्ड प्रैक्टिस लर्निग के लिए सामाजिक संरचना, सामाजिक घटनाओं, मानवीय संबंधों, सामाजिक मनोविज्ञान को समझें।
अवलोकन व विश्लेषण
सोशल वर्क पाठ्यक्रम के अंतर्गत फील्ड वर्क के दौरान ऐसे अनेक अवसर आते हैं, जब विद्यार्थियों को कुछ न कुछ अवलोकन करना होता है। तर्कपूर्ण सोच का प्रयोग करते हुए अवलोकन किए गए बिंदुओं का विश्लेषण करें।
कार्यशालाओं में जाएं और ज्ञान पाएं
समकालीन सामाजिक समस्याओं एवं चुनौतियों तथा उनके समाधान के मॉडलों को समझने हेतु संगोष्ठियों एवं कार्यशालाओं में भागीदारी बेहतर मंच प्रदान करती हैं। इनमें सक्रिय रूप से भाग लेने से आप अपने विषय में रुचि लेंगे और उसे गहराई से समझेंगे।
किताबों से करें दोस्ती
समाज सेवा विषय के आधारभूत सिद्धांतों को समझने के लिए कुछ अच्छी किताबें हैं, जिनसे आपको इस विषय पर पकड बनाने में आसानी होगी। इनके नाम हैं:
ह्यूमन सोसाइटी-किंग्सले डेविस
द हैंड बुक ऑफ सोशल साइकोलॉजी (वॉल्यूम एक से पांच)
जी.लिन्डजी एवं ई.एंडरसन
इंटरनेशनल सोशल वर्क-एल.एम.हीली
मेथडोलॉजी ऑफ रिसर्च इन सोशल साइंसेज-ओ.आर.कृष्णास्वामी
सोशल वर्क एंड एम्पॉवरमेंट-राबर्ट एडम्स
कम्यूनिटी ऑर्गनाइजेशन इन इंडिया- एच.वाई.सिद्दीकी
मैगजींस एवं जर्नल्स
नवीनतम जानकारियों से खुद को जागरूक रखने के लिए विद्यार्थी इन पत्रिकाओं व जर्नल को देख सकते हैं:
योजना, कुरूक्षेत्र, सोशल वेलफेयर, इंडियन जर्नल्स ऑफ सोशल वर्क, कंटेम्पररी सोशल वर्क और सोशल वर्क रिव्यू
क्या करें, क्या न करें
प्रत्येक विषय अथवा अवधारणा को समझने के बाद ही आगे बढें।
नियमित रूप से पढने की आदत डालें और नोट्स बनाएं।
फील्ड वर्क करते समय पर्यवेक्षक के दिशा-निर्देशों का पालन करें।
जहां तक संभव हो केस स्टडीज जरूर पढें।
मैदानी काम को मौज मस्ती न समझें।
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