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Wednesday, November 19, 2008

व्यवहारिक मनोविज्ञान समस्याओं को करे आसान..

अप्लॉयड साइकोलॉजी, साइकोलॉजी के सैद्धांतिक रूप को प्रायोगिक स्वरूप में समझने और उपयोग में लाने का विज्ञान है। इसकी सहायता से कोई भी स्टूडेंट केवल खुद के व्यक्तित्व का आकलन कर सकता है, बल्कि काउंसलिंग अन्य माध्यमों से लोगों की समस्याओं को भी बहुत हद तक सुलझा सकता है। आइए जानते हैं कि इसे समझने के लिए किन-किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है :


कोर्स कंटेंट पर दें ध्यान
अप्लॉयड साइकोलॉजी के अंतर्गत विद्यार्थियों को साइकोलॉजी के आधारभूत सिद्धांतों को तो पढना ही होता है, इसके साथ ही ह्यूमन रिसोर्स डेवलॅपमेंट, ऑर्गेनाइजेशनल बिहेवियर, बिहेवियरल रिसर्च भी इस विषय का हिस्सा होता है। अप्लॉयड साइकोलॉजी को समझने के लिए थ्योरी क्लासेज और प्रैक्टिकल्स दोनों का अनुपात बराबर होना चाहिए। स्टूडेंट्स हर टॉपिक की थ्योरी को समझें। इसके अलावा प्रैक्टिकल्स के जरिए उन्हें व्यावहारिक रूप में समझने का अभ्यास करें। थ्योरी क्लासेज में स्टूडेंट्स इन बातों पर जरूर ध्यान दें :

मानव व्यवहार अप्लॉयड साइकोलॉजी का आधार है। जो भी पढाया जाए, उसे ह्यूमन बिहेवियर से लिंक करके समझें।
कोई टर्म समझ में न आए, तो प्रॉब्लम को प्राध्यापक से संपर्क कर तुरंत क्लियर करें।
हर पेपर के लिए अलग-अलग नोट बुक बनाएं। ऐसा करने से पिछली क्लास में क्या पढाया गया है, उसे ढूंढने में टाइम खराब नहीं होगा।

किताबें पढें, आगे बढें
विषय के बेसिक्स को समझने के बाद अधिक से अधिक पुस्तकें पढने की बजाय एक ही किताब को कई बार पढें। इस विषय पर कुछ अच्छी किताबें हैं :
इंट्रोडक्शन टू साइकोलॉजी : हिलगार्ड ऐंड ऐटकिंस इंट्रोडक्शन टू जनरल साइकोलॉजी : मॉर्गन ऐंड किंग थ्योरीज ऐंड प्रैक्टि्स ऑफ साइकोलॉजिकल टेस्टिंग : एफ.एस.फ्रीमैन सोशल साइकोलॉजी : आर.ए.बैरन ऐंड बैरन

ऑर्गेनाइजेशनल बिहेवियर : एफ.लूथंस
फाउंडेशन ऑफ बिहेवियरल रिसर्च : केलिंगर
साइकोलॉजिकल टेस्टिंग : ऐनेस्ट्सी
हैंडबुक ऑफ काउंसिलिंग साइकोलॉजी : आर.एस.वूफ

नोट्स बनाना है जरूरी
आप हर वक्त किताब से ही नहीं पढ सकते, इसलिए नोट्स बनाना बेहद जरूरी है। नोट्स बनाते समय इन बातों पर विशेष रूप से ध्यान दें :
हमेशा लूज शीट पर ही नोट्स बनाएं। इससे नोट्स को अपडेट करने में आसानी होगी।
बेसिक टेक्स्ट बुक को नोट्स का प्रमुख आधार बनाएं।
स्टैंडर्ड रेफरेंस बुक्स से आप इम्पॉर्टेट प्वॉइंट्स अपने नोट्स में जोडें।
मैगजीन/जर्नल/इंटरनेट से प्राप्त जानकारियों को भी जहां उपयोगी समझें, वहां लिखें।

उत्तर लिखने का करें अभ्यास
जनरल साइकोलॉजी के आधारभूत सिद्धांतों को समझने के लिए जरूरी है कि विद्यार्थी घर पर खुद ही इस विषय के महत्वपूर्ण टॉपिक्स पर अपने प्रश्न बनाएं और उनके उत्तर लिखने की कोशिश करें। इसके बाद उसे अपने प्राध्यापकों को दिखाएं और उस पर उनकी सलाह से सुधार करें। आपकी परफॉर्मे स से प्राध्यापक जान लेंगे कि आपको कहां पर और किस तरह की परेशानी आ रही है और उसे कैसे दूर किया जा सकता है।

नेट से जुटाएं इन्फॉर्मेशन
अप्लॉयड साइकोलॉजी के विद्यार्थी गूगल सर्च इंजन पर इससे संबंधित किसी भी टॉपिक को टाइप करके बहुत-सी उपयोगी सामग्री सर्च कर सकते हैं। इसके साथ ही इस विषय में लेटेस्ट जानकारियों से भी खुद को अपडेट रख सकते हैं।

अखबार/मैगजीन्स/जर्नल्स
अप्लॉयड साइकोलॉजी के स्टूडेंट्स के लिए कुछ उपयोगी मैगजीन्स और जर्नल्स के नाम हैं : टाइम, साइंस रिपोर्टर, सोशल साइकोलॉजिकल क्वार्टरली, क्लीनिकल साइकोलॉजिकल क्वार्टरली

क्या करें, क्या न करें
विषय को रुचि के साथ पढें।
रेगुलर सेल्फ असेसमेंट करते रहें।
इस विषय में आउटडोर प्रैक्टिकल्स के लिए एनजीओ और पुनर्वास केंद्रों में भी जाना पडता है। वहां अधिक से अधिक व्यावहारिक ज्ञान अर्जित करने की कोशिश करें।

इस विषय से संबंधित सेमिनार और कार्यशालाओं को जरूर अटेंड करें।
मौका मिले, तो कुछ मनोवैज्ञानिकों से मिलने की कोशिश करें। इससे आपको कुछ नया जानने-समझने को मिलेगा।

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