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Monday, September 10, 2012

विश्वविद्यालय परिसरों को राजनीति का अखाड़ा न बनायें

 प्रतिबंधात्मक क्षेत्र घोषित किये जायेंगे विश्वविद्यालयों के परिसर
कुलाधिपति एवं राज्यपाल श्री राम नरेश यादव ने कहा है कि विश्वविद्यालयों को राजनीति का अखाड़ा न बनाया जाये। उन्होंने कहा कि परिसरों में राजनीतिक गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए विश्वविद्यालय परिसरों को प्रतिबंधात्मक क्षेत्र घोषित किया जायेगा। राज्यपाल श्री यादव आज यहाँ राजभवन में विश्वविद्याल समन्वय समिति की 87वीं बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। श्री यादव ने कहा कि कुलपतियों का यह दायित्व है कि वे विश्वविद्यालयों में शुचितापूर्ण शैक्षणिक वातावरण बनाने में पूरी तरह सख्ती बरतें और छात्रों में अनुशासन, चरित्र और नैतिकता के गुण विकसित होने के लिए अनुकूल वातावरण तैयार करें।

राज्यपाल श्री यादव ने कहा कि कुलपतियों और कुलसचिवों को इस मुद्दे पर पूरी तरह से सजग और सतर्क होना चाहिए। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों में राजनीतिक गतिविधियाँ कतई बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। ऐसा होना न केवल तकलीफदेह है बल्कि समाज में भी इसका विपरीत संदेश जाता है। श्री यादव ने कहा कि विश्वविद्यालय के सभी कार्यों में पूर्ण पारदर्शिता होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय शिक्षा में उत्कृष्टता के केंद्र बनें। श्री यादव ने कहा कि छात्रों के प्रवेश, नियमित कक्षाएँ, निर्धारित समय पर परीक्षाओं का आयोजन और परिणामों की घोषणा और यथासम्भव डिग्रियों का शीघ्र वितरण सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
बैठक में जानकारी दी गई कि पूरे देश में केवल मध्यप्रदेश में ऑनलाईन प्रवेश की प्रक्रिया पूरी की गई है। प्रवेश के लिए अतिरिक्त समय देकर भी सभी महाविद्यालयों में अधिकतम प्रवेश सुनिश्चित किया गया है। राज्यपाल श्री यादव ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि प्रदेश में पिछले शैक्षणिक वर्ष में समय पर प्रवेश दिये गये। समय पर अध्यापन कार्य प्रारम्भ हो गया और निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार परीक्षाएँ सम्पन्न हुईं तथा यथासमय परीक्षा परिणामों की घोषणा भी कर दी गई। इस वर्ष भी प्रवेश देने का कार्य अच्छी तरह से पूरा हो गया है। इसके लिए उन्होंने सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को बधाई दी।
प्रदेश के कुछ विश्वविद्यालयों में कुछ पाठ्यक्रमों में छात्रों की संख्या बहुत कम है, जबकि प्राध्यापकों की संख्या ज्यादा है। दूसरी ओर उसी पाठ्यक्रम के लिए प्रदेश के किसी अन्य विश्वविद्यालय में छात्रों की संख्या ज्यादा है और प्राध्यापकों की संख्या कम है। इस समस्या के समाधान के लिए बैठक में यह निर्देश दिया गया कि ऐसी स्थिति में किसी विश्वविद्यालय के अतिरिक्त प्राध्यापकों को कमी वाले विश्वविद्यालय में प्रतिनियुक्ति पर भेजने का निर्णय दोनों विश्वविद्यालय आपसी सहमति से ले सकेंगे। राज्यपाल श्री यादव ने विश्वविद्यालयों से आग्रह किया कि ऐसे पाठ्यक्रमों के प्रति छात्रों को आकर्षित करने की दृष्टि से एक कार्य- योजना तैयार करें। इसके तहत ऐसे पाठ्यक्रमों के प्राध्यापक भी इन पाठ्यक्रम के अध्ययन के लिए छात्रों की अधिक संख्या को प्रोत्साहित करें। साथ ही इसका समुचित प्रसार-प्रचार भी किया जाये।
बैठक में प्रदेश के विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा विभाग के तहत एक शोध निर्देशक के अंतर्गत एक समय में शोध छात्रों की संख्या निर्धारित करने के बाबत उच्च शिक्षा अनुदान आयोग के नियमों का सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया गया।
बैठक में मानवीय दृष्टिकोण से यह भी निर्णय लिया गया कि बरकतउल्ला विश्वविद्यालय, भोपाल के जो छात्रों, तर्कसंगत कारणों से अपने शोध पत्र निर्धारित अवधि में प्रस्तुत नहीं कर सके हैं और उन्होंने कारणों का उल्लेख करते हुए निर्धारित अवधि के बाद शोध पत्र प्रस्तुत करने की अनुमति चाही है से निश्चित फीस लेकर शोध पत्र जमा करने की केवल एक बार के लिए छूट दी गई। बैठक में डिग्रियों की डिजीटाइजेशन प्रक्रिया की उपादेयता और उसकी वैधानिकता का पक्ष सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय संस्थान के कुलपति श्री एस.एस.सिंह की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाने का निर्णय लिया गया।
बैठक में प्रदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में प्रचलित अध्यादेशों और परिनियमों में एकरूपता लाने के लिए गठित समिति को अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के लिए दो माह का अतिरिक्त समय दिये जाने का निर्णय भी लिया गया। बैठक में स्ववित्तीय पाठ्यक्रम में चयनित संविदा शिक्षकों के नियत वेतन में वृद्धि का अधिकार विश्वविद्यालयों की कार्य-परिषदों को दिया गया। सभी विश्वविद्यालयों को निर्देश दिये गये कि वे बकाया अंकेक्षण शुल्क का तत्काल भुगतान सुनिश्चित करें। विश्वविद्यालयों में तीन वर्ष से अधिक समय से पदस्थ आडिट अधिकारियों के तत्काल स्थानांतरण और विश्वविद्यालयों में रिक्त वित्तीय अधिकारी के पद को प्रतिनियुक्ति द्वारा भरे जाने का भी फैसला हुआ।
बैठक में प्रदेश के समस्त विश्वविद्यालयों में शैक्षणिक पदों के नाम परिवर्तन के लिए समान नियम बनाने के सम्बन्ध में प्रस्तुत प्रस्ताव पर राज्यपाल श्री यादव ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के मार्गदर्शी सिद्धांतों के अनुरूप कार्यवाही के निर्देश दिये। इस प्रस्ताव पर स्थाई समिति द्वारा लेक्चरर को असिस्टेंट प्रोफेसर और रीडर को एसोसिएट प्रोफेसर पद नाम परिवर्तन के सम्बन्ध में कार्यवाही की अनुशंसा की गई थी। इसके अलावा विश्वविद्यालयों में महिला शिक्षकों, अधिकारियों और कर्मचारियों का प्रसूति अवकाश 90 से बढ़ाकर 180 दिन करने का निर्णय भी लिया गया।
प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में गोपनीय कार्य करने वाले शिक्षकों का स्थानीय वाहन भत्ता 40 रूपये से बढ़ाकर 100 रूपये प्रतिदिन करने की मंजूरी दी गई। राज्यपाल श्री यादव ने कुलपतियों से कहा कि विद्यार्थियों के सम्पूर्ण विकास के लिए उच्च शिक्षा विभाग द्वारा तैयार किये गये अकादमिक कैलेन्डर का आवश्यक रूप से पालन सुनिश्चित करवायें। बैठक में विगत बैठक के निर्णयों पर पालन प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया और कार्यवाही विवरण की पुष्टि की गई।
बैठक में राज्यपाल के प्रमुख सचिव श्री विनोद सेमवाल, प्रमुख उच्च शिक्षा श्री जे.एन. कन्सोटिया, प्रमुख सचिव विधि एवं विधायी कार्य श्री जे.एन. चतुर्वेदी, प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा, सचिव वित्त श्री नीरज मंडलोई, आयुक्त उच्च शिक्षा श्री वी.एस. निरंजन और प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों के कुलपति, उच्च शिक्षा विभाग तथा राजभवन के अधिकारी उपस्थित थे।

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