राष्ट्रभाषा प्रचार समिति के अमृत महोत्सव के तीसरे पर्व का शुभारम्भ
Bhopal:Saturday, June 16, 2012
राज्यपाल श्री राम नरेश यादव ने आज यहां हिन्दी भवन में मध्यप्रदेश राष्ट्रभाषा प्रचार समिति द्वारा आयोजित दो दिवसीय 'अमृत महोत्सव' के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि भाषाओं के नाम पर हम एक दूसरे से दूर न हों, भाषाओं को पुल बनाकर एक दूसरे के निकट आने की कोशिशें करें। राज्यपाल श्री यादव ने कहा कि हिन्दी समेत देश की सभी भाषाओं को 21वीं सदी की आवश्यकताओं के अनुरूप समृद्ध बनाना है।
राज्यपाल श्री राम नरेश यादव ने आज यहां हिन्दी भवन में मध्यप्रदेश राष्ट्रभाषा प्रचार समिति द्वारा आयोजित दो दिवसीय 'अमृत महोत्सव' के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि भाषाओं के नाम पर हम एक दूसरे से दूर न हों, भाषाओं को पुल बनाकर एक दूसरे के निकट आने की कोशिशें करें। राज्यपाल श्री यादव ने कहा कि हिन्दी समेत देश की सभी भाषाओं को 21वीं सदी की आवश्यकताओं के अनुरूप समृद्ध बनाना है।
राष्ट्रभाषा प्रचार समिति,वर्धा के 75 वर्ष पूरे होने पर आयोजित की जा रही 'अमृत महोत्सव' के आयोजन की श्रृंखला के तहत नागपुर और वर्धा के बाद भोपाल में यह तीसरा आयोजन था। कार्यक्रम की अध्यक्षता राष्ट्रभाषा प्रचार समिति वर्धा के अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री चंद्रशेखर धर्माधिकारी ने की।
इस अवसर पर राज्यपाल श्री राम नरेश यादव ने श्री युगेश शर्मा द्वारा सम्पादित स्मारिका 'सहोदर', डा. मीनाक्षी जोशी द्वारा लिखित पुस्तक 'साहित्य समय और समाज' और श्री मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति द्वारा प्रकाशित साहित्यकारों पर केन्द्रित केलेण्डर का लोकार्पण किया।
राज्यपाल श्री यादव ने महोत्सव को सम्बोधित करते हुए कहा कि भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं होती। वस्तुत: वह अपने विशाल भाषिक समाज की संस्कृति का प्रतिबिम्ब और राष्ट्रीय अस्मिता की प्रतीक होती है। उसका फलक बहुत व्यापक होता है।
राज्यपाल श्री यादव ने महोत्सव को सम्बोधित करते हुए कहा कि भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं होती। वस्तुत: वह अपने विशाल भाषिक समाज की संस्कृति का प्रतिबिम्ब और राष्ट्रीय अस्मिता की प्रतीक होती है। उसका फलक बहुत व्यापक होता है।
राष्ट्रीय एकता और राष्ट्र के स्थायित्व के लिए राष्ट्रभाषा की अनिवार्यता किसी भी राष्ट्र के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण होती है। श्री यादव ने कहा कि किसी भी व्यक्ति का मानसिक, बौद्धिक और सर्वांगीण विकास अपनी ही भाषा के पठन-पाठन से होता है। मनुष्य को अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए अपनी भाषा की शरण लेनी ही पड़ती है।
उन्होंने कहा कि अन्य भारतीय भाषाएं अपनी प्रांतीय सीमाओं में ही बोली जाती हैं। हिन्दी भाषा बोलने वालों के विस्तृत क्षेत्र और भावनात्मक एकता स्थापित करने की प्रबल शक्ति के कारण ही हिन्दी राष्ट्रभाषा की सबसे सुयोग्य हकदार है। उन्होंने कहा कि भाषा अभिव्यक्ति का माध्यम होने के साथ-साथ व्यक्ति और समाज की पहचान भी है और किसी राष्ट्र को जोड़ती भी है।
श्री यादव ने कहा कि आपसी तालमेल और समन्वित प्रयासों से हमें हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओं के बीच सम्बन्ध सुदृढ़ बनाना हैं। एक मंच तैयार करना है, जिससे राष्ट्रभाषा के पक्ष में सर्वानुमति बनाई जा सके। उन्होंने मध्यप्रदेश सरकार द्वारा शुरू किये जा रहे हिन्दी विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय एकता की दिशा में मध्यप्रदेश सरकार की महत्वपूर्ण पहल बताया। उन्होंने आग्रह किया कि इस विश्वविद्यालय को अपने पाठ्यक्रम में अन्य भारतीय भाषाओं का समावेश भी आरम्भ से ही करना चाहिए।
कार्यक्रम के अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री सी. धर्माधिकारी ने कहा कि मध्यप्रदेश की सीमाएं जिन अन्य राज्यों से जुड़ी हुई हैं वहां भिन्न- भिन्न अन्य भारतीय भाषाएं बोली जाती हैं। हिन्दी और अन्य राज्यों में बोली जाने वाली अन्य भारतीय भाषाएं एक अर्थ में एक दूसरे की पड़ोसी हैं। हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओं के बीच बन्धुत्व की भावना का संचार होना चाहिए। उन्होंने कहा कि समन्वय और आपसी तालमेल से ही न केवल हिन्दी समृद्ध होगी बल्कि अन्य भारतीय भाषाओं का दर्जा भी बढ़ेगा।
इस अवसर पर राज्यपाल श्री राम नरेश यादव को मध्यप्रदेश राष्ट्रभाषा प्रचार समिति के मंत्री-संचालक श्री कैलाशचंद्र पंत की आयु के गतवर्ष 75 वर्ष पूरे होने पर प्रकाशित किये गये अभिनंदन ग्रंथ की प्रति भी भेंट की गई। पूर्व में श्री कैलाशचंद्र पंत ने राष्ट्रभाषा प्रचार समिति की सक्रियताओं और अमृत महोत्सव के आयोजन के उद्देश्यों पर विस्तार से प्रकाश डाला।
श्री यादव ने कहा कि आपसी तालमेल और समन्वित प्रयासों से हमें हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओं के बीच सम्बन्ध सुदृढ़ बनाना हैं। एक मंच तैयार करना है, जिससे राष्ट्रभाषा के पक्ष में सर्वानुमति बनाई जा सके। उन्होंने मध्यप्रदेश सरकार द्वारा शुरू किये जा रहे हिन्दी विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय एकता की दिशा में मध्यप्रदेश सरकार की महत्वपूर्ण पहल बताया। उन्होंने आग्रह किया कि इस विश्वविद्यालय को अपने पाठ्यक्रम में अन्य भारतीय भाषाओं का समावेश भी आरम्भ से ही करना चाहिए।
कार्यक्रम के अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री सी. धर्माधिकारी ने कहा कि मध्यप्रदेश की सीमाएं जिन अन्य राज्यों से जुड़ी हुई हैं वहां भिन्न- भिन्न अन्य भारतीय भाषाएं बोली जाती हैं। हिन्दी और अन्य राज्यों में बोली जाने वाली अन्य भारतीय भाषाएं एक अर्थ में एक दूसरे की पड़ोसी हैं। हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओं के बीच बन्धुत्व की भावना का संचार होना चाहिए। उन्होंने कहा कि समन्वय और आपसी तालमेल से ही न केवल हिन्दी समृद्ध होगी बल्कि अन्य भारतीय भाषाओं का दर्जा भी बढ़ेगा।
इस अवसर पर राज्यपाल श्री राम नरेश यादव को मध्यप्रदेश राष्ट्रभाषा प्रचार समिति के मंत्री-संचालक श्री कैलाशचंद्र पंत की आयु के गतवर्ष 75 वर्ष पूरे होने पर प्रकाशित किये गये अभिनंदन ग्रंथ की प्रति भी भेंट की गई। पूर्व में श्री कैलाशचंद्र पंत ने राष्ट्रभाषा प्रचार समिति की सक्रियताओं और अमृत महोत्सव के आयोजन के उद्देश्यों पर विस्तार से प्रकाश डाला।
दो दिन के इस आयोजन में उद्घाटन सत्र के बाद प्रथम सत्र 'हिन्दी संस्थाओं के समक्ष चुनौतियां और नई भूमिका' पर आयोजित किया गया। पहले दिन का दूसरा और दूसरे दिन होने वाला तीसरा और चौथा सत्र 'हिन्दी और भारतीय भाषाओं के बीच सार्थक संवाद' की आवश्यकता पर केन्द्रित होंगे। इन सत्रों में देश के विभिन्न स्थानों से विभिन्न भाषाओं के विद्वान और साहित्यकार हिस्सा ले रहे हैं।
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