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Wednesday, October 19, 2011

योग को पाठ्यक्रमों में शामिल किया जाये-राज्यपाल

 केन्द्रीय पर्यटन मंत्री, द्वितीय पतंजलि सप्ताह का शुभारम्भ
Bhopal:Tuesday, October 18, 2011
  राज्यपाल श्री राम नरेश यादव ने आज यहां द्वितीय पतंजलि सप्ताह उद्घाटन समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि योग विधा को स्कूलों और महाविद्यालयों के विभिन्न पाठ्यक्रमों में एक विषय की तरह शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षकों और माता पिता बच्चों के लिए योग शिक्षा की व्यवस्था के प्रति गंभीर प्रयास करने होंगे। 
राज्यपाल श्री यादव ने कहा कि योग केवल शारीरिक व्यायाम ही नहीं, वरन यह जीवन को संतुलित रूप से जीना सिखाने का एक शास्त्र है। समय के साथ लगातार बढ़ती जटिलताओं और आपाधापी के कारण योग की उपादेयता दिनोदिन बढ़ रही है। आज हर व्यक्ति एक सुसंगत, संयमित और स्वस्थ्य जीवन दृष्टि की खोज में है। इस अवसर पर राज्यपाल श्री यादव ने प्रथम पतंजलि सप्ताह समारोह की रिपोर्ट का लोकार्पण भी किया।

राज्यपाल श्री यादव ने कहा कि सृष्टि के आरम्भ के साथ ही योग शुरू हुआ जिससे मनुष्य जाति मन और शरीर से निरोग रह सके। योग का अभ्यास हृदय के भीतर परमात्मा से भेंट करना है। उन्होंने योग गुरू पतंजलि देव के कथन योगः चित वृतः निरोधः'' का उल्लेख करते हुए कहा कि मनुष्य जब योग पद्धति से मन को बस में कर लेता है तो जीवन लक्ष्य पाना आसान हो जाता है।
श्री यादव ने कहा कि योग पद्धति में मन और आत्मा का विशेष महत्व है। योग द्वारा मन को इस प्रकार प्रशिक्षित करना है कि इन्द्रियों पर बुद्धि का शासन हो, न कि बुद्धि पर इंद्रियों का। उन्होंने समारोह में उपस्थित राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधिगणों द्वारा गोंदरमऊ में एक विशाल योग केन्द्र बनाये जाने की मांग पर अपनी सहमति भी प्रकट की।

कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए केन्द्रीय पर्यटन मंत्री श्री सुबोध कांत सहाय ने कहा कि पतंजलि की जन्म स्थली गोंदरमऊ में योग का एक सम्पूर्ण केन्द्र खोला जायेगा और इसके लिए राज्यशासन का सहयोग लिया जायेगा। श्री सहाय ने इस अवसर पर कहा कि मेडिकल टूरिज्म, वेलनेस टूरिज्म और धार्मिक पर्यटन हमारी पर्यटन नीति के प्रमुख हिस्से हैं। योग और आयुर्वेद का इन सभी से सीधा सम्बन्ध है।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि योग जीवन जीने का सच्चा मार्ग है। हमारे देश की धर्म,कला, संस्कृति, इतिहास और अध्यात्म में पूरी दुनिया को आकर्षित करने की क्षमता है। दूसरे देशों के लोग स्वयं की तलाश में भारत आते हैं और हमारे धर्म और अध्यात्म से जुड़ते हैं। श्री सहाय ने कहा कि मेरी दृष्टि में धर्म और अध्यात्म की तुलना में योग व्यक्ति के संस्कारों के ज्यादा निकट है।

कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए योग कान्फडेरेशन आफ इंडिया के महासचिव श्री विजय तिवारी ने बताया कि इन दिनों विश्व के 64 देश पतंजति सप्ताह का आयोजन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगले वर्ष से पतंजलि सप्ताह समारोह का आयोजन राज्य सरकार को करना चाहिए। उन्होंने बताया कि सितम्बर 2012 में संघ द्वारा भारत महोत्सव मनाया जायेगा।

शुभारम्भ समारोह को इंटरनेशनल योग कनफडेरेशन की अध्यक्ष महामंडलेश्वर गायत्री देवी, द वर्ल्ड मूवमेंट फॉर योग एंड आयुर्वेद के अध्यक्ष् महामंडलेश्वर सूर्यानन्दा और योगाचार्य हुकुमचंद संकुशल और फ्रांस के आंद्रे रहल ने भी सम्बोधित किया।

समारोह के दौरान श्रीमती संकुशल की किताब महर्षि पतंजलि - एक परिचय'' का लोकार्पण भी किया गया। कार्यक्रम में योग संघ की महिला हाकी टीम भी उपस्थित थी। इसके सदस्यों ने अतिथियों का स्वागत किया।

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