सांसद भूपेन्द्र सिंह को लोकसभा में राज्यमंत्री ने बताया
सागर/मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री ने सांसद भूपेन्द्र सिंह को लोकसभा में बताया है कि डॉ हरीसिंह गौर विद्गवविद्यालय के कार्यकरण और कुलपति के संबधं में अनेक शिकायतें प्राप्त हुई हैं । जिन्हें उचित कार्रवाई के लिए विश्वविद्यालय को भेजा गया हैं ।
सांसद भूपेन्द्र सिंह ने लोकसभा में प्रद्गन कर जानना चाहा कि गत दो वर्षों में डॉ हरीसिंह गौर केन्द्रीय विश्वविद्यालय व इसके कुलपति के खिलाफ प्राप्त हुई शिकायतों का ब्यौरा क्या है और इन पर क्या कार्रवाई की गई है ? जबाव में मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री डॉ.डी पुरंदेश्वरी ने बताया है कि डॉ हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय एक स्वायत्त संस्था है । जिसे संसद के अधिनियम के अन्तर्गत वर्ष २००९ में केन्द्रीय विश्वविद्यालय के रूप में समाविष्ट िकया गया है । पिछले दो वर्षों के दौरान, विश्वविद्यालय के कार्यकरण और इसके कुलपति के संबंध में विभिन्न क्षेत्रों से अनेक शिकायतें/प्रतिवेदन प्राप्त हुए हैं । जिनमें अन्य बातों के साथ विश्वविद्यालय में शिक्षा के गिरते हुए स्तर के अतिरिक्त , शिक्षण और गैर शिक्षण स्टाफ की नियुक्ति/पदोन्नती में कथित अनियमितताएं , कर्मचारियो के पेंशन लाभ/आवधिक देयों का भुगतान न होना, दैनिक वेतन कर्मचारियों की सेवाओं की शर्तें और संविदा शिक्षकों को नियमित नहीं करना शामिल है । राज्यमंत्री ने बताया है कि यह शिकायतें/प्रतिवेदन समय-समय पर विश्वविद्यालय को उचित कार्रवाई करने के लिए भेजे गए हैं । संबद्धता का भार अधिक :-सांसद भूपेन्द्र सिंह के एक अन्य प्रश्न के उत्तर में राज्यमंत्री डॉ डी पुरंदेश्वरी ने बताया है कि यह सच है कि देश में कुछ राज्य विश्वविद्यालयों ने काफी संख्या में कॉलेजों को संबद्धता प्रदान की है । इन विश्वविद्यालयों का काफी समय तथा प्रयास इन कॉलेजों की परीक्षा आयोजित करने तथा प्रबंधन करने में लग जाता है ।
सांसद श्री सिंह द्वारा संबद्धता के भार को कम करने हेतु किए गए उपाय संबंधी प्रश्न पर राज्यमंत्री ने बताया है कि संबद्धता प्रदान करने वाले विश्वविद्यालयों की संखया बढ़ाने के लिए सरकार ने नये विश्वविद्यालयों की स्थापना करने हेतु राज्यों को प्रोत्साहित करने की एक स्कीम तैयार की है । राज्यमंत्री ने बताया है कि केन्द्रीय विश्वविद्यालय के रूप में समाविष्ट किए गए विश्वविद्यालयों के साथ पूर्व में संबद्ध संस्थाओं को परिवर्तित केन्द्रीय विश्वविद्यालयों का ही एक भाग बनाए रखा गया है । सांसद श्री सिंह के इस प्रश्न पर कि क्या सरकार ने ऐसे संस्थानों के लिए निर्धारित मानदंडों की समीक्षा की है , के जबाव में राज्यमंत्री ने बताया है कि केन्द्रीय विश्वविद्यालय, सांविधिक स्वायत्त निकाय होने के कारण, ऐसी संस्थाओं के लिए निर्धारित मानदंडों की समीक्षा करने में सक्षम है ।
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