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Friday, July 15, 2011

मीडिया की दशा-दिशा की समीक्षा के लिये तंत्र आवश्यक - उपराष्ट्रपति

इंदौर भाषायी पत्रकारिता महोत्सव प्रारंभ
मीडिया की दशा-दिशा की समीक्षा के लिये तंत्र आवश्यक - उपराष्ट्रपति श्री अंसारी, भाषायी पत्रकारिता आज भी प्रासंगिक - राज्यपाल श्री ठाकुर, विकास का प्रकाश पहुंचे आम आदमी तक - मुख्यमंत्री श्री चौहान, स्व. श्री प्रभाष जोशी के नाम पर एक लाख रूपये का राज्य खेल पुरस्कार
Bhopal:Friday, July 15, 2011:
 भारत के उपराष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद हामिद अंसारी के मुख्य आतिथ्य में आज इंदौर में आयोजित भाषायी पत्रकारिता महोत्सव में मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान ने मूर्धन्य पत्रकार स्व. श्री प्रभाष जोशी के नाम पर एक लाख रूपये के राज्य खेल पुरस्कार की घोषणा की। स्व. श्री प्रभाष जोशी के 75 वें जन्म दिवस के अवसर पर इंदौर प्रेस क्लब और प्रभाष परम्परा न्यास द्वारा आयोजित इस गरिमामय समारोह प्रभाष प्रसंग‘ में राज्यपाल श्री रामेश्वर ठाकुर, केन्द्रीय संसदीय कार्य राज्यमंत्री श्री राजीव शुक्ला, जनसम्पर्क एवं संस्कृति मंत्री श्री लक्ष्मीकांत शर्मा, पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री सुरेश पचौरी महापौर श्री कृष्ण मुरारी मोघे तथा प्रभाष परम्परा न्यास के अध्यक्ष डॉ. नामवर सिंह मंचासीन थे।

समारोह को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति डॉ. अंसारी ने कहा कि राज्य-व्यवस्था टेक्नालॉजी और अर्थव्यवस्था में आ रहे निरंतर बदलावों से पत्रकारिता भी परिवर्तन के दौर में है। मीडिया की दशा और दिशा की समीक्षा के लिये एक तंत्र का होना जरूरी है। किसी भी सरकारी विनियामक के न होने से इस बात की जरूरत समझी जाने लगी है कि मीडिया की संस्थाएं स्वयं या सहकारी तौर पर आत्म-नियंत्रण करें।

उप-राष्ट्रपति डॉ. अंसारी ने कहा कि हाल के कुछ वर्षों में हमारे समाज, अर्थ-व्यवस्था और राज्य-व्यवस्था में बहुत तेजी से ऐसे बदलाव आए हैं जो इससे पहले कभी देखे नहीं गए। उन्होंने भारत के जन-संचार के निजाम को बदल कर रख दिया है, लेकिन इसके पैमाने, पहुँच और असर में जितनी बढ़ोतरी हुई है उसकी झलक गैर-तिजारती और गैर-बाजारी पहलुओं में दिखाई नहीं देती है। श्री प्रभाष जोशी का स्मरण करते हुए उन्होंने कहा कि जोशी जी का कैरियर और उनकी जिन्दगी सभी पत्रकारों के लिये शानदार मिसाल है। वह न सिर्फ एक मशहूर संपादक थे बल्कि उनकी आवाज आम आदमी की आवाज थी। वह आम आदमी के मसले उठाने के लिये सादी जुबान में लिखते थे और मुकामी-मुहावरों का इस्तेमाल करते थे। वह मीडिया में नैतिक मूल्यों और पारदर्शिता के कट्टर समर्थक थे। उन्होंने कहा कि श्री जोशी के नजरिए को एक छोटे से जुमले, सब की खबर ले सब की खबर दे' में बयान किया जा सकता है।

उप-राष्ट्रपति श्री अंसारी ने कहा है कि देश के पत्रकारिता परिदृश्य में एकल-आधिपत्य के स्थान पर बहु-आधिपत्य एवं परस्पर समूहों का आधिपत्य होना चाहिए। इससे आम जनता की आवाज को अधिक मुखरता मिलेगी। उप-राष्ट्रपति ने बाजार के आगे लेखनी के नतमस्तक नहीं होने का आव्हान किया। उन्होंने पत्रकारों से यह अपेक्षा भी की कि सत्ता की जटिलताओं और मोहजाल से वे स्वयं को अप्रभावित रखें।

राज्यपाल श्री रामेश्वर ठाकुर ने इस मौके पर श्री प्रभाष जोशी के कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पत्रकार सच्चे अर्थों में देश के पथ-प्रदर्शक होते हैं। पत्रकारिता आज नये-नये आयाम स्थापित कर रही है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय चेतना के प्रसार में मीडिया प्रतिनिधियों को अपनी लेखनी का इस्तेमाल इस तरह करना चाहिए कि उसकी विश्वसनीयता भी बनी रहे और अनिवार्यता भी। राज्यपाल श्री ठाकुर ने पत्रकारिता की असीम ताकत पर भरोसा जताते हुए कहा कि भाषाई पत्रकारिता आज के दौर में उतनी ही प्रासंगिक है जितनी गुजरे दौर में थी। अपनी पैनी कलम से पत्रकार देश को दिशा दें और राष्ट्रहित के मुद्दों को आमजन तक पहुंचाये। उन्होंने इंदौर प्रेस-क्लब द्वारा प्रभाष जी की परम्परा को आगे बढ़ाने के लिए इस वार्षिक आयोजन की सराहना की। उन्होंने कहा कि हर अंचल के विकास में भाषाई पत्रकारिता का विशिष्ट महत्व है। उन्होंने प्रभाषजी से जुड़े संस्मरण दौहराते हुए कहा कि विनोबा के भूदान-ग्रामदान-ग्राम-स्वराज्य के भव्यस्तर क्रांति-प्रयास को समझने और उसमें प्रतिनिधित्व करने की कोशिश में प्रभाष जी की पत्रकारिता का संस्कार जन्मा था। कलम हाथ में और पैर गांव में कुछ ऐसा दौर भी उन्होंने पार किया। जोशी जी देश के जाने-माने स्पष्टवादी पत्रकारों में गिने जाते थे। उन्होंने भाषाई पत्रकारिता के महत्व को राष्ट्र के सामने रखा।

भ्रष्टाचार सबसे बड़ी चुनौती -मुख्यमंत्री श्री चौहान

मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान ने श्री प्रभाष जोशी की आदर्श पत्रकारिता और वर्तमान संदर्भों की बड़ी खूबी से चर्चा की। उन्होंने परिचर्चा में रखे गये विषय पर बोलते हुये कहा कि भ्रष्टाचार आज सबसे बड़ी चुनौती है। दूसरी बड़ी चुनौती के रूप में उन्होंने आतंकवाद का उल्लेख किया। उनका संबोधन आम-आदमी के बेहतर जीवन से जुड़ा था। उनका कहना था कि विकास दर बढ़ने का उल्लेख बड़े जोश से किया जाता है, पर देखना यह चाहिये कि इसका आम-आदमी को क्या लाभ मिला। उन्होंने कहा कि जब तक विकास का प्रकाश आम गरीब परिवार तक नहीं पहुंचता तब तक ऐसा विकास बे-मानी है। श्री चौहान ने कहा कि आम-आदमी विकास से लाभान्वित हो, यह भी एक बड़ी चुनौती है। उन्होंने मीडिया का आव्हान किया कि वह आम-आदमी की आवाज उठाये।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने लगातार होने वाले चुनाव की जगह एक साथ लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव कराये जाने की मंशा को दोहराया। उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव का खर्चा सरकार दे तो भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाया जा सकता है। श्री चौहान ने मीडिया की विश्वसनीयता, पेड न्यूज, आज-कल के दौर में दिये जा रहे अश्लील विज्ञापन तथा संस्कृति को दूषित कर रहे टी.वी. धारावाहिकों पर भी कटाक्ष किया। श्री चौहान ने कहा कि इस दिशा में केन्द्र सरकार सहित मीडिया-जगत को भी ठोस पहल की जरूरत है।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने इस अवसर पर इंदौर में कलेक्ट्रेट से हरिसिद्धि तक के मार्ग का नामकरण स्वर्गीय श्री प्रभाष जोशी के नाम पर करने की घोषणा की। उन्होंने प्रभाषजी को मध्यप्रदेश की शान निरूपित करते हुये कहा कि उनका चिंतन और लेखन देश के लिये धरोहर है।

केन्द्रीय संसदीय राज्यमंत्री श्री राजीव शुक्ला ने अपने संबोधन में प्रभाषजी की स्मृति में इस तरह के आयोजन के लिये इंदौर प्रेस क्लब को बधाई दी। उन्होंने कहा कि प्रभाषजी का समाज में बड़ा योगदान है। प्रभाषजी के गुणों को आदर्श मानकर ही लेखन किया जाय तो बहुत कुछ प्राप्त किया जा सकता है। न्यूज के लिये उन्होंने राष्ट्रहित से कभी समझौता नहीं किया। वे समग्र पत्रकार थे और भाषा पर उनका पूरा अधिकार था।

जनसम्पर्क मंत्री एवं महोत्सव के स्वागताध्यक्ष श्री लक्ष्मीकांत शर्मा ने स्वागत भाषण देते हुय कहा कि उपराष्ट्रपतिजी की उपस्थिति ने महोत्सव की गरिमा बढ़ाई है। राज्यपाल,मुख्यमंत्री, केन्द्रीय मंत्री तथा अन्य उपस्थितों का उन्होंने शब्दों से आत्मीय-स्वागत किया।

पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री सुरेश पचौरी ने संबोधित करते हुये कहा कि यह आयोजन प्रभाषजी की स्मृति में होना पत्रकारिता जगत के लिये प्रेरणादायी है। प्रभाष जी ने बेबाकी और निष्पक्षता से अपने उत्तरदायित्वों का निर्वहन किया।

पुस्तकों का विमोचन

समारोह में उपराष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद हामिद अंसारी ने श्री सुरेश शर्मा द्वारा संपादित प्रभाष पर्व, श्री अनिल जैन एवं श्री प्रवीण खारीवाल द्वारा संपादित यादों में प्रभाष तथा मध्यप्रदेश जनसम्पर्क विभाग की सहायक जनसम्पर्क अधिकारी और वरिष्ठ लेखिका डॉ.स्वाति तिवारी की पुस्तक शब्दों के दरवेश का विमोचन किया।

प्रारंभ में महोत्सव का शुभारंभ उपराष्ट्रपति श्री मोहम्मद हामिद अंसारी ने दीप प्रज्जवलित कर किया। इंदौर प्रेस क्लब के अध्यक्ष श्री प्रवीण खारीवाल ने कार्यक्रम की विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत दी। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ पत्रकार श्री हृदेश दीक्षित ने किया। अतिथियों का स्वागत श्री प्रेस क्लब अध्यक्ष श्री प्रवीण खारीवाल सहित इंदौर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष और इंदौर राजस्व संभाग के कमिश्नर श्री प्रभाष पाराशर, कमल कस्तुरी, डॉ. पल्लवी, सुधीर अग्रवाल, बसंत जौहरी, राजेश राठौर तथा श्री के.के.शर्मा आदि ने किया।

इस मौके पर भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष, सांसद श्री प्रभात झा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री श्री महेन्द्र हार्डिया, देश और प्रदेश के जाने माने पत्रकार विधायकगण तथा बड़ी संख्या में प्रबुद्धजन उपस्थित थे।

उल्लेखनीय है कि दो दिवसीय भाषाई पत्रकारिता महोत्सव का आयोजन इंदौर प्रेस क्लब एवं प्रभाष परम्परा न्यास द्वारा किया जा रहा है। इस आयोजन में मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति, अभ्यास मण्डल, इंदौर नगर पालिका निगम तथा इंदौर विकास प्राधिकरण भी सहभागी है इस दो दिनी आयोजन में राष्ट्रीय परिसंवाद, मीडिया अवार्ड, पैदल मार्च, विभिन्न प्रतियोगिताएं, पुस्तक विमोचन, प्रदर्शनी तथा संगीत निशा आदि के आयोजन होंगे। महोत्सव का समापन 16 जुलाई को किया जायेगा।

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