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Sunday, June 20, 2010

शिक्षक प्रशिक्षण की नई नीति शीघ्र घोषित की जाय

 सर्वशिक्षा अभियान की तरह 6 प्रतिशत खर्चा स्वीकृत किया जाय
मध्यप्रदेश की स्कूल शिक्षा मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस ने आज यहां नई दिल्ली में केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री कपिल सिब्बल की अध्यक्षता में शिक्षा नीति पर आयोजित देश के शिक्षा मंत्रियों के सम्मेलन में मांग की है कि शिक्षा के व्यापक प्रसार के लिए शिक्षक प्रशिक्षण की नई नीति शीघ्र घोषित की जाय। 

 श्रीमती चिटनिस ने सभी राज्यों के शिक्षामंत्रियों का ध्यान आकर्षित किया कि चालू पंचवर्षीय योजना के तीन वर्ष बीत जाने के बाद भी भारत सरकार ने शिक्षक प्रशिक्षण की नई योजना अब तक घोषित नहीं की है। इससे शिक्षा के लोक व्यापीकरण का कार्य प्रभावित होगा। 

शिक्षा मंत्री ने बैठक में अवगत कराया कि राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान और शिक्षा के अधिकार के तहत प्रदेश के सभी बच्चों को शिक्षा देने के लिए कार्य योजना तैयार कर ली गई है। शिक्षा नीति पर आयोजित इस बैठक में प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री श्री लक्ष्मीकांत शर्मा भी भाग ले रहे हैं।

श्रीमती चिटनिस ने राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत शिक्षा से जुड़े सभी पहलुओं के प्रशासनिक खर्चे के लिए 2.21 प्रतिशत दिया गया है। इसमें नवाचार से जुड़ी गतिविधियां भी शामिल हैं। राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान में हाई स्कूलों की संख्या भी बढ़ाना है जबकि भवनों के लिए खर्च का कोई प्रावधान नहीं रखा गया है। राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के कार्य के लिए सर्वशिक्षा अभियान की तरह 6 प्रतिशत खर्चा स्वीकृत किया जाय।

शिक्षा मंत्री श्रीमती चिटनिस ने राज्यों के शिक्षा मंत्रियों की उपस्थिति में अवगत कराया कि भारत सरकार के निर्देश पर प्रदेश के जिलों में साक्षरता सहित शिक्षा की चल रही सभी योजनाओं पर हुए व्यय की राशि का 90 प्रतिशत हिसाब दे दिया है। 

राज्य सरकार ने साक्षरता, शिक्षा के व्यापक विस्तार के लिए 10 जिलों के प्रस्ताव गत वित्त वर्ष में भारत सरकार को भेजे थे। उनमें से एक भी जिले की योजना अब तक स्वीकृत नहीं की गई है। प्रदेश में महिलाओं का साक्षरता का प्रतिशत कम है। 10 जिलों की साक्षरता योजना स्वीकृत होने से प्रदेश में महिला साक्षरता में बढ़ोत्तरी होगी।

श्रीमती चिटनिस ने शिक्षा मंत्रियों के सम्मेलन में यह मांग भी रखी कि राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के अंतर्गत शालाओं के निर्माण की लागत एक समान रखी गई है जो व्यावहारिक रूप से उचित नहीं है। राज्यों में निर्माण की लागत अलग- अलग होती है। इस दृष्टि से हर प्रदेश में लोक निर्माण विभाग के एस.ओ.आर. के अनुसार लागत रखी जाय अन्यथा शाला भवनों का निर्माण संभव नहीं हो पायगा।

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