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Sunday, June 20, 2010

उच्च शिक्षा तथा शोध आयोग के स्वरूप से राज्यों के अधिकारों में हस्तक्षेप होगा

उच्च शिक्षा मंत्री श्री शर्मा द्वारा आयोग के गठन में व्यापक सुधार के सुझाव
उच्च शिक्षा मंत्री श्री लक्ष्मीकांत शर्मा ने कहा है कि केन्द्र सरकार द्वारा गठित किये जा रहे उच्च शिक्षा तथा शोध आयोग से अधिकारों के विकेन्द्रीकरण के बजाय केन्द्रीयकरण और इससे राज्यों के अधिकारों में हस्तक्षेप होगा। 

 उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा तथा शोध विधेयक में व्यापक सुधार किये जाने की आवश्यकता है। श्री शर्मा आज यहां नई दिल्ली में केन्द्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (केब) की 57वीं बैठक में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। बैठक की अध्यक्षता केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री कपिल सिब्बल ने की। प्रदेश की स्कूल शिक्षा मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस भी बैठक में उपस्थित थीं।

श्री शर्मा ने बैठक में ध्यान आकर्षित किया कि केन्द्र सरकार द्वारा जो नया अधिनियम बनाया जा रहा है उसमें विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की नियुक्ति केन्द्रीय आयोग करेगा जबकि अभी कुलपतियों की नियुक्ति का अधिकार राज्य सरकार को है। 

इसी प्रकार प्रदेशों में कालेजों को मान्यता राज्य सरकार द्वारा दी जाती है। अब कालेजों को मान्यता केन्द्रीय आयोग द्वारा दी जायेगी जो राज्य के अधिकारों पर हस्तक्षेप होगा। विश्वविद्यालयों और कालेजों का पाठ्यक्रम केन्द्रीय आयोग द्वारा निर्धारित किये जाने से राज्यों की परम्परा, संस्कृति और गौरवपूर्ण इतिहास का समावेश नहीं होगा। इस संवेदनशील विषय पर विचार किये जाने की आवश्यकता है।

उच्च शिक्षा मंत्री श्री शर्मा ने कहा कि उच्च शिक्षा तथा शोध आयोग में नियुक्ति प्रधानमंत्री, केन्द्रीय मंत्रियों सहित अन्य राजनैतिक नेताओं द्वारा किये जाने से सदस्योें की नियुक्ति पारदर्शी नहीं रहेगी। अतः आयोग में नियुक्ति पारदर्शी रखने के लिए उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों से परामर्श करके की जाय। आयोग में नियुक्ति के लिए राज्यों के प्रतिनिधियों से भी सलाह ली जाय।

उच्च शिक्षा मंत्री श्री शर्मा ने केन्द्र सरकार से आग्रह किया कि शिक्षा के क्षेत्र में विदेशी शिक्षण संस्थाओं को अनुमति देने के पूर्व यह सुनिश्चित किये जाने की आवश्यकता है कि विदेशी संस्थाओं द्वारा भारतीय संस्कृति एवं परम्पराओं को उनके द्वारा संरक्षण दिया जायगा। 

निजी शिक्षण संस्थाओं में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के छात्रों का आर्थिक शोषण रोकने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा कानून बनाया जाय। शिक्षा को व्यावसायीकरण से रोकने के लिए विधेयक लाये जाने की आवश्यकता है। मध्यप्रदेश में निजी शिक्षण संस्थाओं में शिक्षण शुल्क के निर्धारण के लिए फीस निर्धारण समिति बनाई गई है। इसी प्रकार फीस निर्धारण समितियां देश के अन्य राज्यों में भी बनाई जायें जिससे छात्रों पर फीस का आर्थिक बोझ नहीं पड़े।

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