रतलाम के श्री देवेन्द्र को मिला प्रथम पुरस्कार
आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा आदिवासी जीवन के झिलमिल रंगों पर केन्द्रित राष्ट्रीय फोटो प्रतियोगिता ''प्रतिबिम्ब'' के परिणामों की घोषणा कर दी गई है। प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार के लिए रतलाम के वरिष्ठ चित्रकार श्री देवेन्द्र को चुना गया है, उन्हें पुरस्कार स्वरूप 31 हजार रूपये नगद एवं प्रशस्ति पत्र देकर अलंकृत किया जायेगा।
आदिम जाति कल्याण विभाग मध्यप्रदेश शासन के रचनाधर्मी उपक्रम ''वन्या'' के प्रबंध संचालक श्री श्रीराम तिवारी ने पुरस्कारों की घोषणा करते हुए बताया कि प्रतियोगिता में द्वितीय पुरस्कार श्री कैलाश मित्तल (इन्दौर) को एवं तृतीय पुरस्कार श्री राजेन्द्र मालवीय (इन्दौर) को दिया गया है। प्रतियोगिता में द्वितीय पुरस्कार में 21 हजार रूपये एवं तृतीय पुरस्कार में 11 हजार रूपये नगद राशि एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान कर अलंकृत किया जायेगा।इस राष्ट्रीय फोटो प्रतियोगिता में देशभर से 55 चित्रकारों की कुल 157 प्रविष्टियाँ प्राप्त हुई थी। पुरस्कार के लिये गठित उच्च स्तरीय समिति ने रतलाम के श्री देवेन्द्र की ''इनोसेंट स्माईल'' की चित्रकृति को सर्वश्रेष्ठ पाते हुए प्रथम पुरस्कार के लिए चुना है। इसके अलावा श्री नीतिन खत्री (इन्दौर), श्री मानित ए. बाल्मीकि (महाराष्ट्र), श्री रमेश सोनी (धार), श्री जगदीश मालवीय (रतलाम) के छायाचित्रों को प्रोत्साहन पुरस्कार के लिए चुना गया है। इन्हें पुरस्कार स्वरूप ढाई-ढाई हजार रूपये एवं प्रशस्ति पत्र देकर पुरस्कृत किया जायेगा।
आदिवासियों के जीवन को रेखांकित करने वाली इस राष्ट्रीय फोटो प्रतियोगिता में विविध जनजातीय जीवन, संस्कृति एवं परम्पराओं को प्रतिबिम्ब किया जाता है। इस विधा में पारंगत कोई भी फोटोग्राफर इस प्रतियोगिता में भाग ले सकता है और आदिवासी जीवन से सरोकार रखने वाले फोटो भेज सकता है। श्रेष्ठ फोटो का चयन निर्णायक मण्डल द्वारा किया जाकर उन्हें पुरस्कृत किया जाता है।
प्रबंध संचालक श्री श्रीराम तिवारी ने बताया कि वन्या की बाल पत्रिका समझ-झरोखा के बैनर तले यह फोटो प्रतियोगिता प्रतिवर्ष आयोजित की जाती है। जिसका उद्देश्य आदिवासियों के जीवनवृत को चित्रों के माध्यम से समाज तक पहुंचाना एवं कलाकारों को प्रोत्साहित करना है।
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