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Friday, April 30, 2010

नेत्रहीन विद्यार्थियों के लिये पुस्तकें प्रकाशित करने वाला म.प्र. देश का पहला राज्य

 पोलियोग्रस्त बालिका 'तारा' की  दिनचर्या पर टेलीफिल्म
सामान्य बच्चों के साथ जब विकलांग बच्चे पढ़ेगें तभी उनका सही विकास होगा। गंभीर रूप से मानसिक विकलांग बच्चों को छोड़कर अन्य विकलांग बच्चों के लिये पृथक से स्कूलों में पढ़ाना उचित नहीं है। भारत में केवल मध्यप्रदेश ही एकमात्र ऐसा राज्य है
जहाँ स्कूलों में पढ़ने वाले नेत्रहीन बच्चों के लिये ब्रेल लिपि में पुस्तकों का प्रकाशन किया गया है। इस आशय के विचार अरूषि संस्था के श्री अनिल मुद्दगल ने आज यहाँ आर.सी.व्ही.पी. नरोन्हा प्रशासन एवं प्रबंधकीय अकादमी में 'समावेशी शिक्षा' विषयक कार्यशाला को संबोधित करते हुये व्यक्त किये।
कार्यक्रम में प्रशासन अकादमी महानिदेशक डॉ. संदीप खन्ना, सागर एवं भोपाल विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति श्री एम.एल. जैन, भारतीय पुलिस सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी श्री दामले, फेडरेशन ऑफ म.प्र. चेम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्रीज के सचिव श्री प्रताप वर्मा, शासकीय नूतन महाविद्यालय के प्राध्यापक डॉ. रोहित त्रिवेदी, परिवीक्षाधीन आई.ए.एस. एवं राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी, विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों के प्रतिनिधि, स्कूलों के शिक्षक, प्रधानाध्यापक एवं प्राचार्य आदि उपस्थित थे।

श्री मुद्दगल ने कहा कि शिक्षकगण विकलांग बच्चों को एडमीशन देनें में अनावश्यक परेशान ना करें। नेत्रहीन बच्चों को कक्षा में आगे बैठाकर बोलकर पढ़ायें। उन्होंने बताया कि अरूषि संस्था विकलांग बच्चों के सशक्तीकरण एवं शिक्षा देने के लिये प्रयासरत है। यह संस्था स्कूलों एवं अन्य सार्वजनिक भवनों में विकलांगों के रेम्प एवं शौचालय बनाने में अपना मार्गदर्शन नि:शुल्क प्रदान करती है।

प्रारंभ में कार्यशाला में उपस्थित अतिथि वक्ताओं एवं प्रतिभागियों का स्वागत करते हुये प्रशासन अकादमी महानिदेशक डॉ. संदीप खन्ना ने कार्यशाला आयोजन के उद्देश्य की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि म.प्र. में अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग तथा विकलांग बच्चों को पढ़नें के लिये 'सर्व शिक्षा अभियान कार्यक्रम' के बाद समावेशी अभियान चलाया जा रहा है। 
इस कार्यक्रम के क्रियान्वयन में आने वाली प्रशासनिक परेशानियों से प्रतिभागी अवगत करायें ताकि उनके निराकरण हेतु शासन स्तर पर पहल की जा सके। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने भी इस अभियान में कार्पोरेट सेक्टर को अपना योगदान करनें का आव्हान किया है।

नूतन महाविद्यालय के प्राध्यापक (नेत्रहीन) डॉ. रोहित त्रिवेदी ने अपने उद्बोधन में कहा कि म.प्र. में सर्वशिक्षा अभियान के बाद 'समावेशी शिक्षा' पर जोर दिया जा रहा है। यह कार्यक्रम विकलांग (अन्यथा रूप से उपयोगी) बच्चों के लिये महत्वपूर्ण है। 
इससे विकलांग बच्चों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने में मदद मिलेगी। जो कि विकलांग बच्चों के लिये संचालित होने वाले स्कूलों में मुश्किल कार्य था। उन्होंने कहा कि समावेशी शिक्षा की सही व्यवस्था स्कूल में की जाये और बच्चा भी इसको समझे।

म.प्र. चेम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्रीज के सचिव श्री प्रताप वर्मा ने बच्चों की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर जोर देते हुये इटली के रेकियो शहर में मानसिक रूप से कमजोर बच्चों के लिये की गई अच्छी शिक्षा व्यवस्था की जानकारी दी।

परिवीक्षाधीन आई.ए.एस. अधिकारी मण्डला श्री किरण गोयल ने आदिवासी बहुल मण्डला जिले में स्कूलों में शिक्षा की व्यवस्था हेतु किये जा रहे प्रयासों से अवगत कराया। सागर एवं भोपाल विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति श्री जैन ने विकलांग बच्चों को पढ़ने में यथासंभव मदद का आव्हान उपस्थित सभी लोगों से किया। कार्यक्रम में अरूषि द्वारा पोलियोग्रस्त बालिका 'तारा' की लगन एवं दिनचर्या पर आधारित टेलीफिल्म का प्रदर्शन भी किया गया। कक्षा दसवीं में अध्ययनरत नेत्रहीन छात्र श्री राजेन्द्र धुर्वे ने अपने अनुभव सुनाये।

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