मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल और उनके पूर्ववर्ती अर्जुन सिंह कुलपति से खासे नाराज रहे
नई दिल्ली। बहुत अरमानों से लोगों ने सागर विश्वविद्यालय को केन्द्रीय विवि का दर्जा दिलाने के लिए सड़कों पर लड़ाई लड़ी लेकिन इच्छित दर्जा मिलने के साथ ही इतने बड़े संस्थान में मानों दुश्वारियां ने डेरा जमा लिया। विवि के कुलपति को राजधानी का ऎसा खुमार चढ़ा है कि विवि की ज्यादातर छोटी बड़ी बैठकें या तो दिल्ली या भोपाल में आयोजित हो रही हैं। इस तरह की शिकायतों की लम्बी फेहरिस्त की वजह से मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल और उनके पूर्ववर्ती अर्जुन सिंह कुलपति से खासे नाराज रहे हैं। साभार पत्रिका
संविधान सभा के सदस्य डॉ हरि सिंह गौर ने अपने जीवन की समस्त पूंजी से जिस विवि की स्थापना की थी उसे केन्द्रीय विवि का दर्जा दिलाने के पीछे शहर के लोगों का मकसद मात्र इस धरोहर को संजोये रखना था लेकिन हुआ बिल्कुल उलटा। केन्द्र का निजाम आते ही विवि में तैनात किए गए कुलपति एन एस गजभिए को न तो विवि में रूचि है और न ही सागर मेे ।सो उनका ज्यादातर समय या तो कानपुर में बीतता है जहां उनकी पत्नी कुलपति हैं या फिर राजधानी दिल्ली या भोपाल में। राजधानियों से उनकी मोहब्बत का कोई सानी नहीं है। विवि भले ही सागर में हो लेकिन उसकी ज्यादातर बैठकों को खींचकर वह देश या प्रदेश की राजधानी तक ले जाते हैं। गत 10 अप्रैल को ही विवि की वित्त समिति की बैठक दिल्ली में आयोजित की गई ।
बैठक में लाखों की वित्तीय अनियमितताएं पाई जाने पर केन्द्र के अघिकारियों ने कुलपति को चेतावनी भी दी। इस बैठक में उनके दफ्तर के चपरासी तक को हवाई जहाज से यात्रा करवाई गई । इसके अलावा विवि की चारदीवारी बनाने के लिए कानपुर के जिस वास्तुकार को नियुक्त किया गया उसका डेमो सागर के बजाय दिल्ली में किया गया और विवि के अघिकारियों को दिल्ली जाना पड़ा। अपने एक साल से ज्यादा समय के कार्यकाल में विवि की कार्यकारिणी की एक भाी बैठक नहीं करने वाले गजभिए हाईकोर्ट के आदेश के बाद बैठक के लिए राजी तो हुए लेकिन बैठक स्थल सागर के बजाय उन्होने भोपाल तय कर दिया। कार्यकारिणी के सभी सदस्यों ने इस पर आपत्ति जताई है लेकिन कुलपति किसी की सुनते ही नहीं।
सूत्रों के अनुसार बैठक को भोपाल ले जाने के पीछे कुलपति के राजधानी प्रेम के अलावा केन्द्र सरकार के एक बड़े अघिकारी का पत्नी प्रेम भी काफी जिम्मेदार है। छत्तीसगढ़ कैडर के यह अघिकारी केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय में बड़े ओहदेदार हैं और उनकी पत्नी भोपाल में रहती हैं।
अर्जुन-सिब्बल दोनों नाराज :
कुलपति के रूप में अपनी नियुक्ति के कुछ ही दिनों बाद गजभिए की शिकायतों और रवैये की शिकायतों का पुलिन्दा तत्कालीन मानव संसाधन विकास मंत्री अर्जुन सिंह के पास पहुंच गया था। अर्जुन ने अपनी नाराजगी गजभिए को कु लपति बनाने की सिफारिश करने वाले शिक्षाविद भालचंद मुंगेकर से जताई भी थी। अर्जुन के उत्तराघिकारी कपिल सिब्बल भी गजभिए क े रवैये को पसंद नहीं करते।
0 comments:
Post a Comment