जेहाद पर दुनिया भर मे छिड़ी बहस
भारत मे मुंबई ताज होटल मे हुआ आतंकवादी हमला व पुणे में जर्मन बेकरी में हुए विस्फोट जैसी अनेक कथित आंतकवादी घटनाएं इस्लामिक जेहाद नहीं बल्कि मुस्लिम आतंकवाद का नतीजा हैं। यह विचार डॉ० हरि सिंह गौर केन्द्रीय विश्वविद्यालय सागर के दर्शनशास्त्र विभाग के शोध छात्र डॉ० एजाज खान ने दिल्ली मे जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय मे आयोजित पहली फिलासफी कांग्रेस मे प्रस्तुत अपने शोघ पत्र के माध्यम से व्यक्त किए।
डॉ० हरि सिंह गौर केन्द्रीय विश्वविद्यालय के दर्शनशास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रो० अखिलेश्वर प्रसाद दुबे के मुताबिक भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के तत्वावधान मे (६ से ९ मार्च तक) आयोजित तीन दिवसीय पहली एशियाई फिलासफी कांग्रेस में एशियाई देशों भारत, चीन जापान, मलेशिया, पाकिस्तान, सिंगापुर, श्रीलंका, ईरान रूस, कजाकिस्तान, बंग्लादेश के अलावा यूएसए, इटली, बुलगारिया देशों के विद्वानों ने भी भाग लिया।दुबे ने बताया कि सागर के दर्शनशास्त्र विभाग के शोध छात्र डॉ० एजाज खान द्वारा फिलासफी कांग्रेस में प्रस्तुत शोध पत्र '' जिहाद समसामयिक समस्या'' को काफी सराहा गया। जेहाद पर दुनिया भर मे छिड़ी बहस को देखते हुए कांग्रेस मे इस शोध पर विभिन्न देश से आए इस्लाम धर्म के विद्वानों की पैनल ने गंभीर सवाल-जवाब किए।
शोध छात्र डॉ० एजाज खान ने बताया कि पाकिस्तान से आईं प्रो० गजाला इरफान की अध्यक्षता मे आयोजित इस विशेष सत्र मे उनसे जेहाद के बारें मे कई अहम सवाल उठाए गए। ''जेहाद'' के सिलसिले में पूछे गए एक सवाल के जवाब मे डॉ० खान ने बताया कि भारत और दुनिया के कई हिस्सों मे कथित मुस्लिम आतंकवादियों द्वारा अंजाम दी गईं हिसंक घटनाएं जेहाद नहीं मुस्लिम आतंकवाद है। कुरान की आयतों का हवाला देते हुए उन्होने बताया कि जेहाद ईस्लाम धर्म की तरक्की व विश्वशांति के लिए किया जाता है न कि दुनिया मे आतंक और भर फैलाने के लिएं।
फिलासफी कांग्रेस मे जेहाद मे हुए गंभीर विचार विमर्श के बारे में डॉ० दुबे का कहना है कि इस पूरी चर्चा मे अधिकांश विद्वानों मे एक सुर मे यह बात कही कि अगर आतंकवाद की घटनाओं को अंजाम देने वाले तालिबान जैसे गुटों का इस्लाम से कोई वास्ता नहीं है तो क्यों नहीं उन्हें इस्लाम धर्म से बहिष्कृत किया जाता है। उन्होने कहा कि विद्वानों ने यह भी माना कि ऐसा लगता है कि इस्लाम के नाम पर आतंक फैला रहे लोगों को मुस्लिम आतंकवादी बताकर बचाने के प्रयास राजनीति से प्रेरित हैं।
दुबे ने बताया कि कांग्रेस के विशेष सत्र के प्रश्नपत्रों मे निष्कर्ष मे यह माना गया कि जेहाद की समस्या का एकतरफा इस्लाम के संदर्भ मे बचाव नहीं करते हुए दार्शनिक समाधान प्रस्तुत किया जाना चाहिए। इस बात का अभाव शोध पत्रों मे साफ तौर पर दिखा। अधिकांश शोध पत्रों मे जेहाद को मुस्लिम आतंकवाद बताया न कि इस्लामिक आतंकवाद।
पहली एशियाई फिलासफी कांग्रेस में मे ईरान से अफीफे हमीदी व सैयद हुसैन हुसैनी, मास्को से ब्लाद्मीर के शोखिन, इटली से लूका स्कारेन्टीनो, बुलगारिया से काल्टचेव , जापान से योसिया माकिता विद्वानों सहित भारत के चण्डीगढ़ से प्रो० भुवन चंदेल, अमरकंठक से डॉ० राकेश सोनी, भागलपुर से प्रो० प्रतिमा गांगुली व प्रो० मृत्युंजय कुमार, जम्मू से डॉ० बिलाल अहमद आदि विद्वानों ने भी भाग लिया।
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