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Wednesday, March 3, 2010

डी.पी.आई.पी. के तहत युवाओं को रोजगार मुहैया कराने के प्रयास

मुख्य सचिव  द्वारा  प्रदेश में डी.पी.आई.पी. के द्वितीय चरण के  क्रियान्वयन के निर्देश
मुख्य सचिव श्री अवनि वैश्य ने प्रदेश में डी.पी.आई.पी. के द्वितीय चरण का योजनाबद्ध क्रियान्वयन करने के निर्देश दिये हैं। उन्होंने जिला स्तर पर रोजगार मेलों का आयोजन कर युवा वर्ग को बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर मुहैया कराने की जरूरत बताई है। मुख्य सचिव ने कहा है कि युवाओं को विभिन्न व्यवसायों का प्रामाणिक प्रशिक्षण प्रदान कर और उनके कौशल उन्नयन के साथ ही उन्हें सर्टिफिकेट प्रदान कर सक्षम बनाया जाना मौजूदा समय की आवश्यकता है। श्री अवनि वैश्य आज मंत्रालय में “¨मध्यप्रदेश सोसायटी फॉर पॉवर्टी एलीवियेशन इनीशिएटिव्ज की कार्यकारिणी समिति की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।
इस बैठक में कार्यकारिणी समिति की पूर्व बैठक में हुए निर्णयों के परिप्रेक्ष्य में हुई कार्यवाईयों की समीक्षा की गई वहीं परियोजना क्रियान्वयन समिति के गठन तथा डी.पी.आई.पी. परियोजना क्रियान्वयन समिति की पूर्व बैठक में लिये गए निर्णयों का अनुमोदन किया गया। इसी तरह परियोजना के रिवास्ड प्रोग्युरमेंट प्लान और सामुदायिक सेवा प्रदाता नीति का अनुमोदन भी बैठक में हुआ।

उल्लेखनीय है कि डी.पी.आई.पी. गरीबी उन्मूलन की दिशा में एक विश्व बैंक पोषित योजना है। समान आवश्यकता, समान आर्थिक एवं सामाजिक आधार पर बने समूहों के माध्यम से गरीब तबकों का समग्र आर्थिक एवं सामाजिक विकास इस परियोजना का उद्देश्य है। यह परियोजना वर्तमान में मध्यप्रदेश के 14 चयनित जिलों के 53 विकासखण्डों के 4893 ग्रामों में लागू है। इनमें सागर, दमोह, पन्ना, छतरपुर, टीकमगढ़, रीवा, सीधी, नरसिंहपुर, शिवपुरी, गुना, राजगढ़, शाजापुर, रायसेन एवं विदिशा जिले शामिल हैं। 
विगत 13 अक्टूबर 2009 से प्रदेश में शुरू हुई इस परियोजना में पांच वर्ष की अवधि में 110 मिलियन यू.एम. डालर याने करीब 530 करोड़ रुपये गरीब तबकों के उत्थान के लिये उपलब्ध कराए जायेंगे। परियोजना अवधि में गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वाले 3 लाख गरीब परिवारों को 30 हजार से अधिक स्व-सहायता समूह के रूप में संगठित किया जायेगा और उन्हें आजीविका गतिविधियों से जोड़ा जायेगा। इस दौरान 20 हजार से अधिक हितग्राही सदस्यों की विभिन्न प्रतिष्ठानों में नियोजन के लिये समुचित प्रशिक्षण दिया जायेगा।

इस दौरान प्रमुख सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग श्री आर. परशुराम ने बताया कि वर्ष 2010-11 की अवधि में डी.पी.आई.पी. के द्वितीय चरण में गरीब 146 करोड़ रुपये से अधिक राशि खर्च होगी। इसमें से 26 करोड़ 18 लाख रुपये सामाजिक सशक्तिकरण एवं संस्थागत विकास, 102 करोड़ 67 लाख रुपये आजीविका निवेश, रोजगारोन्मुखी विकास पर 8 करोड़ 62 लाख तथा परियोजना क्रियान्वयन पर 8 करोड़ 69 लाख रुपये व्यय होंगे। प्रमुख सचिव ने जानकारी दी कि परियोजना के तहत 150 के लक्ष्य के बदले 154 संकुल कार्यालय स्थापित हो चुके हैं। राज्य के 1200 से अधिक ग्रामों में वातावरण निर्माण तथा 3736 स्व-सहायता समूहों का गठन किया गया है। प्रदेश में नौ रोजगार मेलों का आयोजन कर 2200 से अधिक युवाओं का नियोजन कराया गया है। करीब 300 युवकों को विशेष प्रशिक्षण एवं प्रशिक्षण नियोजन का लाभ मिला है।

इस अवसर पर प्रमुख सचिव कृषि विकास एवं किसान कल्याण, प्रमुख सचिव महिला एवं बाल विकास तथा सामाजिक न्याय श्रीमती लवलीन कक्कड़, आयुक्त आदिवासी विकास श्री संजय बंदोपाध्याय, संचालक संस्थागत वित्त श्री मनीष सिंह और संचालक जलग्रहण विकास मिशन श्री उमाकांत उमराव, परियोजना संचालक डीपीआईपी श्री डी.पी. आहूजा सहित वरिष्ठ विभागीय अधिकारी बैठक में मौजूद थे।

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