दो माह से नहीं मिला मानदेय
सागर. डॉ. हरीसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय में नियमित कर्मचारियों से बोनस वापस लेने के निर्णय के बीच यहां कार्यरत दैनिक वेतनभोगी अथवा अकुशल श्रमिक के मानदेय में कटौती की तैयारी हो रही है। जिससे कर्मचारियों में आक्रोश है। इन दोनों मुद्दों को लेकर विवि अशैक्षणिक कर्मचारी संघ बुधवार को कुलसचिव को ज्ञापन देगा। संघ के अध्यक्ष डॉ. केके राव ने बताया कि विवि प्रशासन ने स्वयं निर्णय लेकर कर्मचारियों को लगभग 28 लाख रुपए बोनस दिया था। लेकिन अब इसे वापस लेने का निर्णय लिया है। बुधवार को कुलसचिव से भेंटकर ज्ञापन देंगे और पूछा जाएगा कि क्या बोनस वापस लेने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान से कोई पत्र आया है या नहीं?
क्योंकि जब भी कर्मचारी इस संबंध में प्रशासनिक अधिकारियों से जानकारी लेते हैं तो उन्हें संतोषप्रद जवाब नहीं दिया जाता है। दूसरा सवाल यह है कि पुराने प्रशासन ने क्या आयोग की अनुमति के बगैर बोनस बांटा था? गौरतलब है कि कर्मचारियों से वचन-पत्र लेकर बोनस बांटा गया था। अब कर्मचारी और विवि प्रशासन आमने-सामने हैं। बोनस वापस लिए जाने के निर्णय से यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या किसी दवाब के तहत पूर्व में बोनस बांटा गया था। कर्मचारियों के एक गुट का कहना है कि विवि प्रशासन को कोई भी निर्णय लेने से पहले विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से गाइड लाइन लेना चाहिए।
दो माह से नहीं मिला मानदेय
विवि में लगभग तीन सौ कैजुएल लेबर कार्यरत हैं। इनमे से स्व वित्तीय पाठ्यक्रम चलाने वाले विभागों में कार्यरत श्रमिकों को छोड़कर किसी को भी दो माह से मानदेय नहीं मिला है। क्योंकि वित्त विभाग के पास इनको दिए जाने वाले मानदेय के लिए अलग से कोई फंड नहीं है। मानदेय न मिलने से इनके लिए रोजी-रोटी के लाले पड़ गए हैं। कई लेबर जिन्हें पूर्व में डेली बेसिस कर्मचारी कहा जाता था यहां दस-दस साल से कार्य कर रहे हैं।
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