नवोदय विद्यालय के बीस हजार बच्चों को 'जैव संरक्षण दूत' बनाने के अभियान की शुरुआत भोपाल जिले के रातीबड़ नवोदय विद्यालय से हुई। अंतर्राष्ट्रीय जैवविविधता वर्ष 2010 पर जैव विविधता बोर्ड के इस अभियान का शुभारंभ जैवविवधिता एवं जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव श्री जब्बार ढांकवाला ने की।नवोदय विद्यालयों में ग्रामीण परिवेश के बच्चे आते हैं। इन बच्चों को अपने गांव में ही पारंपरिक रूप से विकसित हो रही जैव संपदा के महत्व से अवगत कराने और उसे संरक्षित करने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से जैव विविधता बोर्ड ने नवोदय विद्यालयों में 'अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता वर्ष 2010' में हर विद्यालय के छात्र-छात्राओं को 'जैव संरक्षण दूत' बनाने के अभियान चलाया है।
रातिबड़ नवोदय विद्यालय में शुरू हुए इस अभियान के तहत जैव विविधता पर केन्द्रित एक कार्यशाला, नाटक, क्विज, पोस्टर एवं चित्रकला तथा भाषण प्रतियोगिता रखी गई। हर नवोदय विद्यालय में अप्रैल माह में शुरू होने वाले अगले वर्ष के शिक्षण सत्र में सौ-सौ गढ्ढे खोदे जाएंगे जिसमें आगामी जुलाई माह में कक्षा छटवीं में प्रवेश लेने वाले छात्र-छात्राओं से दुर्लभ प्रजाति के पौधे लगवाए जाएंगे। इन पौधों को अगले सात वर्ष जब तक कि वे नवोदय विद्यालय में पढ़ेंगे छात्र-छात्राएं उसका संरक्षण कर उन्हें पल्लवित करेंगे। जिन बच्चों का पौधा पल्लवित हो जाएगा उन सभी बच्चों को जैव विविधता महत्व के स्थलों का भ्रमण कराया जाएगा।
रातीबड़ नवोदय विद्यालय के बच्चों में जैव संरक्षण के क्षेत्र में प्रभावी अभिव्यक्ति, सकारात्मक सोच को देखते हुए सचिव जैव विविधता संरक्षण एवं प्रौद्योगिकी विभाग श्री जब्बार ढांकवाला ने कहा कि वे आश्वस्त है कि आने वाली यह पीढ़ी निश्चित ही जैव संरक्षण की दिशा में कुछ कर गुजरने की भावना रखती है।
रातीबड़ नवोदय विद्यालय के बच्चों में जैव संरक्षण के क्षेत्र में प्रभावी अभिव्यक्ति, सकारात्मक सोच को देखते हुए सचिव जैव विविधता संरक्षण एवं प्रौद्योगिकी विभाग श्री जब्बार ढांकवाला ने कहा कि वे आश्वस्त है कि आने वाली यह पीढ़ी निश्चित ही जैव संरक्षण की दिशा में कुछ कर गुजरने की भावना रखती है।
उन्होंने कहा कि यह जरूरी भी है नहीं तो संपूर्ण मानव जाति का भविष्य इससे खतरे में पड़ सकता है। इस अवसर पर जैव विविधता बोर्ड के श्री अभिलाष दुबे ने अभियान की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि प्रदेश के सभी नवोदय विद्यालयों में एक हजार दुर्लभ और खतरे में पड़ी प्रजाति के पौधे का रोपण किया जाएगा। जैव विविधता संरक्षण के इस कार्यक्रम में विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाले बच्चों को पुरस्कृत किया गया।
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