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Monday, January 4, 2010

पॉलीटेक्निक भर्ती नियम में होगा बदलाव

उच्च स्तरीय विचार शुरू, पढ़ाई में नवाचार का चिंतन, व्याख्याताओं की हुई संगोष्ठी

प्रदेश में पॉलीटेक्निक भर्ती नियम 2004 की विसंगतियों को दूर कर नए बदलाव लाने पर विचार शुरू हो गया है। इसके चलते वर्ष 2006 तक संविदा पर नियुक्त कोई 400 व्याख्याताओं को अन्य कर्मचारियों की तरह कई सहूलियतें मिल सकेंगी।

यह जानकारी आज यहाँ मध्यप्रदेश पॉलीटेक्निक टीचर्स एसोसिएशन की राज्य स्तरीय संगोष्ठी में तकनीकी शिक्षा संचालक श्री आशीष डोंगरे ने दी। इस मौके पर इन कॉलेजों की शिक्षा में नवाचार और उन्नयन करने तथा गुणवत्ता लाने संबंधी सुझाव व्यक्त किए गए।
प्रदेश के पॉलीटेक्निक कॉलेजों में व्याख्याताओं की लम्बे वक्त से चली आ रही कमी के मद्देनज़र मौजूदा राज्य सरकार ने इस संबंध में प्रतिबंध हटाकर पॉलीटेक्निक भर्ती नियम 2004 के तहत नई नियुक्तियों की कार्रवाई शुरू की थी। इस सिलसिले में वर्ष 2006 तक कोई 400 व्याख्याताओं की नियुक्तियाँ की गईं। ये नियुक्तियाँ इन स्वशासी कॉलेजों में सोसायटी रिक्रूटमेंट पद्धति पर हुई थीं लिहाजा सरकार से इन्हें मिल रहे पोषण अनुदान से ही उपरोक्त व्याख्याताओं को वेतन दिया जाता है।
तकनीकी शिक्षा के बढ़ते महत्व और इस क्षेत्र में बढ़ी मौजूदा निजी क्षेत्र से प्रतिस्पर्धा के चलते अब इस शिक्षा में गुणवत्ता सुधार और स्टॉफ को चुस्त-दुरूस्त करना जरूरी माना जा रहा है। उल्लेखनीय यह भी है कि प्रदेश में नए 14 पॉलीटेक्निक कॉलेज खोलने की मंजूरी पिछले साल ही मिल चुकी है और इस साल इनमें से 5 नए कॉलेज शुरू भी हो चुके हैं।
तकनीकी शिक्षा संचालक श्री आशीष डोंगरे ने बताया कि कुछ विसंगतियों में सुधार के लिए अब या तो पॉलिटेक्निक भर्ती नियम 2004 को खत्म कर पुराने सिस्टम को पुन: लागू करने या फिर इस नियम में व्यापक बदलाव करने पर विचार शुरू हो चुका है। इसमें वेतन और आवास भत्तों के प्रदाय आदि अन्य प्रावधानों को संशोधन में जोड़ा जाएगा।
उन्होंने यह भी कहा कि मौजूदा सिस्टम की कई समस्याएं स्थानीय स्तर की हैं जिन्हें इन कॉलेजों के प्राचार्य दूर करने में सक्षम हैं और उन्हें समय-समय पर इसके लिए निर्देश और मार्गदर्शन भी दिया जाता रहा है। श्री डोंगरे ने व्याख्याताओं से संगोष्ठी में उपजने वाले तकनीकी शिक्षा के विस्तार और उन्नयन संबंधी सुझावों को संकलित रूप में एक कमेटी गठित कर संचालनालय भेजने को कहा।
संगोष्ठी को संबोधित करते हुए राजीव गाँधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के सचिव श्री अरूण नाहर ने कहा कि पॉलीटेक्निक कॉलेजों की व्यवस्था के लिए अब नियमन किया जाना जरूरी हो गया है। पॉलीटेक्निक टीचर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री राजेश भार्गव और सचिव डॉ. घनश्याम सिंह ठाकुर ने इस मौके पर बताया कि इन महाविद्यालयों में शिक्षा के उन्नयन और विस्तार के लिए इसे परिणाममूलक और रूचिप्रद बनाया जाना जरूरी है।
इसी तरह पर्याप्त स्टॉफ और परीक्षा प्रणाली की नए सिरे से नियमित समीक्षा और कैंपस सिलेक्शन को लेकर कई सुझावों पर विचार कर इन्हें शासन को सौंपा जाएगा। संगोष्ठी की रूपरेखा प्राध्यापक श्री राजेन्द्र भूतड़ा ने बताई।

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