मध्यप्रदेश राज्य महिला आयोग ने महिला शिक्षण संस्थाओं में महिला प्रधानाध्यापक एवं प्राचार्य की पदस्थापना तथा कन्या छात्रावासों में तीन साल से पदस्थ वार्डन के तबादला करने संबंधी निर्णय लेकर इसे राज्य शासन को अनुशंसा के लिए भेजने का आज निर्णय लिया।
आयोग की अध्यक्ष श्रीमती कृष्णकांता तोमर की अध्यक्षता में सम्पन्न बैठक में एक मत से इस संबंध में व्यापक चर्चा हुई। आयोग का मत था कि प्रदेश के कन्या विद्यालयों और महाविद्यालयों में केवल महिला प्रधानाध्यापक अथवा प्रधानाचार्य की ही नियुक्ति की जाए।
इससे छात्राएं न केवल अनेक परेशानियों से बच सकेंगी वरन समस्या होने पर खुलकर बता भी सकेंगी। म.प्र. राज्य महिला आयोग की सदस्यगण डॉ. कमला वाडिवा, श्रीमती अमिता चपरा और श्रीमती सुषमा जैन सहित महिला एवं बाल विकास, अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति कल्याण, विधि, स्वास्थ्य विभागों के वरिष्ठ अधिकारी भी बैठक में उपस्थित थे।
बैठक में घरेलू हिंसा, कन्या भ्रूण हत्या, बेटी बचाओ अभियान, कामकाजी महिलाओं एवं अध्ययनरत बालिकाओं हेतु संचालित होस्टलों में मानक स्तर की सुविधाएं उपलब्ध कराने, जिलों में आयोग की बैन्च के दौरान कार्यक्रम अधिकरी की उपस्थिति की अनिवार्यता, महिलाओं की बेहतर स्थिति वाले राज्यों में आयोग सदस्यों के अध्ययन दौरे, घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 के प्रभावी क्रियान्वयन, जिला स्तर पर आयोजित होने वाली संयुक्त बैंचों में स्वास्थ्य विभाग, महिला एवं बाल विकास, राजस्व विभाग के अधिकारियों की उपस्थिति अनिवार्य बनाने, कार्यस्थल प्रताड़ना प्रकरण, राज्य महिला आयोग की कार्यवाही शासन स्तर पर सुनिश्चित करने आदि पर विस्तृत चर्चा की गई।
अध्यक्ष, मध्यप्रदेश राज्य महिला आयोग श्रीमती कृष्णकांता तोमर ने कहा कि आयोग में कन्या विद्यालयों से संबंधित कई शिकायतें आती हैं। चूकि शासकीय सेवा में प्रदेश में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था है। साथ ही शिक्षा विभाग में काफी मात्रा में महिला प्रधानाध्यापिकाएं उपलब्ध हैं इसलिए कन्या विद्यालयों और महाविद्यालयों में महिला प्रधानाध्यापकों एवं प्राचार्यों की नियुक्ति होने से छात्राओं को काफी सुविधा होगी। आयोग ने कन्या छात्रावासों में तीन साल से पदस्थ वार्डनों के तबादलों की भी अनुशंसा की।
श्रीमती कृष्णकांता तोमर ने बताया कि आयोग के समक्ष सर्वाधिक मामले घरेलू हिंसा से संबधित आते हैं। उन्होंने महिला एवं बाल विकास विभाग को निर्देश दिए कि घरेलू हिंसा पर नियंत्रण के लिये जिलों में पदस्थ संरक्षण अधिकारी तीन दिन के भीतर स्थानीय स्तर पर तत्काल डी.आई.आर. फार्म भरकर न्यायालय में प्रस्तुत कर पीड़िता को त्वरित न्याय दिलाएं।
श्रीमती तोमर ने विधि विभाग को भी प्रकरणों में त्वरित कार्यवाई करने के निर्देश दिए। श्रीमती तोमर ने घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 के तहत संरक्षण अधिकारी की भूमिका का प्रचार-प्रसार करने के निर्देश भी दिए ताकि पीड़िता को स्थानीय स्तर त्वरित न्याय मिल सके और उसे आयोग तक पहुंचने के लिए परेशान ना होना पड़े। श्रीमती तोमर ने इसके लिए उषा किरण योजना के बेहतर क्रियान्वयन पर भी जोर दिया। प्रताड़ित महिला को त्वरित न्याय दिलाने के लिए महिला बाल विकास विभाग से पृथक से अधिकारी की नियुक्ति करने की अनुशंसा भी की गई।
कन्या भ्रूण हत्या पर चर्चा के दौरान बैठक में जानकारी दी गई कि प्रदेश में इसके लिए गत 7 सितंबर को 'बिटिया बचाओ अभियान' आरंभ किया गया है। सभी जिलों से आंकड़े इकट्ठा किए जा रहे हैं। आंकड़े उपलब्ध होने के बाद प्राथमिकता के आधार पर कार्यवाई की जाएगी। कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के उपायों पर भ्रूण परीक्षण करने वाले निजी चिकित्सकों पर कार्रवाई पर भी गहन विचार-विमर्श किया गया।
आयोग ने अपने निरीक्षण के दौरान पाया है कि प्रदेश में कामकाजी महिलाओं और अध्ययनरत बालिकाओं के लिए संचालित छात्रावास मानक स्तर की नियामक सुविधाएं नहीं उपलब्ध करा रहे हैं। इसके सुधार के लिए सभी कलेक्टरों को पत्र लिखने का निर्णय लिया गया। बैठक में निर्णय लिया गया राज्य महिला आयोग की जिला स्तर पर आयोजित संयुक्त बैंचों में स्वास्थ्य, महिला एवं बाल विकास, पुलिस, राजस्व विभाग के अधिकारियों की उपस्थिति अनिवार्यत: हो ताकि प्रकरणों का तत्काल निराकरण हो सके।
आयोग की अध्यक्ष श्रीमती कृष्णकांता तोमर की अध्यक्षता में सम्पन्न बैठक में एक मत से इस संबंध में व्यापक चर्चा हुई। आयोग का मत था कि प्रदेश के कन्या विद्यालयों और महाविद्यालयों में केवल महिला प्रधानाध्यापक अथवा प्रधानाचार्य की ही नियुक्ति की जाए।
इससे छात्राएं न केवल अनेक परेशानियों से बच सकेंगी वरन समस्या होने पर खुलकर बता भी सकेंगी। म.प्र. राज्य महिला आयोग की सदस्यगण डॉ. कमला वाडिवा, श्रीमती अमिता चपरा और श्रीमती सुषमा जैन सहित महिला एवं बाल विकास, अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति कल्याण, विधि, स्वास्थ्य विभागों के वरिष्ठ अधिकारी भी बैठक में उपस्थित थे।
बैठक में घरेलू हिंसा, कन्या भ्रूण हत्या, बेटी बचाओ अभियान, कामकाजी महिलाओं एवं अध्ययनरत बालिकाओं हेतु संचालित होस्टलों में मानक स्तर की सुविधाएं उपलब्ध कराने, जिलों में आयोग की बैन्च के दौरान कार्यक्रम अधिकरी की उपस्थिति की अनिवार्यता, महिलाओं की बेहतर स्थिति वाले राज्यों में आयोग सदस्यों के अध्ययन दौरे, घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 के प्रभावी क्रियान्वयन, जिला स्तर पर आयोजित होने वाली संयुक्त बैंचों में स्वास्थ्य विभाग, महिला एवं बाल विकास, राजस्व विभाग के अधिकारियों की उपस्थिति अनिवार्य बनाने, कार्यस्थल प्रताड़ना प्रकरण, राज्य महिला आयोग की कार्यवाही शासन स्तर पर सुनिश्चित करने आदि पर विस्तृत चर्चा की गई।
अध्यक्ष, मध्यप्रदेश राज्य महिला आयोग श्रीमती कृष्णकांता तोमर ने कहा कि आयोग में कन्या विद्यालयों से संबंधित कई शिकायतें आती हैं। चूकि शासकीय सेवा में प्रदेश में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था है। साथ ही शिक्षा विभाग में काफी मात्रा में महिला प्रधानाध्यापिकाएं उपलब्ध हैं इसलिए कन्या विद्यालयों और महाविद्यालयों में महिला प्रधानाध्यापकों एवं प्राचार्यों की नियुक्ति होने से छात्राओं को काफी सुविधा होगी। आयोग ने कन्या छात्रावासों में तीन साल से पदस्थ वार्डनों के तबादलों की भी अनुशंसा की।
श्रीमती कृष्णकांता तोमर ने बताया कि आयोग के समक्ष सर्वाधिक मामले घरेलू हिंसा से संबधित आते हैं। उन्होंने महिला एवं बाल विकास विभाग को निर्देश दिए कि घरेलू हिंसा पर नियंत्रण के लिये जिलों में पदस्थ संरक्षण अधिकारी तीन दिन के भीतर स्थानीय स्तर पर तत्काल डी.आई.आर. फार्म भरकर न्यायालय में प्रस्तुत कर पीड़िता को त्वरित न्याय दिलाएं।
श्रीमती तोमर ने विधि विभाग को भी प्रकरणों में त्वरित कार्यवाई करने के निर्देश दिए। श्रीमती तोमर ने घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 के तहत संरक्षण अधिकारी की भूमिका का प्रचार-प्रसार करने के निर्देश भी दिए ताकि पीड़िता को स्थानीय स्तर त्वरित न्याय मिल सके और उसे आयोग तक पहुंचने के लिए परेशान ना होना पड़े। श्रीमती तोमर ने इसके लिए उषा किरण योजना के बेहतर क्रियान्वयन पर भी जोर दिया। प्रताड़ित महिला को त्वरित न्याय दिलाने के लिए महिला बाल विकास विभाग से पृथक से अधिकारी की नियुक्ति करने की अनुशंसा भी की गई।
कन्या भ्रूण हत्या पर चर्चा के दौरान बैठक में जानकारी दी गई कि प्रदेश में इसके लिए गत 7 सितंबर को 'बिटिया बचाओ अभियान' आरंभ किया गया है। सभी जिलों से आंकड़े इकट्ठा किए जा रहे हैं। आंकड़े उपलब्ध होने के बाद प्राथमिकता के आधार पर कार्यवाई की जाएगी। कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के उपायों पर भ्रूण परीक्षण करने वाले निजी चिकित्सकों पर कार्रवाई पर भी गहन विचार-विमर्श किया गया।
आयोग ने अपने निरीक्षण के दौरान पाया है कि प्रदेश में कामकाजी महिलाओं और अध्ययनरत बालिकाओं के लिए संचालित छात्रावास मानक स्तर की नियामक सुविधाएं नहीं उपलब्ध करा रहे हैं। इसके सुधार के लिए सभी कलेक्टरों को पत्र लिखने का निर्णय लिया गया। बैठक में निर्णय लिया गया राज्य महिला आयोग की जिला स्तर पर आयोजित संयुक्त बैंचों में स्वास्थ्य, महिला एवं बाल विकास, पुलिस, राजस्व विभाग के अधिकारियों की उपस्थिति अनिवार्यत: हो ताकि प्रकरणों का तत्काल निराकरण हो सके।
मुख्य बिन्दु
जिला स्तर पर आयोग की बैंचों का नियमित आयोजन
सर्वाधिक मामले घरेलू हिंसा के
घरेलू हिंसा रोकने के उपायों पर गंभीर चर्चा
घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 के तहत जिलों में संरक्षण अधिकारी
संरक्षण अधिकारी तीन दिन में प्रकरण न्यायालय में प्रस्तुत करें
संरक्षण अधिकारी का पुर्नप्रशिक्षण हो
संरक्षण अधिकारी महिला बाल विकास का अधिकारी
संरक्षण अधिकारी को विभागीय कार्यों से मुक्त रखा जाए ताकि वह पीड़िता को त्वरित न्याय दिला सके
संरक्षण अधिकारी के दायित्वों का व्यापक प्रचार-प्रसार हो
कन्या भ्रूण हत्या रोकने संबंधी उपायों पर चर्चा
कन्या, महिला होस्टलों में मानक स्तर पर सुविधाएं सुनिश्चित हों
महिलाओं की बेहतर स्थिति वाले राज्यों का अध्ययन भ्रमण करेगा महिला आयोग
संयुक्त बैंचों में स्वास्थ्य, महिला बाल विकास, पुलिस, राजस्व विभाग के अधिकारियों की अनिवार्य उपस्थिति हो इससे प्रकरणों के निराकरण में विलम्ब नहीं होगा
कन्या विद्यालयों, महाविद्यालयों में महिला प्रधानाध्यापकों, प्राचार्यों की ही नियुक्ति हो
महिला उत्पीड़न समितियों की सूची मंगाई आयोग ने
आयोग की अनुशंसाओं पर शासन स्तर पर कार्यवाही सुनिश्चित करने प्रकोष्ठ का गठन
सर्वाधिक मामले घरेलू हिंसा के
घरेलू हिंसा रोकने के उपायों पर गंभीर चर्चा
घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 के तहत जिलों में संरक्षण अधिकारी
संरक्षण अधिकारी तीन दिन में प्रकरण न्यायालय में प्रस्तुत करें
संरक्षण अधिकारी का पुर्नप्रशिक्षण हो
संरक्षण अधिकारी महिला बाल विकास का अधिकारी
संरक्षण अधिकारी को विभागीय कार्यों से मुक्त रखा जाए ताकि वह पीड़िता को त्वरित न्याय दिला सके
संरक्षण अधिकारी के दायित्वों का व्यापक प्रचार-प्रसार हो
कन्या भ्रूण हत्या रोकने संबंधी उपायों पर चर्चा
कन्या, महिला होस्टलों में मानक स्तर पर सुविधाएं सुनिश्चित हों
महिलाओं की बेहतर स्थिति वाले राज्यों का अध्ययन भ्रमण करेगा महिला आयोग
संयुक्त बैंचों में स्वास्थ्य, महिला बाल विकास, पुलिस, राजस्व विभाग के अधिकारियों की अनिवार्य उपस्थिति हो इससे प्रकरणों के निराकरण में विलम्ब नहीं होगा
कन्या विद्यालयों, महाविद्यालयों में महिला प्रधानाध्यापकों, प्राचार्यों की ही नियुक्ति हो
महिला उत्पीड़न समितियों की सूची मंगाई आयोग ने
आयोग की अनुशंसाओं पर शासन स्तर पर कार्यवाही सुनिश्चित करने प्रकोष्ठ का गठन
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