सागर। डॉ। हरीसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय कैम्पस में रैगिंग की खबर ने हलचल मचा दी। फॉर्मेसी विभाग में तोड़फोड़ हुई। तनाव के देखते हुए पुलिस बल तैनात करना पड़ा। बाद में प्रशासनिक हस्तक्षेप हुआ और मामला अनुशासनहीनता का सामने आया। कथित रैगिंग के 16 छात्र-छात्राओं को 15 दिन के लिए निष्कासित किया गया।
पुलिस ने 15 विद्यार्थियों को हिरासत में लेकर 4 घंटे से अधिक तक सिविल लाइंस थाना में अभिरक्षा में रखा। इनमें आठ छात्राएं शामिल थीं। शनिवार को दोपहर 12 बजे फॉर्मेसी विभाग में बीफॉर्म द्वितीय वर्ष के विद्यार्थी बीफॉर्म प्रथम वर्ष प्रथम सेमेस्टर के विद्यार्थियों की क्लॉस में परिचय के नाम पर कथित रैगिंग ले रहे थे। यह सूचना कैंपस में आग की तरह फैल गई।
खबर मिलने पर तुरंत ही प्रॉक्टर आरपी गौतम व प्रॉक्टोरियल बोर्ड के अन्य सदस्य फॉर्मेसी विभाग पहुंचे। क्लॉस का नजारा देखकर भौचक्के रह गए। जूनियर छात्र-छात्राएं सिर लटकाए बैठे थे। सीनियर छात्र उनके सामने खड़े थे। वे कथित रूप से जूनियर से परिचय ले रहे थे। बताया जाता है कि सीनियर ने जूनियर से आपत्तिजनक हरकत करवरई।
यह खबर सुनते ही कैंपस में सनसनी फैल गई। इस समय मुख्य प्रशासनिक भवन में कार्य परिषद की बैठक चल रही थी। जिसमें केंद्रीय मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय के सचिव सुशील कुमार भी मौजूद थे। कुछ छात्र नेताओं ने फॉर्मेसी विभाग में कथित रैगिंग की जानकारी मिलने पर दोपहर को विभाग में जाकर तोड़फोड़ कर दी।
जिससे कुछ समय के लिए यहां तनाव की स्थिति बन गई। दोपहर 12:30 बजे कैंपस में पुलिस बल तैनात कर दिया। कथित रैगिंग की जांच के लिए फॉर्मेसी विभाग की विभागीय समिति, प्रॉक्टोरियल बोर्ड और पुलिस की बैठक हुई। सिविल लाइन थाना के एसआई नवल आर्य ने बताया कि प्रारंभिक जांच में यह मामला रैगिंग का न पाया जाकर अनुशासनहीनता का पाया गया।
जिस कारण पुलिस ने विभागीय जांच समिति एवं प्रॉक्टोरियल बोर्ड के लिखित आवेदन के बाद शाम 4:30 बजे सभी 15 आरोपी छात्र-छात्राओं को समझाइश देकर छोड़ दिया। प्रॉक्टर प्रो. गौतम का कहना है कि इस मामले की जांच प्रॉक्टोरियल बोर्ड द्वारा दोबारा की जाएगी। बुधवार को बोर्ड की बैठक होगी। बीफॉर्म प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों के बयान लिए जाएंगे।
यदि यह मामला रैगिंग का पाया गया तो सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार दोषी विद्यार्थियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। सजा में अधिकतक 50 हजार का जुर्माना एवं एक साल के लिए विवि से निष्काषित किए जाने का प्रावधान है। बहरहाल विवि में इस प्रकार की घटनाएं होती रही हैं।
लेकिन यह पहला मौका है जब कथित रैगिंग के आरोप में एक साथ 15 विद्यार्थियों को प्रॉक्टोरियल बोर्ड द्वारा पुलिस के हवाले किया गया हो। प्रारंभ में यह मामला रैगिंग का ही बताया जा रहा था। लेकिन किन्हीं कारणों के चलते अनुशासनहीनता का बताया गया। इस मामले में विभागीय जांच समिति एवं अनुशासन समिति की भूमिका पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
पुलिस ने 15 विद्यार्थियों को हिरासत में लेकर 4 घंटे से अधिक तक सिविल लाइंस थाना में अभिरक्षा में रखा। इनमें आठ छात्राएं शामिल थीं। शनिवार को दोपहर 12 बजे फॉर्मेसी विभाग में बीफॉर्म द्वितीय वर्ष के विद्यार्थी बीफॉर्म प्रथम वर्ष प्रथम सेमेस्टर के विद्यार्थियों की क्लॉस में परिचय के नाम पर कथित रैगिंग ले रहे थे। यह सूचना कैंपस में आग की तरह फैल गई।
खबर मिलने पर तुरंत ही प्रॉक्टर आरपी गौतम व प्रॉक्टोरियल बोर्ड के अन्य सदस्य फॉर्मेसी विभाग पहुंचे। क्लॉस का नजारा देखकर भौचक्के रह गए। जूनियर छात्र-छात्राएं सिर लटकाए बैठे थे। सीनियर छात्र उनके सामने खड़े थे। वे कथित रूप से जूनियर से परिचय ले रहे थे। बताया जाता है कि सीनियर ने जूनियर से आपत्तिजनक हरकत करवरई।
यह खबर सुनते ही कैंपस में सनसनी फैल गई। इस समय मुख्य प्रशासनिक भवन में कार्य परिषद की बैठक चल रही थी। जिसमें केंद्रीय मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय के सचिव सुशील कुमार भी मौजूद थे। कुछ छात्र नेताओं ने फॉर्मेसी विभाग में कथित रैगिंग की जानकारी मिलने पर दोपहर को विभाग में जाकर तोड़फोड़ कर दी।
जिससे कुछ समय के लिए यहां तनाव की स्थिति बन गई। दोपहर 12:30 बजे कैंपस में पुलिस बल तैनात कर दिया। कथित रैगिंग की जांच के लिए फॉर्मेसी विभाग की विभागीय समिति, प्रॉक्टोरियल बोर्ड और पुलिस की बैठक हुई। सिविल लाइन थाना के एसआई नवल आर्य ने बताया कि प्रारंभिक जांच में यह मामला रैगिंग का न पाया जाकर अनुशासनहीनता का पाया गया।
जिस कारण पुलिस ने विभागीय जांच समिति एवं प्रॉक्टोरियल बोर्ड के लिखित आवेदन के बाद शाम 4:30 बजे सभी 15 आरोपी छात्र-छात्राओं को समझाइश देकर छोड़ दिया। प्रॉक्टर प्रो. गौतम का कहना है कि इस मामले की जांच प्रॉक्टोरियल बोर्ड द्वारा दोबारा की जाएगी। बुधवार को बोर्ड की बैठक होगी। बीफॉर्म प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों के बयान लिए जाएंगे।
यदि यह मामला रैगिंग का पाया गया तो सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार दोषी विद्यार्थियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। सजा में अधिकतक 50 हजार का जुर्माना एवं एक साल के लिए विवि से निष्काषित किए जाने का प्रावधान है। बहरहाल विवि में इस प्रकार की घटनाएं होती रही हैं।
लेकिन यह पहला मौका है जब कथित रैगिंग के आरोप में एक साथ 15 विद्यार्थियों को प्रॉक्टोरियल बोर्ड द्वारा पुलिस के हवाले किया गया हो। प्रारंभ में यह मामला रैगिंग का ही बताया जा रहा था। लेकिन किन्हीं कारणों के चलते अनुशासनहीनता का बताया गया। इस मामले में विभागीय जांच समिति एवं अनुशासन समिति की भूमिका पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
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