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Sunday, July 19, 2009

मप्र के पहले केन्द्रीय विवि की कार्यपरिषद गठित

मप्र के पहले केन्द्रीय विश्वविद्यालय डॉ० हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय की पहली कार्यपरिषद का गठन हो गया है। राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल की सहमति से केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्रालय नई दिल्ली ने विवि की नई कार्यपरिषद के सदस्यों के नामों की घोषणा कर दी है। मंत्रालय से सदस्यों के नामों की सूची गुरुवार शाम को सागर विवि के कुलपति कार्यालय को फैक्स द्वारा प्राप्त हुई।
डॉ० हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी प्रो० अखिलेश्वर प्रसाद दुबे ने कि मानव संसाधन विभाग से प्राप्त जानकारी के मुताबिक सागर विश्वविद्यालय की ११ सदस्यीय कार्यपरिषद व अकादमिक परिषद का गठन कर दिया गया है।
दुबे ने बताया कि कार्यपरिषद मे पदेन सभापति के रुप में विश्वविद्यालय के वर्तमान कुलपति प्रो० एनएस गजभिए, पदेन सदस्य मानव संसाधन विभाग के सचिव व मप्र उच्च शिक्षा विभाग के सचिव, के अलावा महाराजपुर (छतरपुर) विधायक मानवेन्द्र सिंह, टीकमगढ़ के विधायक यादवेन्द्र सिंह, प्रो० केवल चंन्द जैन, प्रो० राम प्रसाद, सेवानिवृत्त प्रो० बद्री प्रसाद जैन, प्रो० आरके त्रिवेदी सागर विश्वविद्यालय के पूर्व व बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के वर्तमान कुलपति प्रो० डीपी सिंह व प्रदीप गुप्ता को सदस्य मनोनीत किया गया है।
जबकि २१ सदस्यीय अकादमिक परिषद में सागर विवि के कुलपति व सह-उपकुलपति को क्रमशः पदेन सभापति व सदस्य के अलावा देशबंधु भोपाल के संपादक ललित सुरजन, कलकत्ता विवि के पूर्व कुलपति प्रो० आशीष कुमार बनर्जी, इलाहाबाद के जीबी पंत सोशल साईंस इंस्टीट्यूट के निदेशक प्रो० प्रदीप भार्गव, मिजोरम विवि के प्रो० आरपी तिवारी, कलकत्ता के भारतीय सांखियकी संस्थान के अर्थशास्त्री प्रो० मधुरा स्वामीनाथन, पूना विवि के पूर्व कुलपति प्रो० अशोक कोलास्कर, भोपाल के आईआईएसईआर के निदेशक प्रो० विनोद कुमार सिंह, भोपाल की नेशनल लॉ इस्टीट्यूट यूनिवर्सिटी के प्रो० एस एस सिंह, मुबंई की एसएनडीटी वूमेन्स यूनिवर्सिटी की पूर्व कुलपति प्रो० सुमा चिटनिस, यूजीसी के सदस्य प्रो० के० रामामूर्ति नायडू को सदस्य मनोनीत किया गया है।
जबकि सागर विवि से प्रो० एसके आचार्य, प्रो० एस बनर्जी, प्रो० आरएस ,कसाना, प्रो० एसके शुक्ला, प्रो० जीपी नेमा, प्रो० कुसुम भूरिया, प्रो० पीके राय व प्रो० गणेश शंकर को भी अकादमिक परिषद मे स्थान दिया गया है।
गौरतलब है कि कार्यपरिषद के गठन मे देरी होने की वजह से सागर विश्वविद्यालय के केन्द्रीय विश्वविद्यालय मे बदलाव व विकास की प्रक्रिया भी गति नहीं पकड़ पा रही थी। परिषद के गठन के साथ ही विवि के विकास के सिलसिले मे नीतिगत फैसले लेने का रास्ता भी साफ हो गया है।

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