उच्च शिक्षा मंत्री अर्चन चिटिनीस ने आज राज्य विधानसभा में स्वीकार किया कि प्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 2007.08 में काउंसलिंग के माध्यम से बी.एड में प्रवेश दिए गए विद्यार्थियों की परीक्षा एक वर्ष से सम्पन्न नहीं हो सकी है तथा इस सबंध में न्यायालईन प्रकरणों के निपटारे के बाद वर्ष 09.10 में प्रवेश पर विचार किया जाएगा।
अर्चना चिटनीस ने सदन में यशपाल सिसोदिया, गिरजाशंकर शर्मा तथा अजय सिंह के ध्यानाकर्षण सूचना के संबंध में अपने लिखित वक्तव्य में बताया कि मान्यता प्राप्त व गैर मान्यता प्राप्त महाविद्यालयों के विभिन्न न्यायालयों में लंबित करीब 300 प्रकरणों में न्यायिक कार्यवाही और न्यायालय द्वारा समय समय पर दिए गए स्थगन के कारण परीक्षा सम्पन्न नहीं हो सकी।
उन्होंने बताया कि सर्वाच्च न्यायालय के पिछले साल 18 फरवरी के निर्णय के अनुसार गैर मान्यता प्राप्त 196 महाविद्यालयों के विद्यार्थियों के लिए केन्द्रीयकृत काउंसलिंग हेतु निर्देश जारी किए गए हैं। चिटनीस ने परीक्षा के लिए शासन स्तर पर विलंब किए जाने के आरोपों को नकारते हुए कहा कि मान्यता प्राप्त और गैर मान्यता प्राप्त महाविद्यालयों की सूची के निरंतर न्यायालयों में विवादित रहने के कारण एवं न्यायालयों द्वारा पारित अंतरिम आदेशों के कारण बी.एड की परीक्षा संभव नहीं हो सकी।
उन्होंने कहा कि इसी साल 13 मार्च को उच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में स्पष्ट किया है कि किसी भी बी.एड महाविद्यालय को केन्द्रीय संस्था एन.सी.टी.ई द्वारा अनुमति देने के पश्चात राज्य शासन को अमान्य करने का अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय के उक्त निर्णय के परिपेक्ष्य में यह कहना उचित नहीं है कि प्रदेश के अधिकारियों द्वारा एक कमरे के कालेजों को मान्यता दिए जाने से अच्छे कालेजों की छबि खराब हो रही है।
उच्च शिक्षा मंत्री ने बताया कि अभी भी इस संबंध में 17 प्रकरण सर्वोच्च न्यायालय में लंबित हैं।
भाजपा के सिसोदिया एवं गिरजाशंकर को कहना था कि 242 महाविद्यालयों की मान्यता बहाल कर दी गई है और मान्यता प्राप्त महाविद्यालयों में परीक्षा आयोजित कराई जा सकती है क्योंकि लगभग 30 हजार परीक्षाथी परीक्षा के इंतजार में बैठे हैं। कांग्रेस के अजय सिंह का कहना था कि एनसीटीई का सहारा लेकर सरकार अपनी जिम्मेदारी से मुकर नहीं सकती है।
उन्होंने बताया कि सर्वाच्च न्यायालय के पिछले साल 18 फरवरी के निर्णय के अनुसार गैर मान्यता प्राप्त 196 महाविद्यालयों के विद्यार्थियों के लिए केन्द्रीयकृत काउंसलिंग हेतु निर्देश जारी किए गए हैं। चिटनीस ने परीक्षा के लिए शासन स्तर पर विलंब किए जाने के आरोपों को नकारते हुए कहा कि मान्यता प्राप्त और गैर मान्यता प्राप्त महाविद्यालयों की सूची के निरंतर न्यायालयों में विवादित रहने के कारण एवं न्यायालयों द्वारा पारित अंतरिम आदेशों के कारण बी.एड की परीक्षा संभव नहीं हो सकी।
उन्होंने कहा कि इसी साल 13 मार्च को उच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में स्पष्ट किया है कि किसी भी बी.एड महाविद्यालय को केन्द्रीय संस्था एन.सी.टी.ई द्वारा अनुमति देने के पश्चात राज्य शासन को अमान्य करने का अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय के उक्त निर्णय के परिपेक्ष्य में यह कहना उचित नहीं है कि प्रदेश के अधिकारियों द्वारा एक कमरे के कालेजों को मान्यता दिए जाने से अच्छे कालेजों की छबि खराब हो रही है।
उच्च शिक्षा मंत्री ने बताया कि अभी भी इस संबंध में 17 प्रकरण सर्वोच्च न्यायालय में लंबित हैं।
भाजपा के सिसोदिया एवं गिरजाशंकर को कहना था कि 242 महाविद्यालयों की मान्यता बहाल कर दी गई है और मान्यता प्राप्त महाविद्यालयों में परीक्षा आयोजित कराई जा सकती है क्योंकि लगभग 30 हजार परीक्षाथी परीक्षा के इंतजार में बैठे हैं। कांग्रेस के अजय सिंह का कहना था कि एनसीटीई का सहारा लेकर सरकार अपनी जिम्मेदारी से मुकर नहीं सकती है।
0 comments:
Post a Comment