सागर।भाषा। दुनिया भर में दहशत फैला रहे स्वाइन फ्लू को भारत के हर घर की रसोई में रोजाना उपयोग में आने वाले गरम मसाले के एक घटक से ही निपटा जा सकता है।
स्थानीय डा. हरिसिंह गौर केन्द्रीय विश्वविद्यालय के वनस्पति विभाग के प्रोफेसर अजय शंकर मिश्रा ने बताया कि गरम मसाले का एक घटक 'स्टार एनाइस' ही वह पदार्थ है, जिससे टेमीफ्लू नामक एण्टी वायरल दवा बनाई जाती है। टेमीफ्लू को स्वाइन फ्लू से निपटने में सबसे ज्यादा कारगर उपचार माना जा रहा है।
मिश्रा ने बताया कि चीन में काफी पहले से ही इस दवा को सर्दी, खांसी व नाक-गले के संक्रमण के उपचार के लिए प्रयोग किया जाता रहा है।
प्रो. मिश्र कहते हैं कि भारत और चीन के लोगों की रसोई में स्वाद बढ़ाने के लिए वर्षो से प्रयोग में लाए जा रहे मसालों में शामिल ''स्टार एनाइस'' ही वह पदार्थ है जो स्वाइन फ्लू वायरस के हमले से भारत और चीन के लोगों को बचाए रख सकता है।
उन्होंने कहा कि ''स्टार एनाइस'' नाम लोगों को नया लग सकता है, लेकिन हर प्रांत में यह अपने गुणों एवं अलग-अलग नाम से यह खूब जाना पहचाना जाता है। देश के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के स्पाइस बोर्ड आफ इंडिया के मुताबिक, ''स्टार एनाइस'' बड़े पैमाने पर दक्षिण-पूर्वी चीन और कम मात्रा में भारत के उत्तर पूर्वी प्रदेशों में सदाबहार झाडी के फूल के रूप में पैदा होता है।
इसे वनस्पति जगत में ''इलीसियम वेरम'' फार्मास्यूटिकल क्षेत्र में फ्रक्टस एनिसी स्टेल्लटी, हिन्दी भाषा में कर्णफूल, अनासफल या वदियानी फूल, मलयालम में टेक्कोलम, मराठी में बदियान, उर्दू में बदियानी, तेलगू में अनासपूवू, तमिल में अनासूप्पू और अंग्रेजी भाषा में इंडियन एवं चाईनीज एनाईस के नाम से जाना जाता है।
अंतर्राष्ट्रीय संस्था वर्ल्ड फण्ड के मध्यप्रदेश के सलाहकार प्रो. मिश्र बताते हैं कि हाल ही में एक अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी ने भी चीन के स्वास्थ्य मंत्री चेन जून के हवाले से प्रसारित खबर में इस बात का उल्लेख किया है कि टेमीफ्लू एण्टीवायरल दवा का मुख्य घटक वही स्टार एनाइस है, जिसका प्रयोग भारतीय और चीनी रसोई में किया जाता है।
उन्होंने कहा कि भारत के हर शहर में किसी भी किराने की दुकान में यह कर्णफूल या वदियान फूल के नाम से मिल सकता है। सितारे के आकार की सात से आठ पंखुड़ियों के आकार का ''स्टार एनाइस'' स्वाद और खुशबू में सौंफ जैसा लगता है। उल्लेखनीय है कि अब तक 22 देश स्वाइन फ्लू यानि इनफ्लूएंजा ए .एच। एन। की चपेट में आ चुके हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, अब तक इस स्वाइन फ्लू के वायरस के संक्रमण के 1516 मामलों की आधिकारिक पुष्टि हुई है, जिनमें से 29 लोगों की मौत हो चुकी है। यह एक नया वायरस है और मनुष्यों में इसकी प्रतिरोधक क्षमता अब तक विकसित नहीं हुई है। इसीलिए इसके महामारी का रुप धारण करने का खतरा है।
फिलहाल दुनिया का शायद ही कोई ऐसा देश होगा जो अपने को एच। एन। वायरस के संक्रमण से पूरी तरह महफूज समझ रहा होगा।
मिश्र मानते हैं कि स्टार एनाइस के स्वाइन फ्लू के संक्रमण के खिलाफ रक्षा कवच मानने की खबर से दुनिया के अन्य देशों में भी इस बीमारी से निपटने के लिए देसी तरीकों की तलाश का सिलसिला शुरु हो सकता है।
मिश्रा ने बताया कि चीन में काफी पहले से ही इस दवा को सर्दी, खांसी व नाक-गले के संक्रमण के उपचार के लिए प्रयोग किया जाता रहा है।
प्रो. मिश्र कहते हैं कि भारत और चीन के लोगों की रसोई में स्वाद बढ़ाने के लिए वर्षो से प्रयोग में लाए जा रहे मसालों में शामिल ''स्टार एनाइस'' ही वह पदार्थ है जो स्वाइन फ्लू वायरस के हमले से भारत और चीन के लोगों को बचाए रख सकता है।
उन्होंने कहा कि ''स्टार एनाइस'' नाम लोगों को नया लग सकता है, लेकिन हर प्रांत में यह अपने गुणों एवं अलग-अलग नाम से यह खूब जाना पहचाना जाता है। देश के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के स्पाइस बोर्ड आफ इंडिया के मुताबिक, ''स्टार एनाइस'' बड़े पैमाने पर दक्षिण-पूर्वी चीन और कम मात्रा में भारत के उत्तर पूर्वी प्रदेशों में सदाबहार झाडी के फूल के रूप में पैदा होता है।
इसे वनस्पति जगत में ''इलीसियम वेरम'' फार्मास्यूटिकल क्षेत्र में फ्रक्टस एनिसी स्टेल्लटी, हिन्दी भाषा में कर्णफूल, अनासफल या वदियानी फूल, मलयालम में टेक्कोलम, मराठी में बदियान, उर्दू में बदियानी, तेलगू में अनासपूवू, तमिल में अनासूप्पू और अंग्रेजी भाषा में इंडियन एवं चाईनीज एनाईस के नाम से जाना जाता है।
अंतर्राष्ट्रीय संस्था वर्ल्ड फण्ड के मध्यप्रदेश के सलाहकार प्रो. मिश्र बताते हैं कि हाल ही में एक अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी ने भी चीन के स्वास्थ्य मंत्री चेन जून के हवाले से प्रसारित खबर में इस बात का उल्लेख किया है कि टेमीफ्लू एण्टीवायरल दवा का मुख्य घटक वही स्टार एनाइस है, जिसका प्रयोग भारतीय और चीनी रसोई में किया जाता है।
उन्होंने कहा कि भारत के हर शहर में किसी भी किराने की दुकान में यह कर्णफूल या वदियान फूल के नाम से मिल सकता है। सितारे के आकार की सात से आठ पंखुड़ियों के आकार का ''स्टार एनाइस'' स्वाद और खुशबू में सौंफ जैसा लगता है। उल्लेखनीय है कि अब तक 22 देश स्वाइन फ्लू यानि इनफ्लूएंजा ए .एच। एन। की चपेट में आ चुके हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, अब तक इस स्वाइन फ्लू के वायरस के संक्रमण के 1516 मामलों की आधिकारिक पुष्टि हुई है, जिनमें से 29 लोगों की मौत हो चुकी है। यह एक नया वायरस है और मनुष्यों में इसकी प्रतिरोधक क्षमता अब तक विकसित नहीं हुई है। इसीलिए इसके महामारी का रुप धारण करने का खतरा है।
फिलहाल दुनिया का शायद ही कोई ऐसा देश होगा जो अपने को एच। एन। वायरस के संक्रमण से पूरी तरह महफूज समझ रहा होगा।
मिश्र मानते हैं कि स्टार एनाइस के स्वाइन फ्लू के संक्रमण के खिलाफ रक्षा कवच मानने की खबर से दुनिया के अन्य देशों में भी इस बीमारी से निपटने के लिए देसी तरीकों की तलाश का सिलसिला शुरु हो सकता है।
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