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Sunday, February 22, 2009

आजादी के आधा दशक बाद मप्र को मिला केन्द्रीय विश्वविद्यालय...

केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्रालय मंत्री अर्जुन सिंह द्वारा शनिवार को डा0 हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय परिसर मे समाधि स्थल मैदान मे आयोजित एक गरिमामय आयोजन में दोपहर 2 बजकर 10 मिनिट पर डॉ0 हरिसिहं गौर विश्वविद्यालय को औपचारिक रूप से केन्द्रीय विश्वविद्यालय घोषित किया। इसके पहले सर्वदलीय नागरिक संघर्ष मोर्चा द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम मे श्री सिंह का नागरिक अभिनंदन किया गया। केन्द्रीय मानव संसाधान मंत्री ने अपने संबोधन की शुरू आत विद्यार्थियों को किसी भी विद्यालय मे जान फूंकने वाला बताकर कहा कि यह मेरा सौभाग्य है जो मुझे सागर विश्वविद्यालय के संस्थापक डॉ० हरिसिंह गौर की स्मृति उनकी विरासत को और स्पष्ट रूम से रेखांकित करने का अवसर मिला।

अपने उदबोधन मे उन्होने खासतौर पर विद्यार्थियों को आगाह किया कि महज केन्द्रीय नाम जुड़ जाने से कोई चीज महत्वपूर्ण नहीं बन जाती है। विश्वविद्यालय के केन्द्रीय बन जाने से इसके विद्यार्थियों, शिक्षकों व कर्मचारियों की जिम्मेदारी और बढ़ गई है। वे अब पहले से ज्यादा समर्पित भाव से विश्वविद्यालय के हित मे काम करेगें।
इस मौके पर डॉ0 गौर से हुई अपनी पहली मुलाकात की यादों को ताजा करते हुए श्री सिंह ने कहा कि डॉ0 गौर से मुझे खासतौर से दो बाते सीखने को मिलीं पहली अग्रेजीं बोलने का लहजा व दूसरा यह कि हर व्यक्ति को पहले यह तय करना चाहिए कि वह समाज की सेवा कैसे करेगा । उसके बाद ही अपनी कमाई या पैसा कमाने के बारे मे सोचना चाहिए। डॉ0 हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय को केन्द्रीय विश्वविद्यालय घोषित कराने को उन्होने डॉ0 गौर के लिए अपनी श्रद्धांजली बताया।
अपने उद्बोधन मे उन्होने बताया कि देश भर मे उच्च शिक्षा के संस्थानों का बड़ी संख्या मे खोला जाना यूपीए सरकार की अध्यक्षा सोनिया गांधी व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सोच का नतीजा है। इन दोनों ने देश मे शिक्षा के विकास के मकसद से शिक्षा के लिए 10 पंचवर्षीय योजना के तहत मिले अनुदान को 11 वीं पंचवर्षीय योजना मे 9 गुना बढ़ा दिया। इसी के चलते ही देश मे 8 आईआईटी, 20 आईआईएम, 14 टीटीटीआई , 373 जिलों मे आदर्श महाविद्यालय, 1000 पॉलिटेक्निक कॉलेज व 15 नए केन्द्रीय विश्वविद्यालयों की स्थापना संभव हो सकी है।
यूपीए सरकार का अगला लक्ष्य ''शिक्षा के अधिकार'' कासंवैधानिक अधिकार का दर्जा दिलाना है। इस सिलसिले में विधेयक संसद मे पेश किया जा चुका है। जो जल्द ही कानून का रुप ले लेगा।
राज्य सरकारों द्वारा शिक्षा के प्रसार के लिए केन्द्र से पर्याप्त आर्थिक मदद नहीं मिलने के लगाए जा रहे आरोपों का जिक्र करते हुए श्री सिंह ने कहा कि पीड़ा इस बात की है कि राज्य शिक्षा के मामले मे जो भी प्रयोकर रहे हैं वो केन्द्र से मिले राशि से ही कर रहे हैं लेकिन इस बात का स्वीकार नहीं रहे हैं। वो अगर केन्द्र से शिक्षा को प्राथमिकता देने की अपेक्षा रखते हैं तो उनको भी शिक्षा को उतनी ही प्राथमिकता देनी चाहिए।
उन्होने कहा कि शिक्षा और विकास के पैसे की कमी नहीं है केवल जरुरत है राजनीति से उपर उठकर प्रयास करने की। इसके लिए उन्हाने खुद को भी कुछ हद तक दोषी बताते हुए कहा कि शिक्षा का विकास राज्य व केन्द्री की सामूहिक जिम्मेदारी है। इसे नहीं निभाने पर केन्द्र व राज्य दोनों का ही हित नहीं हो सकेगा।
रोजगार मूलक शिक्षा के सिलसिले मे उन्होने बताया कि मप्र में प्रचुर मात्रा मे कोयला मिलता है। लेकिन इससे केवल मजदूर के रुप मे ही लाखों लोग लाभ ले पा रहे हैं। बिहरा के धनबाद मे स्थित माइनिंग कॉलेज की वजह से कोयला उत्खनन के क्षेत्र मे अनेक अवसर मिल रहे हैं। इसी बात को ख्याल मे रखकर सिगंरौली जहां मप्र की सबसे बड़ी कोयला खान है - में मानव संसाधन मंत्रालय धनबाद माईनिंग कॉलेज की एक शाखा खोलने जा रहा है।
कार्यक्रम को मप्र के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भागर्व, नगरीय विकास मंत्री बाबूलाल गौर व उच्च शिक्षा मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस ने भी संबोधित किया। इस मौके पर श्री बाबूलाल गौर ने कहा कि आधी सदी के बाद मप्र को केन्द्रीय विश्वविद्यालय की सौगात मिलना से यह आयोजन ऐतिहासिक बन गया है। अब सागर मप्र का अग्रणी शहर बन सकेगा। वहीं पंचायत मंत्री ने कहा कि केन्द्रीय विश्वविद्यालय को शिल्पी बताते हुए कहा कि ''दाउ साहब की यह सौगात प्रदेश के लिए गौरव की बात है।'' श्री भार्गव ने बुंदेलख्ड के विकास के लिए भाजपा सरकार द्वारा सागर मे 150 करोड़ की लागत से बन रहे मेडिकल कॉलेज को भी क्षेत्र की अहम उपलब्धि बताया।
प्रदेश की उच्च शिक्षा मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस ने सागर विश्वविद्यालय को दुनिया का एकमात्र ऐसा विश्वद्यिालय बताया जो किसी राजा या सरकार के पैसे से नहीं बना है। प्रदेश को मिली इस सौगात मे प्रदेश सरकार की भाजपा सरकार की भूमिका को रेखांकित करते हुए उन्होने बताया कि श्री बाबूलाल गौर के मुख्यमंत्रित्व काल में ही वर्ष 1997 मे सागर की तत्कालीन विधायक श्रीमती ने सुधा जैन ने एक गैर शासकीय प्रस्ताव के रुप मे केन्द्रीय विश्वविद्यालय की मांग को विधानसभा के पटल पर रखा था। जिससे सरकार ने सर्वसम्मति से पारित कर केन्द्र सरकार के पास भेजा था।
इस मौके पर श्रीमती चिटनिस ने बताया कि सागर का विश्वद्यिालय देश का 16 वां विश्वविद्यालय है। वर्तमान मे इससे 122 कॉलेज संबद्धहै। लेकिन इस विश्वविद्यालय के केन्द्र सरकार के पास पहुंच जाने की वजह से प्रदेश सरकार सागर मे एक राज्य स्तरीय विश्वविद्यालय खोलने की योजना बना रही है।
कार्यकक्रम में भाजपा के प्रदेश महामंत्री भूपेन्द्र सिंह ठाकुर, सुरखी के विधायक गोविन्द सिंह राजपूत, खुरई से अरुणोदय चौबे, देवरी से भानू राणा, बण्डा से नरायण प्रजापति, डॉ0 हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 आरपी अग्रवाल, मानवसंसाधन विकास मंत्रालय के उच्च शिक्षा सचिव श्री आरपी अग्रवाल विश्वविद्याय के शिक्षक, कर्मचारी व बड़ी संख्या मे विद्यार्थी भी शामिल हुए।

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