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Monday, November 24, 2008

कैरियर का राजमार्ग-पढ़ांए और कमांए.. भाग-2

देश में मौके
भारत की बात करें, तो सरकारी नीतियों और लोगों में जागरूकता के कारण शिक्षण संस्थानों व स्कूलों में टीचर्स की मांग में जबर्दस्त बूम है। शिक्षा के मोर्चे पर सरकार काफी मशक्कत कर रही है और इसका सारा दारोमदार टीचर्स के कंधों पर है। सरकारी शिक्षक मूल रूप से स्कूलों, कॉलिजों, विश्वविद्यालयों, पॉलीटेक्निक व अन्य शिक्षण संस्थानों में नियुक्त किए जाते हैं। शिक्षकों के स्तर होते हैं- नर्सरी टीचर, प्राइमरी टीचर, टीजीटी व पीजीटी। इसी तरह, कॉलिजों में लेक्चरर, रीडर, प्रफेसर तथा आर्ट व क्राफ्ट कॉलिजों में इंस्ट्रक्टर नियुक्त किए जाते हैं। निजी क्षेत्र के तकनीकी कॉलिजों में भी शिक्षकों की लगातार डिमांड रहती है।
काम का स्वरूप
सभी टीचर्स का वर्कप्रोफाइल अलग होता है। नर्सरी टीचर जहां छोटे बच्चों में अच्छी आदतें व आपस में मिल-जुलकर कार्य करने की भावना विकसित करते हैं, वहीं प्राइमरी टीचर्स बच्चों के शौक व आदतों के अनुसार कार्य करने पर बल देते हैं। ग्रैजुअट व पोस्ट ग्रैजुअट टीचर्स को टीजीटी व पीजीटी कहा जाता है। ऐसे अध्यापकों पर अधिक दबाव रहता है।
वे हाईस्कूल और इंटरमीडिएट लेवल के बच्चों पर फोकस करते हैं। इसी तरह, खेलकूद, नाटक, संगीत आदि से संबंधित शिक्षक भी अपने फील्ड के महारथी तैयार करते हैं। कॉलिजों में प्रफेसर शोधार्थियों का मार्गदर्शन करते हैं और लेक्चरर पढ़ाई का कार्य करते हैं। इन पदों पर रहते हुए आपको विशेष सावधानी की जरूरत होती है, क्योंकि युवाओं को सही समय पर आपके सही मार्गदर्शन की जरूरत होती है।

एजुकेशनल क्वॉलिफिकेशन
नर्सरी टीचर
नर्सरी टीचर छोटे बच्चों को पढ़ाते हैं। इन कक्षाओं में पढ़ाने के लिए उम्मीदवार के पास नर्सरी टीचर टेनिंग का एक वर्षीय प्रमाण-पत्र होना बेहद जरूरी होता है। आप चाहें, तो दो वर्षीय नर्सरी टीचर ट्रेनिंग भी कर सकते हैं। ये पाठ्यक्रम देश के विभिन्न पॉलिटेक्निकों व व्यावसायिक शिक्षण संस्थानों में चलाए जाते हैं। इस कोर्स के बाद प्राइवट व सरकारी स्कूलों में छोटे बच्चों को पढ़ाने का काम किया जा सकता है।
प्राइमरी टीचर
प्राइमरी टीचर पहली से पांचवीं कक्षाओं तक के बच्चों को पढ़ाते हैं। इसके लिए दो वर्षीय टीचर ट्रेनिंग का डिप्लोमा होना जरूरी है। यह डिप्लोमा विभिन्न शिक्षण संस्थानों में संचालित किया जाता है। इसके अलावा, अगर आप जेबीटी (जूनियर बेसिक ट्रेनिंग) पास हैं, तो आपको नौकरी मिलना बेहद आसान हो जाता है। कई राज्यों में इसे अनिवार्य योग्यता के तौर पर लागू किया गया है। वैसे, टीचर्स की नियुक्ति के लिए सभी राज्यों में अपने कायदे-कानून हैं।
टीचर ट्रेनिंग के डिप्लोमा में प्रवेश के लिए आवेदक का 50 फीसदी अंकों के साथ 12वीं पास होना जरूरी है। स्टूडंट्स इस बात पर भी गौर करें कि वे जहां से डिप्लोमा करें, वह संस्थान राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद् द्वारा मान्यता प्राप्त हो। इस डिप्लोमा को करने के बाद विभिन्न राज्यों में सहायक अध्यापक नियुक्त किए जाते हैं। केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली में देश के किसी भी राज्य से दो वर्षीय टीचिंग डिप्लोमाधारी उम्मीदवार नौकरी प्राप्त कर सकते हैं। इस जॉब के लिए प्रवेश परीक्षा होती है, जो दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड द्वारा आयोजित की जाती है। सहायक अध्यापकों की प्रत्येक वर्ष हजारों भर्तियां होती हैं।
टीजीटी व पीजीटी
ये अध्यापक हाईस्कूल और इंटरमीडिएट स्तर के स्टूडंट्स को पढ़ाते हैं। टीचर्स को गैजुअट व पोस्ट ग्रैजुअट होने के साथ-साथ बीएड डिग्री धारक होना भी जरूरी है। देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में बीएड पाठ्यक्रम की सुविधा है। कुछ संस्थानों को छोड़कर सभी विश्वविद्यालयों में रेग्युलर बीएड, एमएड कराया जाता है। इसके लिए उम्मीदवार को 50 फीसदी अंकों के साथ ग्रैजुअशन, पोस्ट ग्रैजुअशन होना जरूरी है। कॉरस्पॉन्डंस से बीएड कोर्स उन्हीं उम्मीदवारों को कराया जाता है, जो टीचिंग में कार्यरत होते हैं। बीएड के बाद वे टीजीटी व पीजीटी नियुक्त किए जाते हैं।
कॉलिज लेक्चरर
यूजीसी ने 1991 से लेक्चरर पद के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता लागू की है। इसके लिए आवेदक को 55 फीसदी अंकों के साथ संबंधित विषय में स्नातकोत्तर होना चाहिए। साथ ही यूजीसी की ओर से आयोजित नेट परीक्षा उत्तीर्ण होना भी जरूरी है, जबकि 2005 में आई यूजीसी की गाइडलाइन की बात करें, तो पीएचडी होल्डर उम्मीदवार के नेट पास न होने की सूरत में भी वह लेक्चरर नियुक्त हो सकता है। अगर उम्मीदवार पीएचडी के साथ नेट भी कर लेता है, तो संभावनाएं अधिक होती हैं।
टीचर फॉर स्पेशल चाइल्ड
आप मंदबुद्धि या विकलांग बच्चों के अध्यापक बनकर देश सेवा भी कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए एजुकेशनल कवॉलिफिकेशन के अलावा धैर्य, व्यवहार कुशलता, मानवीय सहानुभूति जैसे व्यक्तिगत गुण होने भी जरूरी हैं। इसके लिए उम्मीदवार को 50 फीसदी अंकों के साथ ग्रैजुअट होना चाहिए। इस कोर्स के लिए प्रवेश परीक्षा व साक्षात्कार होते हैं। संस्थानों की बात करें, तो आप नैशनल इंस्टिट्यूट फॉर विज़ुअली हैंडीकैप्ड; राजपुर रोड; देहरादून, नैशनल इंस्टिट्यूट फॉर द आर्थोपेडिकली हैंडीकैप्ड; जीटी रोड; कोलकाता और नैशनल इंस्टिट्यूट फॉर द मेंटली हैंडीकैप्ड; मनोविकास नगर; सिंकदराबाद से कोर्स कर सकते हैं।
वेतन
वेतन की बात करें, तो इस फील्ड में तनख्वाह शुरुआती दौर में ही अच्छी मिल जाती है। आपको काम में केवल छह से आठ घंटे गुजारने होते हैं। सरकारी स्तर पर सैलरी पूर्वनिर्धारित होती है, जिस पर सरकार का नियंत्रण होता है। प्राइवट लेवल पर वेतन आपके अनुभव और संस्थान की साख पर निर्भर करता है। अगर विदेश में शिक्षक के तौर पर काम करने का अवसर मिल जाता है, तो हर माह आमदनी लाखों में होती है।

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