उच्च शिक्षा विभाग ने प्रदेश के शासकीय कॉलेजों मे विभिन्न प्रकार की खरीदी पर अपना शिकंजा कस दिया है। हाल ही मे विभाग द्वारा जारी निर्देशों के मुताबिक महाविद्यालयों को अब किसी भी प्रकार की खरीदी करने से पहले उच्च शिक्षा संचलानालय को प्रस्ताव भेजना पड़ेगा, पूरी तरह से वित्तीय संहिता के नियमों के तहत होने वाली यह खरीद-फरोख्त जनभागीदारी समितियों के प्रमुख पदाधिकारियों की अनुमति के बिना नहीं हो सकेगी।
निर्देशों मे इस बात का स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि जनभागीदारी समिति की अनुमति का मतलब सिर्फ समिति के अध्यक्ष की मंजूदी नहीं बल्कि समिति के सभी सदस्यों की अनुमति है। अब प्रदेश के सभी 303 सरकारी कॉलेजों, जिनमें 85 स्नात्कोत्तर, 217 स्नातक, 53 कन्या महाविद्यालय व 18 स्वाशासी महाविद्यालय शामिल हैं, नए निर्देशों के तहत ही खरीदी करेंगें।
गौरतलब है कि उच्च शिक्षा विभाग को लंबे समय से कॉलेजों मे होने वाली खरीद मे भारी भ्रष्टाचार किए जाने की शिकायतें मिल रहीं थीं। विभाग को खासतौर पर, प्राचार्य या समिति के अध्यक्ष की अनुमति के बिना खरीदी, अधिक दामों पर किताबों व कम्प्यूटर की खरीदी, जनभागीदारी समिति की कोष का दुरूपयोग, निजी संस्थाओं से खरीदारी को प्राथमिकता व स्टेशनरी व किताबों की खरीद मे नियमों के उल्लंघन की शिकायतें मिल रहीं थीं। विभाग ने इन खामियों को दूर करने के मकसद ही नए निर्देश जारी किए हैं।
निर्देशों मे इस बात का स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि जनभागीदारी समिति की अनुमति का मतलब सिर्फ समिति के अध्यक्ष की मंजूदी नहीं बल्कि समिति के सभी सदस्यों की अनुमति है। अब प्रदेश के सभी 303 सरकारी कॉलेजों, जिनमें 85 स्नात्कोत्तर, 217 स्नातक, 53 कन्या महाविद्यालय व 18 स्वाशासी महाविद्यालय शामिल हैं, नए निर्देशों के तहत ही खरीदी करेंगें।
गौरतलब है कि उच्च शिक्षा विभाग को लंबे समय से कॉलेजों मे होने वाली खरीद मे भारी भ्रष्टाचार किए जाने की शिकायतें मिल रहीं थीं। विभाग को खासतौर पर, प्राचार्य या समिति के अध्यक्ष की अनुमति के बिना खरीदी, अधिक दामों पर किताबों व कम्प्यूटर की खरीदी, जनभागीदारी समिति की कोष का दुरूपयोग, निजी संस्थाओं से खरीदारी को प्राथमिकता व स्टेशनरी व किताबों की खरीद मे नियमों के उल्लंघन की शिकायतें मिल रहीं थीं। विभाग ने इन खामियों को दूर करने के मकसद ही नए निर्देश जारी किए हैं।
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