डॉ० हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय के छात्रों को अब परीक्षा फल से असंतुंष्ट होने पर उत्तरपुस्तिकाओं के पुनर्मूल्यांकन कराने की सुविधा उपलब्ध नहीं रहेगी। विवि की स्थायी समिति ने विवि में पुनर्मूल्याकंन की व्यवस्था समाप्त करने का निर्णय लिया है। जल्द ही विवि प्रशासन इस सिलसिले मे एक प्रस्ताव उच्च शिक्षा विभाग भोपाल को भेजने वाला है। लेकिन विवि के इस निर्णय से विद्यार्थियों मे खासी नाराजगी देखने को मिल रही है।
अगर विवि प्रशासन की यह मंशा पूरी हो जाती है तो इम्तिहान के नतीजों से असंतुष्ट विद्यार्थियों परीक्षा मूल्यांकन की खामियों से बचने में महज पुनर्गणना के विकल्प का ही सहारा रहेगा।
पुनर्मूल्यांकन की व्यवस्था खत्म करने के सिलसिले मे विवि ने तर्क दिया है कि चुंकि इस साल से विवि मे सेमेस्टर प्रणाली लागू हो रही है। इससे विवि मे साल भर परीक्षाएं चलतीं रहेगीं। जिसके चलते वक्त पर परीक्षाओं व नतीजों को घोषित करने का काम विवि के लिए चुनौती पूर्ण हो जाएगा। परीक्षा के नतीजों के बाद विद्यार्थियों द्वारा पुनर्मूल्यांकन के आवेदन किए जाने से इस कार्यसंचालन मे आने वाली रूकावट को दूर करने के लिए यह निर्णय लिया गया है।
लेकिन विवि के इस निर्णय से नाराज छात्रों का कहना है कि जब विश्वविद्यालय की साल मे एक बार आयोजित होने वाली परीक्षा के मूल्यांकन कार्य मे ही इतनी खामियां होतीं थीं कि हजारों छात्रों को पुनर्मूल्यांकन का सहारा लेना पड़ता था। अब विवि का वही अमला साल मे एक से ज्यादा परीक्षाओं को आयोजित करेगा तो न जाने कितनी खामियां पैदा करेगा। विवि प्रशासन द्वारा मूल्यांकन की विश्वसनीयता को बढ़ाने के इंतजाम किए बिना पुनर्मूल्यांकन की व्यवस्था खत्म करना छात्रों के साथ अन्याय है।
पुनर्मूल्यांकन की व्यवस्था खत्म करने के सिलसिले मे विवि ने तर्क दिया है कि चुंकि इस साल से विवि मे सेमेस्टर प्रणाली लागू हो रही है। इससे विवि मे साल भर परीक्षाएं चलतीं रहेगीं। जिसके चलते वक्त पर परीक्षाओं व नतीजों को घोषित करने का काम विवि के लिए चुनौती पूर्ण हो जाएगा। परीक्षा के नतीजों के बाद विद्यार्थियों द्वारा पुनर्मूल्यांकन के आवेदन किए जाने से इस कार्यसंचालन मे आने वाली रूकावट को दूर करने के लिए यह निर्णय लिया गया है।
लेकिन विवि के इस निर्णय से नाराज छात्रों का कहना है कि जब विश्वविद्यालय की साल मे एक बार आयोजित होने वाली परीक्षा के मूल्यांकन कार्य मे ही इतनी खामियां होतीं थीं कि हजारों छात्रों को पुनर्मूल्यांकन का सहारा लेना पड़ता था। अब विवि का वही अमला साल मे एक से ज्यादा परीक्षाओं को आयोजित करेगा तो न जाने कितनी खामियां पैदा करेगा। विवि प्रशासन द्वारा मूल्यांकन की विश्वसनीयता को बढ़ाने के इंतजाम किए बिना पुनर्मूल्यांकन की व्यवस्था खत्म करना छात्रों के साथ अन्याय है।
0 comments:
Post a Comment