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Wednesday, December 21, 2011

रोजगार विहीन विषयों में कम हुई छात्रों की रुचि

लोकसभा में सांसद भूपेन्द्र सिंह के प्रश्न से हुआ खुलासा
विद्यार्थियों  को कम पसंद हैं कला और भाषा, उर्दू, मराठी, दर्शनशास्त्र
सागर। डॉ. हरीसिंह गौर केन्द्रीय विश्वविधालय की समीक्षा में यह निष्कर्ष सामने आया है कि कुछ विषयों में प्रवेश लेने में छात्रों  की संख्या में कमी आई है। संभवतः यह विषय कम रोजगारोन्मुखी हो सकते हैं। यह जानकारी लोकसभा में सांसद भूपेन्द्र सिंह के प्रश्न पर मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री  ने दी है।
    सांसद भूपेन्द्र सिंह ने लोकसभा में प्रश्न किया कि क्या डॉ. हरीसिंह गौर केन्द्रीय विश्वविधालय में प्रवेश लेने वाले छान्नों की संख्या घट रही है और इसके कारणों का पता लगाने के लिए कोई अध्ययन किया गया है ?
जबाव में राज्यमंन्नी डॉ. डी. पुरंदेश्वरी ने बताया है कि डॉ. हरीसिंह गौर केन्द्रीय विश्वविधालय में वर्ष २०१०-११ में संख्या बढ.ी है और वर्ष २०११-१२ में थोड ी सी कमी हो गई है। विश्वविधालय ने एक समीक्षा की है, जिससे यह निष्कर्ष निकला है कि थोड़ी सी कमी कला और भाषा, उर्दू, मराठी, दर्शनशास्त्र    इत्यादि कुछ विषयों में हुई है। जो संभवतः कम रोजगारोन्मुखी हो सकते हैं।    विश्वविधालय में नए पाठ्‌यक्रम/विषय शुरु  करने संबंधी प्रश्न पर राज्यमंत्री  ने बताया है कि डॉ. हरीसिंह गौर केन्द्रीय विश्वविधालय एक सांविधिक स्वायत्तशासी संस्था है जो केन्द्रीय विश्वविधालय अधिनियम २००९ और इसके अधीन बनाई गई संविधियों और अघ्यादेशों द्वारा अभिशासित होता है। अधिनियम के अनुसार, विश्वविधालय सभी शैक्षिक और प्रशासनिक मामलों के संबंध में, जिसमें नए पाठ्‌यक्रम शुरु  करना शामिल है, निर्णय लेने के लिए सक्षम है। ऐसे मामलों में सरकार की कोई भूमिका नहीं है।

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