उच्च शिक्षा मंत्री लक्ष्मीकात शर्मा ने कहा है कि हिंदी विश्वविद्यालय की स्थापना का विधेयक विधानसभा के अगले सत्र में लाया जाएगा। शर्मा ने विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए गठित विशेषज्ञों की उपसमिति की आज यहां संपन्न बैठक में कहा कि चिकित्सा और इंजीनियरिंग की शिक्षा भी हिंदी के माध्यम से देने का काम यह विश्वविद्यालय करेगा। उपसमिति ने विश्वविद्यालय की स्थापना के प्रस्तावित विधेयक के प्रारूप का अनुमोदन किया।
उपसमिति ने विश्वविद्यालय के केंद्र देश के विभिन्न स्थानों और देश के बाहर भारतवंशी राष्ट्रों में स्थापित करने का सुझाव दिया। उपसमिति ने इस संबंध में विधेयक में प्रावधान प्रस्तावित किए। विश्वविद्यालय के उद्देश्यों में ज्ञान विज्ञान, साहित्य की समस्त विद्याओं और शिल्पों के शिक्षण प्रशिक्षण और प्रचार प्रसार के साथ ही उच्च स्तर पर शोध एवं अनुसंधान हिंदी में करने के प्रावधान उपसमिति ने जोड़े। हिंदी को विश्वस्तरीय समर्थ भाषा के रूप में स्थापित करने के साथ ही भारत एवं विश्व की प्रमुख भाषाओं हिंदी के बीच सक्त्रिय सेतु एवं उनके पठन पाठन की व्यवस्था का ऐतिहासिक दायित्व हिंदी विश्वविद्यालय निभाएगा। उच्च शिक्षा मंत्री शर्मा ने कहा कि विधेयक का प्रारूप अब विधि विभाग और वित्त विभाग को भेजा जाएगा और सभी प्रक्रियाएं पूर्ण कर मंत्रिपरिषद के अनुमोदन के उपरात विधानसभा के अगले सत्र में विधेयक पेश किया जाएगा। विश्वविद्यालय ने धर्म विज्ञान, भाषा एवं साहित्य, समाज विज्ञान और कला, विज्ञान, वाणिज्य एवं प्रबंधन, इंजीनियरिंग, चिकित्सा और आयुर्विज्ञान, कृषि, विधि जैसे संकाय खोले जाएंगे। प्रकाशन एवं अनुवाद का एक अलग विभाग विश्वविद्यालय में रहेगा।
हिंदी विश्वविद्यालय की स्थापना भोपाल में करना प्रस्तावित है। इसके लिए भूमि के आरक्षण की कार्यवाही की जा रही है। उच्च शिक्षा मंत्री शर्मा ने कहा कि हिंदी विश्वविद्यालय की स्थापना राज्य सरकार की सबसे पहली प्राथमिकता है।
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