कम्प्यूटर क्रांति के बदलते जमाने के साथ अंकेदक्षण और अंकेक्षक के काम करने के तरीके आज काफी तेजी से बदल रहे हैं। संचार तक नीकि के क्षेत्र में आई क्रांति से अंकेक्षण का क्षेत्र भी इस सूचना क्रांति से अछूता नहीं रहा और इसने अंकेक्षण को भी मोटे-मोटे रजिस्टरों
और बहीखातों, लेजर रजिस्टरों से छुटकारा दिला दिया। इनकी जगह अब कंप्यूटरों ने ले ली, जिससे कंपनी के लेन-देन, कर्मचारियों और सैलरी - पीएफ, ग्रेच्युटी, नैट, आयकर आदि के कई वर्षो के रिकॉर्ड मिनटों में स्टोर कर सकते हैं।न्यूनतम योग्यता : इस क्षेत्र में आने के लिए बारहवीं के बाद कम्प्यूटर अकाउंटेंसी का कोर्स करके अपना कॅरियर संवार सकते हैं। वैसे वाणिज्य विषय से स्नातक लोगो को इस क्षेत्र में प्राथमिकता दी जाती है। कंप्यूटर अकाउंटेंसी कोर्स छह महीने से लेकर एक साल तक का होता है। इसे "औद्यौगिक लेखा और वित्तीय अंकेकक्षेण" का नाम दिया जाता है। इसमें बिजनेस कंप्यूटर, एडवांस्ड प्रेक्टिकल अकांट्स, बैंक रीकॉनिंसिलिएशन, डैप्रिशिएशन, टेक्सेशन, एक्साइज एंड सर्विस टैक्स, पे रोल एंड इंवेस्टमेंटस, बैंकिंग वगैरह सिखाया जाता है। इसके अलावा फाइनेंस से जुड़ी अन्य सभी व्यावहारिक जानकारियां भी दी जाती हैं।
संभावनाएं : कंप्यूटर अकाउंटेंसी का कोर्स करने के बाद शुरूआत में ही 6 से 7 हजार रूपए महीने का जॉब मिल जाता है।
चूंकि युवा 12वीं के बाद ही इस तरह का कोर्स करके नौकरी पा जाते हैं, इसलिए अनुभव और दक्षता बढ़ते जाने के बाद दो-चार साल में ही सैलरी 10 से 15 हजार रूपए तक पहुंच जाती है।
संस्थान : कम्प्यूटर इंस्टीट्यूट ऑफ फाइनेंशियल एकाउंटेंसी, वेस्ट बंगाल, कोलकता, एनआईआईटी कम्प्यूटर एज्यूकेशन सेंटर, दिल्ली, द इंस्टीट्यूट ऑफ कम्प्यूटर अकाउंट्स, सहकार बाजार, प्रथम तल, बांदरा, मुंबई, द इंस्टीट्यूट ऑफ कम्प्यूटर अकाउंटेंसी, लालकोठी, जयपुर, राजस्थान।
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