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Friday, July 9, 2010

अध्यापक संवर्ग में आने के लिए शिक्षण-प्रशिक्षण की उपाधि अनिवार्य नही

  श्रेणी -3 के शिक्षकों को मिलेगा फायदा
राज्य सरकार ने संविदा शाला शिक्षकों के हक में महत्वपूर्ण फैसला करते हुए उन्हें एक और रियायत दी है। इसके तहत श्रेणी-3 के ऐसे शिक्षकों को अध्यापक संवर्ग में नियुक्त होने का एक जरूरी बंधन खत्म किया गया है।
अब इन्हें अध्यापक संवर्ग में आने के लिए शिक्षण-प्रशिक्षण की उपाधि या पत्रोपाधि प्राप्त करना अनिवार्य नहीं होगा। इसी तरह शिक्षाकर्मी वर्ग - 3 को अध्यापक संवर्ग में आने के बाद अब वेतनवृद्धि मिल सकेगी।

उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने पूर्व में मई 2008 में इन शिक्षकों के भर्ती नियमों में संशोधन कर संविदा शाला शिक्षकों को अध्यापक संवर्ग में नियुक्त करने का फैसला किया था। इस मकसद से इन शिक्षकों का शिक्षण-प्रशिक्षण उपाधि या पत्रोपाधि हासिल करना भी अनिवार्य था। सरकार ने यह माना है कि संविदा शाला शिक्षक श्रेणी-3 जो कि मूलत: प्रयोगशाला सहायक हैं उनका काम अध्ययन और अध्यापन से संबंधित नहीं है।

ऐसे में उनके लिए शिक्षण-प्रशिक्षण की योग्यता के बतौर उपाधि या पत्रोपाधि हासिल करना भी अनिवार्य नहीं होना चाहिए। इसी तथ्य की रोशनी में सरकार ने ताजा फैसला कर उपरोक्त श्रेणी के संविदा शाला शिक्षकों को फायदा पहुँचाया है।

शिक्षाकर्मियों को वेतनवृद्धि का हक

राज्य सरकार ने इसी कड़ी में एक और फैसला शिक्षाकर्मी वर्ग-3 के हक में भी किया है। इसके मुताबिक उपरोक्त श्रेणी के अध्यापक संवर्ग में शामिल किए जा चुके शिक्षाकर्मियों को अब वेतनवृद्धि की पात्रता भी दे दी गई है। पूर्व की व्यवस्था के तहत शिक्षाकर्मी वर्ग-3 जो कि मूलत: प्रयोगशाला सहायक का कार्य करते हैं उन्हें अध्यापक वर्ग में शामिल तो किया गया था लेकिन वेतनवृद्धि की पात्रता नहीं थी।

राज्य सरकार ने इस सिलसिले में किए गए अपने फैसले से सभी कलेक्टरों, नगर निगम आयुक्तों, जिला और जनपद पंचायतों के मुख्य नगर पालिका अधिकारियों, जिला शिक्षा अधिकारियों और आदिवासी विकास के सहायक आयुक्तों को अवगत करा दिया है।

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