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Friday, July 2, 2010

बिल्डिंग एज लर्निंग एड (BALA) की तर्ज पर विकसित होंगे आंगनवाड़ी केन्द्र

 आंगनवाड़ी केन्द्र अब सुन्दर और आकर्षक
महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्रीमती रंजना बघेल की पहल पर बच्चों को स्वास्थ्य, पोषण, शाला पूर्व शिक्षा देने वाले आंगनवाड़ी केन्द्र अब सुन्दर और आकर्षक बनाये जा रहे हैं। इसके लिए प्रत्येक जिले में 88 तथा सर्व शिक्षा अभियान के
नवाचार मद से 200 केन्द्रों को आदर्श आंगनवाड़ी केन्द्र के रूप में विकसित किया जा रहा है। इसी क्रम में भोपाल स्थित मंत्रालय के पास भीमनगर में दो एवं वल्लभ नगर में एक आंगनवाड़ी केन्द्र यूनिसेफ के सहयोग से तैयार किये गये हैं।

प्रमुख सचिव, महिला एवं बाल विकास श्रीमती लवलीन कक्कड़ ने हाल में विभागीय अधिकारियों के साथ इन केन्द्रों का भ्रमण कर कार्य की प्रगति का अवलोकन किया। इन केन्द्रों को विशिष्ट आंगनवाड़ी केन्द्र इसलिए बनाया गया है कि मंत्रालय में हर जिले व गांव के जनप्रतिनिधि तथा शासकीय अधिकारी समय-समय पर आते हैं। वे अपने व्यस्त समय में से कुछ समय निकालकर इन्हें देख सकेंगे तथा उसे लेकर अपने जिले एवं गांव के विकास में महत्वपूर्ण अनुभव बांट सकेंगे।

उल्लेखनीय है कि आंगनवाड़ी केन्द बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिये संचालित किये जा रहे हैं। इन केन्द्रों पर बच्चों के स्वास्थ्य तथा पोषण का ध्यान रखे जाने के साथ ही उन्हें शाला पूर्व शिक्षा दिये जाने का प्रावधान भी है, ताकि बच्चा शाला जाने के लिये शारीरिक तथा मानसिक रूप से तैयार हो सके।

श्रीमती लवलीन कक्कड़ ने बताया कि आंगनवाड़ी केन्द्रों को सुन्दर तथा आकर्षक बनाकर उन्हें बिल्डिंग एज लर्निंग एड BALA के रूप में विकसित करने का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। जिसके तहत भवनों का 'चाईल्ड फ्रेंडली' बनाया जाता है, जिससे बच्चे अपने आप रंगो, वस्तुओं, अंकों, आकृतियों की पहचान आदि करना सीखते हैं।

साथ ही बच्चों के लिए दीवार के नीचे के हिस्से पर चॉक बोर्ड भी बनाया जाता है, जिस पर बच्चे गोल, आड़ी, खड़ी, सीधी, तिरछी, रेखायें खींचते हैं। धीरे-धीरे इन्हीं रेखाओं के माध्यम से वे अक्षर तथा अंक बनाने की दिशा में आगे बढ़ते हैं।

इसी के साथ बच्चों के लिये लर्निंग किट के रूप में खेल सामग्री भी उपलब्ध कराई जा रही है। जिससे खेल-खेल में ही बच्चों के शरीर की छोटी एवं बड़ी मांसपेशियों के विकास की गतिविधियां करवाई जा सकेंगी। उनकी आंखों एवं हाथों के संतुलन हेतु गतिविधियां करवाये जाने के साथ ही भाषाई विकास हेतु मनोरंजक तरीके से वार्तालाप, कहानी, कविता आदि के लिये भी सामग्री उपलब्ध कराई जाती है। 

सामाजिक तथा भावनात्मक विकास के लिये गुड़िया घर, बौद्धिक विकास के लिये ध्वनि पहचान, वस्तुओं का मिलान, बड़े छोटे की पहचान आदि भी खेल-खेल के माध्यम करवाई जाती है।

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