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Sunday, June 27, 2010

बच्चों का शिक्षा के अधिकार से वंचित न होने दे

अर्चना चिटनीस ने जनप्रतिनिधियों और अभिभावकों को पत्र लिखा
स्कूल शिक्षा मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनीस ने सांसदों, विधायकों सहित अन्य जनप्रतिनिधियों और अभिभावकों को पत्र लिखकर बच्चों को शिक्षा के अधिकार से वंचित न होने देने का आव्हान किया है। उन्होंने 15 जुलाई तक चलने वाले स्कूल चले हम अभियान को सफल बनाने में राजनैतिक दलों और समाज के सभी वर्गों से सहयोग की अपील भी की है।
श्रीमती अर्चना चिटनीस ने सांसदों, विधायकों, महापौर, नगर पालिका व जिला पंचायत, जनपद पंचायत और नगर पंचायतों के अध्यक्षों को पत्र लिखकर उनसे आग्रह किया है कि वे अज्ञान के अंधेरे में शिक्षा का दीप जलाने में दायित्वों का निर्वहन अपने क्षेत्र में भ्रमण कार्यक्रम बनाकर करें। स्कूल चले हम अभियान के लिए क्षेत्र के भ्रमण के दौरान होने वाले अनुभव और सुझाव से उन्हें भी अवगत करायें।

श्रीमती अर्चना चिटनीस के अनुसार शासन की योजना प्रत्येक विद्यालय और समाज के बीच एक जीवंत संबंध निर्मित किये जाने की है। इसी मंशा से शासन ‘जगजगी’ समितियां बनाने जा रहा है। इस समिति में कस्बे/ग्राम की पढ़ी-लिखी बहुएं, बेटियां, सेवानिवृत्त महिला अधिकारी/कर्मचारी रहेंगी। जगजगी समितियां शिक्षा के क्षेत्र में जागरण का कार्य करेंगी।

उन्होंने बताया कि स्कूल चलें हम अभियान मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान का अत्यंत महत्वाकांक्षी कार्यक्रम है। एक अप्रैल, 2010 से ‘निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिनियम’ प्रभावशील होने के बाद यह अभियान और भी महत्वपूर्ण हो गया है। अधिनियम के अंतर्गत शिक्षा का अधिकार संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों में सम्मिलित किया गया है।

उन्होंने बताया कि भारतवर्ष में जन्म लेने वाले हर बच्चे को नि:शुल्क एवं अनिवार्य प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने का मूलभूत अधिकार है। प्रत्येक बच्चे के लिये विद्यालय उपलब्ध हों, विद्यालय में शिक्षक उपलब्ध हों और बच्चों को विद्यालय में शिक्षा उपलब्ध हो यह संवैधानिक जिम्मेदारी शासन व स्थानीय निकायों की है। इस उत्तरदायित्व का निर्वहन समाज और जन-प्रतिनिधियों के सहयोग से ही संभव है।

उन्होंने अभिभावकों को भेजे पत्र में उनसे कहा है कि उनके बच्चे शिक्षा के अधिकार से वंचित न रहे, विद्यालय में प्रवेश प्राप्त करें, नियमित अध्ययन करें, यह हमारा दायित्व है। हम अपने और आसपास के पूरे परिवेश को शिक्षा के प्रति जागरूक बनाये तथा अपने बच्चों को पढ़ायें।

श्रीमती अर्चना चिटनीस ने पत्र में शहीद भगत सिंह द्वारा आजादी से पहले जेल में रहते हुए लिखी कविता 'गौरेया का बच्चा गौरेया को दाना नही चुगाता........' की पक्तियों का भी उल्लेख किया है, जिसमें भगत सिंह ने देश की भावी पीढ़ी के संबंध में दूरदृष्टि का अनुमान लगाया था। 
उन्होंने बताया कि नि:शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिनियम लागू होने के बाद प्रायवेट स्कूलों की प्रारंभिक कक्षा (नर्सरी/केजी/कक्षा-1) में यदि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग, विमुक्त जाति, अनुसूचित जाति, जनजाति या नि:शक्त बच्चा प्रवेश प्राप्त करता है तो उसे कोई फीस नहीं देनी होगी। क्योंकि इन बच्चों की फीस की प्रतिपूर्ति राज्य सरकार द्वारा विद्यालय को की जायेगी।

श्रीमती अर्चना चिटनीस के अनुसार शासन अपने विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा तो प्रदान करता ही है, साथ ही सभी शासकीय विद्यालयों में बच्चों को नि:शुल्क पाठ्य पुस्तकें, बालिकाओं के लिए नि:शुल्क गणवेश, कक्षा 6वीं में गांव से बाहर जाकर पढ़ने वाली बेटियों को नि:शुल्क सायकिलें व कन्या छात्रावास आदि सुविधाएं भी मुहैया करा रहा है।

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