भोज मुक्त विश्वविद्यालय का प्रथम दीक्षांत समारोह सम्पन्न
राज्यपाल एवं कुलाधिपति श्री रामेश्वर ठाकुर ने कुलपतियों से आग्रह किया है कि विश्वविद्यालयों को विद्यार्थियों के सम्पूर्ण व्यक्तित्व को निखारने की कर्मशाला बनायें। केवल परिक्षाएं आयोजित करने और उपाधि वितरण के केन्द्र बनकर ही नहीं रहें। राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान भी बनाएं। प्रशासनिक और वित्तीय प्रबंधन के साथ-साथ अकादमिक गतिविधियों को भी महत्व दें। राज्यपाल श्री ठाकुर ने आज यहां भोज मुक्त विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता करते हुए यह बात कही।
उच्च शिक्षा मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस ने मुख्य अतिथि के रूप में समारोह में भाग लिया। इंदिरा गांधी मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजशेखरन पिल्लई ने दीक्षांत भाषण का वाचन किया।
कुलाधिपति श्री रामेश्वर ठाकुर ने 17 शिक्षार्थियों को पीएचडी और 374 शिक्षार्थियों को विभिन्न संकायों की उपाधियों से अलंकृत करते हुए बधाई दी और उनके उज्जवल भविष्य की कामना की । श्री ठाकुर ने इस अवसर पर कहा कि दीक्षांत समारोह के आयोजन विद्यार्थियों की आत्मा को परिष्कृत और सुसंस्कृत बनाते हैं।
इसलिए विश्वविद्यालयों में प्रतिवर्ष दीक्षांत समारोह के आयोजन आवश्यक हैं। देश के शैक्षणिक इतिहास का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि मूल्यपरक और रोजगारोंमुखी पाठ्यक्रमों की आवश्यकता है। एजुसेट प्रणाली से पुन: जुड़कर इस विश्वविद्यालय को उसके कार्यक्रम शीघ्र प्रारंभ करना चाहिए ताकि दूर-दराज के अंचलों में उच्च शिक्षा का व्यापक प्रसार हो सके।
राज्यपाल ने विद्यार्थियों को नई वैश्विक चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए तैयार रहने की प्रेरणा देते हुए कहा कि समय की मांग को समझें और देश तथा समाज के हितों का ध्यान रखकर आगे बढ़ें।
दीक्षांत समारोह मंत्रोचारण से शुरू किया गया। कुलपति प्रो. एस.के. सिंह ने अतिथियों का स्वागत करते हुए विश्वविद्यालय का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया और उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को शपथ दिलाई। विश्वविद्यालय द्वारा कुलाधिपति, उच्च शिक्षा मंत्री और इंदिरा गांधी मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति को स्मृति चिंह भेंट किये गये।
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