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Wednesday, October 7, 2009

संविदा शिक्षकों को तीन वर्ष बाद दिया जाना वाला वेतन प्रारंभ से मिले (मंथन-2009)

Justify Fullबाजार की जरूरत के मुताबिक हो तकनीकी शिक्षा
प्रशासन अकादमी में आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला मंथन-2009 के अंतर्गत शिक्षा के व्यापक प्रसार के लिये गठित कार्य समूह ने अपनी अनुशंसाएं प्रस्तुत कीं। इस प्रस्तुति के समय मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान, राज्य मंत्रिपरिषद के सदस्य और मंथन कार्यशाला में भाग ले रहे वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित थे।
कार्य समूह द्वारा शिक्षा पर दी गयी अपनी अनुशंसाओं में कहा गया कि सबको गुणवत्तापूर्ण प्रारंभिक शिक्षा सुलभ होने के साथ ही उच्चतर माध्यमिक शिक्षा की सहज सुलभता होनी चाहिये। कोई भी बच्चा इससे वंचित न रहे। प्रतिभावान विद्यार्थियों को उच्च एवं तकनीकी शिक्षा आसानी से उपलब्ध हो सके ऐसी व्यवस्था किये जाने की आवश्यकता है। प्रदेश में तकनीकी शिक्षा समाज एवं बाजार की जरूरत के अनुरूप हो।
कार्य समूह ने प्रारंभिक शिक्षा के संबंध में अपनी अनुशंसा में कहा कि संविदा शिक्षकों को नियुक्ति के तीन वर्ष बाद दिया जाना वेतन आरंभ से ही दिया जाये, ताकि गुणवत्ता वाले शिक्षक प्रारंभिक शिक्षा से जुड़ सके। माध्यमिक शाला में स्नातक शिक्षकों को ही पदस्थ किया जाये। विकासखंड शिक्षा अधिकारी पद की पूर्ति हाई स्कूल प्राचार्य से ही की जाये, इनके लिये दो माह का समय तय हो।
कार्यसमूह ने यह अनुशंसा भी दी कि जिला शिक्षा अधिकारी और विकासखंड शिक्षा अधिकारी को गृह जिले में पदस्थ न किया जाये। जिला शिक्षा अधिकारी और परियोजना समन्वयक के पद किसी भी स्थिति में रिक्त न रहे। शालेय विद्यार्थियों में शिक्षा के अलावा अन्य प्रतिभाओं को विकसित करने के लिये खेल, सांस्कृतिक गतिविधियां और स्काउट को शिक्षा का अभिन्न अंग बनाया जाये।
कार्यसमूह का एक महत्वपूर्ण सुझाव यह भी था कि शिक्षकों की उपस्थिति की मॉनीटरिंग के लिये टोल फ्री नम्बर स्थापित किया जाये। प्रदेश में सेकेंडरी शिक्षा के सुधार के लिये नवीन हाई एवं हायर सेकेंडरी स्कूल निर्धारित मापदण्ड के अनुसार ही खोले जाये। वर्तमान में जो स्कूल चल रहे हैं उनको एक वर्ष के भीतर में निर्धारित मानक सेटअप के अनुसार सुदृढ़ किया जाये। इन शिक्षण संस्थाओं में सफाईकर्मी एवं चौकीदार की पर्याप्त व्यवस्था आउटर्सोसिंग के जरिये की जाये।
सेकेंडरी शिक्षा के संबंध में जो सुझाव दिये गये उनमें प्रतिष्ठित गैर शासकीय शैक्षणिक संस्थाओं की भागीदारी, प्रत्येक विकासखंड पर आवासीय विद्यालय, छात्रावासों का निर्माण, विज्ञान प्रयोगशाला, डीईओ कार्यालय का सुदृढ़ीकरण, हाई स्कूल व हायर सेकेंडरी स्कूल में स्नातकोत्तर शिक्षक की पदस्थापना, विभागीय परीक्षा के आधार पर पदोन्नति, शिक्षकों की भर्ती में आरक्षण रोस्टर विषयवार न रखते हुये वर्गवार रखने, उत्कृष्ट विद्यालयों में राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं के लिये प्रशिक्षण, व्यावसायिक शिक्षा की अनिवार्यता, चरित्र निर्माण में विशेष ध्यान, समानन्तर बोर्ड की परीक्षा समाप्त करने, विज्ञान एवं गणित के छात्रों को प्रोत्साहन दिया जाना आदि शामिल हैं।
उच्च शिक्षा के संबंध में समूह द्वारा जो महत्वपूर्ण सुझाव दिये गये उनमें एप्टीट्यूड टेस्ट के केरियर काउंसिलिंग, स्वीकृत पदों की पूर्ति, कमजोर वर्ग के विद्यार्थियों के लिये आवासीय सुविधा, शिक्षा ऋण में ब्याज के लिये शासन द्वारा अनुदान, नवीन महाविद्यालय प्रारंभ करने हेतु मानकों का निर्धारण, शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े जिलों में शासकीय कॉलेज खोलना आदि शामिल थे।
तकनीकी शिक्षा संबंधी सुझावों में इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर में तकनीकी विश्वविद्यालय स्थापित करना, विश्वविद्यालय परीक्षा परिणाम एक माह के भीतर घोषित करना, आईटीआई में औद्योगिक संभावनाओं के अनुरूप ट्रेड विकसित करना, विश्वविद्यालयों द्वारा परिसर के बाहर अन्य जिलों में आदर्श विद्यालयों की स्थापना, आईटीआई की संख्या में वृद्धि, ट्रेड को बदलने की स्वतंत्रता आदि सुझाव शामिल रहे।
समूह द्वारा शिक्षा पर सुझावों के प्रस्तुतिकरण के दौरान नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष श्री ओ.पी. रावत, प्रमुख सचिव राजस्व श्री एम.एम. उपाध्याय, प्रमुख सचिव आदिम जाति कल्याण श्री देवराज बिरदी, कार्यसमूह के सचिव, आयुक्त राज्य शिक्षा केन्द्र श्री मनोज झालानी उपस्थित थे। अनुशंसाओं का प्रस्तुतिकरण कलेक्टर छिंदवाड़ा श्री निकुंज श्रीवास्तव ने किया।

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