सागर । तकनीकी कालेजों का एनआरआई कोटा एक बार फिर तनाव का माहौल बना सकता है। इस बार तनाव का कारण बनेगा राज्य शासन का अधिनियम। अधिनियम में यह स्पष्ट ही नहीं है कि तीनों शर्ते पूरी करने वालों को पात्र माना जाएगा या कोई एक शर्त के आधार पर प्रवेश मिलेगा। कानूनी रायशुमारी के बाद फीस कमेटी अपनी कार्यवाही का आधार तीनों शर्तो को बनाने जा रही है.तकनीकी संस्थाओं में एनआरआई कोटे की सीटों पर प्रवेश की अंतिम तिथि शुक्रवार को खत्म हो गई। हाईकोर्ट के निर्देशानुसार सभी कालेजों को 15 अगस्त तक एनआरआई कोटे में हुए प्रवेश का रिकार्ड फीस कमेटी को सौंपना है।
हालांकि एएफआरसी ने दो दिन की छुट्टी के कारण रिकार्ड जमा करने के लिए दो दिन की छूट दे दी है। तकनीकी कालेज अब 17 अगस्त तक प्रवेश संबंधी रिकार्ड कमेटी सचिवालय में जमा कर सकते हैं। मगर इस छूट का कोई फायदा कालेजों को मिलता नजर नहीं आता। जानकारी के अनुसार 197 इंजीनियरिंग कालेजों में से आधा सैकड़ा तो पहले ही एनआरआई कोटे की सीटें सरेंडर कर चुके थे।
नियम पढ़ने के बाद गुरुवार तक पांच अन्य कालेज भी अपनी सीटें जनरल पूल में शामिल करा चुके हैं। सूत्रों की मानें तो 17 अगस्त को अधिकांश कालेज सारी सीटें खाली बता देंगे। इसकी वजह है अधिनियम की विभिन्न कंडिकाएं। अव्वल तो ऐसा कोई छात्र नहीं मिलेगा, जिसके माता-पिता एनआरआई हों, मगर उसे चाचा-मामा या भाई प्रायोजित करें और वह अपने माता-पिता को मृत बताकर विदेश में रहने वाले किसी दूर के रिश्तेदार का कानूनी वारिस भी हो।
असल में अधिनियम की भाषा यही बोलती है कि एनआरआई कोटे में प्रवेश के इच्छुक छात्र के लिए तीनों शर्ते पूरी करना जरूरी है। निश्चित तौर पर यह व्याकरण की गलती है, तीनों शर्तो के बीच में अथवा लिखा जाना था। मगर हाईकोर्ट ने भी इन्हीं नियमों को हरी झंडी दी है। इसके चलते अब फीस कमेटी के लिए भी यहां-वहां होना संभव नहीं है।
विधि विशेषज्ञों ने बताया खतरा : फीस कमेटी ने अधिनियम की इस भाषा पर अपने कानूनी सलाहकारों से भी मशविरा किया था। उन्होंने भी तीनों शर्तो को एक साथ न मानने पर कानून के उल्लंघन की स्थिति बनने की संभावना बताई है। इसके चलते कमेटी अब तीनों शर्तो को पूरा करने वालों को ही पात्र मानकर शपथ पत्र और दस्तावेजों की जांच करेगा। ऐसे में सभी प्रवेश अमान्य हो सकते हैं।
कंडिका आठ ने भी डराया
अधिनियम की धारा पांच की कंडिका आठ में स्पष्ट है कि यदि प्राधिकृत एजेंसी किसी प्रवेश को अमान्य करती है तो उस सीट पर न तो दोबारा प्रवेश होंगे और न वह जनरल पूल में शामिल होगी। यानि पाठ्यक्रम पूर्ण होने तक यह सीट खाली ही रहेगी। कमेटी ने कालेजों को भी इसकी जानकारी भेज दी है।
इससे घबराकर अधिकांश कालेजों ने एनआरआई कोटे से कदम खींच लिए हैं। साथ ही सारी सीटें जनरल पूल में सरेंडर करना ही बेहतर मान रहे हैं। सूत्रों की मानें तो एनआरआई कोटे की 95 फीसदी सीटें जनरल पूल में शामिल हो सकती हैं। प्रदेश के प्रायवेट इंजीनियरिंग कालेजों में एनआरआई कोटे की करीब 7200 सीटें निर्धारित हैं।
हालांकि एएफआरसी ने दो दिन की छुट्टी के कारण रिकार्ड जमा करने के लिए दो दिन की छूट दे दी है। तकनीकी कालेज अब 17 अगस्त तक प्रवेश संबंधी रिकार्ड कमेटी सचिवालय में जमा कर सकते हैं। मगर इस छूट का कोई फायदा कालेजों को मिलता नजर नहीं आता। जानकारी के अनुसार 197 इंजीनियरिंग कालेजों में से आधा सैकड़ा तो पहले ही एनआरआई कोटे की सीटें सरेंडर कर चुके थे।
नियम पढ़ने के बाद गुरुवार तक पांच अन्य कालेज भी अपनी सीटें जनरल पूल में शामिल करा चुके हैं। सूत्रों की मानें तो 17 अगस्त को अधिकांश कालेज सारी सीटें खाली बता देंगे। इसकी वजह है अधिनियम की विभिन्न कंडिकाएं। अव्वल तो ऐसा कोई छात्र नहीं मिलेगा, जिसके माता-पिता एनआरआई हों, मगर उसे चाचा-मामा या भाई प्रायोजित करें और वह अपने माता-पिता को मृत बताकर विदेश में रहने वाले किसी दूर के रिश्तेदार का कानूनी वारिस भी हो।
असल में अधिनियम की भाषा यही बोलती है कि एनआरआई कोटे में प्रवेश के इच्छुक छात्र के लिए तीनों शर्ते पूरी करना जरूरी है। निश्चित तौर पर यह व्याकरण की गलती है, तीनों शर्तो के बीच में अथवा लिखा जाना था। मगर हाईकोर्ट ने भी इन्हीं नियमों को हरी झंडी दी है। इसके चलते अब फीस कमेटी के लिए भी यहां-वहां होना संभव नहीं है।
विधि विशेषज्ञों ने बताया खतरा : फीस कमेटी ने अधिनियम की इस भाषा पर अपने कानूनी सलाहकारों से भी मशविरा किया था। उन्होंने भी तीनों शर्तो को एक साथ न मानने पर कानून के उल्लंघन की स्थिति बनने की संभावना बताई है। इसके चलते कमेटी अब तीनों शर्तो को पूरा करने वालों को ही पात्र मानकर शपथ पत्र और दस्तावेजों की जांच करेगा। ऐसे में सभी प्रवेश अमान्य हो सकते हैं।
कंडिका आठ ने भी डराया
अधिनियम की धारा पांच की कंडिका आठ में स्पष्ट है कि यदि प्राधिकृत एजेंसी किसी प्रवेश को अमान्य करती है तो उस सीट पर न तो दोबारा प्रवेश होंगे और न वह जनरल पूल में शामिल होगी। यानि पाठ्यक्रम पूर्ण होने तक यह सीट खाली ही रहेगी। कमेटी ने कालेजों को भी इसकी जानकारी भेज दी है।
इससे घबराकर अधिकांश कालेजों ने एनआरआई कोटे से कदम खींच लिए हैं। साथ ही सारी सीटें जनरल पूल में सरेंडर करना ही बेहतर मान रहे हैं। सूत्रों की मानें तो एनआरआई कोटे की 95 फीसदी सीटें जनरल पूल में शामिल हो सकती हैं। प्रदेश के प्रायवेट इंजीनियरिंग कालेजों में एनआरआई कोटे की करीब 7200 सीटें निर्धारित हैं।
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