मध्यप्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ.कमलाकर को राज्य शासन ने निलंबित कर दिया है। उच्च शिक्षा विभाग ने श्री सिंह को अनुशासनहीनता का दोषी माना है। निलंबन के दौरान उनका मुख्यालय रीवा रहेगा। लंबे समय से श्री सिंह पर नजर लगाकर बैठे उच्च शिक्षा विभाग को अंतत: मौका मिल ही गया। अपने दायरे में आते ही शासन ने श्री सिंह के खिलाफ तलवार चलाने में देरी नहीं दिखाई।
विभाग में आमद देने के मात्र एक सप्ताह बाद ही शासन ने श्री सिंह का निलंबन आदेश जारी कर दिया। शुक्रवार को जारी आदेश में विभाग ने श्री सिंह को विभागीय आदेश की अवहेलना एवं आरोप पत्र का जवाब न देने पर अनुशासनाहीनता का दोषी माना गया है। निलंबन अवधि में उनका मुख्यालय एपीएस विवि रीवा रहेगा।
प्रमुख सचिव सेवाराम द्वारा जारी उक्त आदेश के मुताबिक विभाग द्वारा 8 अक्टूबर 08 को आदेश दिया गया था। इसके तहत श्री सिंह को 15 अक्टूबर को सुबह 10.30 बजे अपने मूल विभाग में आमद देने कहा गया था। साथ ही श्री सिंह का धारणा पर अवकाश भी समाप्त कर दिया था। भोज मुक्त विवि के पूर्व कुलपति श्री सिंह मूलत: राज्य विश्वविद्यालयीन सेवा के अधिकारी हैं। उनका मूलपद रजिस्ट्रार का है। श्री सिंह ने विभाग के नोटिस का जवाब तो छह माह बाद भेज दिया था। जबकि इस संबंध में जारी आरोप पत्र का जवाब विभाग ने आज तक नहीं दिया।
क्या है मामला
भोज विवि का कुलपति बनने के बाद श्री सिंह को सात जून 2005 को मात्र एक वर्ष के लिए अवकाश दिया गया था, जबकि कुलपति का कार्यकाल चार वर्ष का होता है। नियमानुसार एक वर्ष के बाद अवकाश में वृद्धि कराई जाना थी, लेकिन न तो श्री सिंह ने इसके लिए कोई आवेदन किया और न विभाग द्वारा श्री सिंह की लियन में कोई वृद्धि की गई है। इसके चलते राज्य शासन ने उन्हें तीन साल तक बगैर अनुमति गायब मानते हुए 8 अक्टूबर को नोटिस जारी किया था। साथ ही नवंबर में आरोप पत्र भी जारी कर दिया था।
प्रमुख सचिव सेवाराम द्वारा जारी उक्त आदेश के मुताबिक विभाग द्वारा 8 अक्टूबर 08 को आदेश दिया गया था। इसके तहत श्री सिंह को 15 अक्टूबर को सुबह 10.30 बजे अपने मूल विभाग में आमद देने कहा गया था। साथ ही श्री सिंह का धारणा पर अवकाश भी समाप्त कर दिया था। भोज मुक्त विवि के पूर्व कुलपति श्री सिंह मूलत: राज्य विश्वविद्यालयीन सेवा के अधिकारी हैं। उनका मूलपद रजिस्ट्रार का है। श्री सिंह ने विभाग के नोटिस का जवाब तो छह माह बाद भेज दिया था। जबकि इस संबंध में जारी आरोप पत्र का जवाब विभाग ने आज तक नहीं दिया।
क्या है मामला
भोज विवि का कुलपति बनने के बाद श्री सिंह को सात जून 2005 को मात्र एक वर्ष के लिए अवकाश दिया गया था, जबकि कुलपति का कार्यकाल चार वर्ष का होता है। नियमानुसार एक वर्ष के बाद अवकाश में वृद्धि कराई जाना थी, लेकिन न तो श्री सिंह ने इसके लिए कोई आवेदन किया और न विभाग द्वारा श्री सिंह की लियन में कोई वृद्धि की गई है। इसके चलते राज्य शासन ने उन्हें तीन साल तक बगैर अनुमति गायब मानते हुए 8 अक्टूबर को नोटिस जारी किया था। साथ ही नवंबर में आरोप पत्र भी जारी कर दिया था।
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