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Tuesday, April 7, 2009

शुरू हुआ सागर विश्वविद्यालय का केन्द्रीय विश्वविद्यालय में बदलाव का सफर



प्रदेश
में पहले केन्द्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा पाने वाले डा. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय में अब बदलाव की प्रक्रिया रंग दिखाने लगी है। सके चलते विश्वविद्यालय से जुडे़ कर्मचारियों, विद्यार्थियों, शिक्षकों संबद्ध कालेजों में 'कहीं खुशी कहीं गम' के नजारे दिखने लगे हैं।

विश्वविद्यालय के केन्द्रीय बनने के सफर में सबसे अहम बदलाव प्रवेश प्रक्रिया में होने जा रहा है। केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एन.एस. गजभिए के मुताबिक नए शैक्षणिक सत्र में विद्यार्थियों को विश्वविद्यालय में प्रवेश लेने के लिए अखिल भारतीय स्तर की प्रतियोगी परीक्षा को पास करना होगा।
विश्वविद्यालय प्रशासन के इस निर्णय की खबर लगते ही डा. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय से संबद्ध 146 निजी व शासकीय महाविद्यालयों के प्रबंधन में खलबली मच गई है। विश्वविद्यालय से संबद्ध कालेजों के संचालकों में से एक स्वामी विवेकानंद महाविद्यालय के संचालक अनिल तिवारी का कहना है कि अगर प्रवेश की परीक्षा अखिल भारतीय स्तर पर आयोजित की जाएगी तो इसे पास कर पाना बुंदेलखंड के ग्रामीण अंचलों के छात्र छात्राओं के लिए आसान नहीं होगा और वे प्रवेश से वंचित रह जाएंगे। उन्होंने कहा कि अभी तक प्रवेश प्रक्रिया के सिलसिले में विश्वविद्यालय ने कालेजों को कोई निर्देश जारी नहीं किए हैं। ऐसे में नए शिक्षण सत्र के विलंब से शुरू होने के हालात बन सकते हैं।
दूसरी ओर विश्वविद्यालय प्रशासन प्रवेश प्रक्रिया के मामले में अपने इरादे साफ कर चुका है। वह इस मामले में कोई भी बात सुनने को तैयार नहीं है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस मामले में संबद्ध महाविद्यालयों के प्राचायरें से चर्चा के लिए 17 अप्रैल की तारीख तय की है।
विश्वविद्यालय प्रशासन ने यह भी संकेत दिए हैं कि केन्द्रीय विश्वविद्यालय के मापदंडों के मुताबिक प्रशिक्षित नियमित स्टाफ, गुणात्मक शिक्षा व बुनियादी सुविधाएं मुहैया नहीं कराने वाले कालेजों की विश्वविद्यालय से संबद्धता समाप्त की जा सकती है।
इसके अलावा डा. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय के शिक्षकों व कर्मचारियों में इस बात को लेकर काफी खुशी देखी जा रही है कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने उन्हें छठे केन्द्रीय वेतनमान और 15 जनवरी से 31 मार्च तक केन्द्रीय विश्वविद्यालय के मुताबिक ही वेतन दिए जाने का आदेश जारी कर दिया है।
विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी प्रो. अखिलेश्वर प्रसाद दुबे ने बताया कि इस आदेश के मुताबिक विश्वविद्यालय के शिक्षकों व कर्मचारियों को छठे केन्द्रीय वेतनमान व बढे़ हुए वेतन का 40 फीसदी अग्रिम भुगतान दिया जाएगा। लेकिन बढे़ हुए वेतन की खुशी में झूमते शिक्षकों को विश्वविद्यालय प्रशासन ने यह भी संकेत दिए हैं कि अगर वे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने की कसौटी पर खरे नहीं उतरेंगे तो उनको पदोन्नत भी किया जा सकता है। बताया गया है कि केन्द्रीय विश्वविद्यालय के नियमों के मुताबिक, शिक्षकों द्वारा पेश किए जाने वाले शोध पत्रों व विद्यार्थियों द्वारा शिक्षकों की अध्यापन की तकनीक व ज्ञान के स्तर के बारे में की गई टिप्पणियों को शिक्षकों को पदोन्नति व वेतन वृद्धि देने के बारे में विचार के दौरान काफी अहमियत दी जाती है।
डा. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय में अध्ययन कर रहे विद्यार्थियों के लिए अब तक पीएचडी की डिग्री लेना काफी आसान रहता था। लेकिन इसके केन्द्रीय विश्वविद्यालय में तब्दील होने के बाद विद्यार्थी विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा तय किए गए मापदंडों के मुताबिक ही शोध की उपाधि हासिल कर पाएंगे।
इसी सिलसिले में सागर केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति ने हाल ही में एक आदेश जारी कर शोध कार्यो के नए पंजीयन पर रोक लगा दी है। अब नए पंजीयन केन्द्रीय विश्वविद्यालय के नियमों के मुताबिक ही हो सकेंगे।

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