आगामी शिक्षा सत्र से देश भर के कृषि विश्वविद्यालयों में नये पाठ्यक्रम को समान रूप से लागू किया जायेगा, जिसकी तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। राष्ट्रीय पाठ्यक्रम समिति के तैयार मसौदे में नैनो, बायो टेक्नोलाजी और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर के विषयों को खास महत्व दिया गया है। मसौदे पर अंतिम मुहर लगाने के लिए राजधानी दिल्ली में कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपतियों का सम्मेलन आयोजित किया गया है।
कृषि विश्वविद्यालयों में एक जुलाई से शुरू होने वाले शिक्षा सत्रों में नया पाठ्यक्रम लागू करना अनिवार्य होगा। लेकिन यह पाठ्यक्रम सिर्फ स्नातकोत्तर कक्षाओं के लिए होगा। दरअसल, शिक्षा व कृषि राज्य का विषय होने के नाते नया पाठ्यक्रम स्नातक कक्षाओं के लिए नहीं होगा, लेकिन उच्च शिक्षा को अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाने के लिए यह पहल की गई है। आजादी के बाद देश में पहली बार कृषि शिक्षा के पाठ्यक्रमों में भारी संशोधन किये जा रहे हैं। कुलपति सम्मेलन में चर्चा के लिए नये पाठ्यक्रम के मसौदे पर चर्चा को प्राथमिकता दी गई है।
पाठ्यक्रम के मसौदे में बायो टेक्नोलाजी, बायो इंजीनियरिंग, बायो इन्फारमेटिक्स, जेनोमिक्स, बायो-क्लाइमेटोलाजी, एग्री- बिजनेस मैनेजमेंट, एग्रीकल्चरल मार्केटिंग एंड ट्रेड, संसाधन संरक्षण, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, रिमोट सेंसिंग, कम्प्यूटर एप्लीकेशन और सीड टेक्नोलाजी जैसे विषयों को समाहित किया गया है। बदली वैश्विक व आर्थिक परिस्थितियों में इन नये क्षेत्रों को कृषि शिक्षा शामिल करने को प्राथमिकता दी गई है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय कृषि शिक्षा का पाठ्यक्रम काफी पुराना व कमजोर माना जाता है।
नये पाठ्यक्रम के मसौदे कई चरणों में लागू किये जायेंगे। डाक्टर जे.सी. कात्याल की अध्यक्षता में गठित 167 सदस्यीय पाठ्यक्रम समिति की सिफारिशों पर सभी विश्वविद्यालयों से राय मांगी गई थी। अब तक लगभग डेढ़ दर्जन विश्वविद्यालयों ने अपनी टिप्पणियां भेज दी हैं। बाकी जगहों की प्रतिक्रिया अगले सप्ताह होने वाले सम्मेलन में आ जाएगी। पाठ्यक्रम तैयार करने और इसे लागू करने पर कई सौ करोड़ रुपये खर्च होंगे।
कृषि विश्वविद्यालयों में एक जुलाई से शुरू होने वाले शिक्षा सत्रों में नया पाठ्यक्रम लागू करना अनिवार्य होगा। लेकिन यह पाठ्यक्रम सिर्फ स्नातकोत्तर कक्षाओं के लिए होगा। दरअसल, शिक्षा व कृषि राज्य का विषय होने के नाते नया पाठ्यक्रम स्नातक कक्षाओं के लिए नहीं होगा, लेकिन उच्च शिक्षा को अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाने के लिए यह पहल की गई है। आजादी के बाद देश में पहली बार कृषि शिक्षा के पाठ्यक्रमों में भारी संशोधन किये जा रहे हैं। कुलपति सम्मेलन में चर्चा के लिए नये पाठ्यक्रम के मसौदे पर चर्चा को प्राथमिकता दी गई है।
पाठ्यक्रम के मसौदे में बायो टेक्नोलाजी, बायो इंजीनियरिंग, बायो इन्फारमेटिक्स, जेनोमिक्स, बायो-क्लाइमेटोलाजी, एग्री- बिजनेस मैनेजमेंट, एग्रीकल्चरल मार्केटिंग एंड ट्रेड, संसाधन संरक्षण, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, रिमोट सेंसिंग, कम्प्यूटर एप्लीकेशन और सीड टेक्नोलाजी जैसे विषयों को समाहित किया गया है। बदली वैश्विक व आर्थिक परिस्थितियों में इन नये क्षेत्रों को कृषि शिक्षा शामिल करने को प्राथमिकता दी गई है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय कृषि शिक्षा का पाठ्यक्रम काफी पुराना व कमजोर माना जाता है।
नये पाठ्यक्रम के मसौदे कई चरणों में लागू किये जायेंगे। डाक्टर जे.सी. कात्याल की अध्यक्षता में गठित 167 सदस्यीय पाठ्यक्रम समिति की सिफारिशों पर सभी विश्वविद्यालयों से राय मांगी गई थी। अब तक लगभग डेढ़ दर्जन विश्वविद्यालयों ने अपनी टिप्पणियां भेज दी हैं। बाकी जगहों की प्रतिक्रिया अगले सप्ताह होने वाले सम्मेलन में आ जाएगी। पाठ्यक्रम तैयार करने और इसे लागू करने पर कई सौ करोड़ रुपये खर्च होंगे।
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