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Sunday, February 8, 2009

उंचा लक्ष्य दिलाता है उंची सफलता...

लक्ष्य निर्धारित करना है, तो बड़ा करें। आपका लक्ष्य जितना बड़ा होगा। आपके काम करने का दायरा भी उसी के अनुसार व्यापक होता जाएगा। किसी ने सच ही कहा है कि सूर्य को पाने की चाहत रखोगे तो सूर्य ना मिले, पर चांद-सितारे तो मिल ही जाएंगे। ऐसे में यह स्वाभाविक है कि बड़ी सफलता केलिए हमारा लक्ष्य भी बड़ा होना चाहिए। कुछ ऐसे तरीके हैं, जिन्हें अपनाने के बाद कठिन से कठिन मंजिल भी आसान लगती है। जरूरत है केवल कोशिशों को लगातार जारी रखने की। आइये देखें सक्सेस के पांच सटीक मंत्र कौन-कौन से हैं।
पहली बात आपने जो भी लक्ष्य देखा है, उसे कागज पर लिखकर दीवार पर चिपका दें। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि ये आपके ख्वाब हैं या फिर आपकी सोच। इन्हें हमेशा अपने सामने रखें। हां, यह जरूर ध्यान रखें कि लक्ष्य अर्थपूर्ण होने के साथ ही ऐसा भी हो, जिसे पूर्ण किया जा सके। इसका एक अन्य लाभ भी है। आपका मन कभी भी रास्ते से नहीं भटकेगा। वैसे, आप इस तरह के उपाय हर दिन के कार्य के लिए भी कर सकते हैं।
दूसरी बात
कहते हैं कि स्वस्थ तन से ही स्वस्थ मन होता है। इसलिए अपने स्वास्थ्य पर अवश्य ध्यान दें। इसके लिए ना ही आपको अधिक परेशान होने की जरूरत है और ना ही कई दिनों तक उपवास रखने की। ध्यान केवल यह रखना है कि हर दिन की दिनचर्या आपने लिख ली है। इसमें आपने क्या घर में खाया? क्या खरीद कर खाया? दोस्तों ने कितना खिलाया या चाय पिलाया। इस नियम को अपनाने से आप अनहेल्दी फूड की ओर नहीं झुकेंगे और आपकी स्वास्थ्य भी ठीक रहेगी।
तीसरी बात
आपके पास दो तरह के लक्ष्य होते हैं। एक तो हर दिन का छोटा काम, जिन्हें आप उसी दिन पूर्ण करते हैं। दूसरा, बड़ा लक्ष्य, जिसे पूर्ण करने के प्रयास आपको लगातार करने होते हैं। इसलिए आपकी कोशिश यह होनी चाहिए कि आपका हर काम आपके जीवन के मुख्य लक्ष्य की ओर ही ले जाए। अगर ऐसा नहीं है, तो आपको योजना पर विचार करने की जरूरत है। जब आप खाली हों, तो इस पर अवश्य विचार करें कि आपने मूल लक्ष्य को पाने का कितना प्रयास किया।
चौथी बात
अंग्रेजी में कहा गया है कि यू कांट गो इन पास्ट, बट यू केन मेक योर फ्यूचर। इसलिए पिछली विफलताओं पर पछताने से कोई फायदा नहीं होता। हां, उनसे सीख जरूर ले सकते हैं। आप यह सोचकर दुखी ना हों कि आज जिस स्थिति में हैं, वहां आपको नहीं होना चाहिए था। पीछे की दुर्घटना, उदासी के पल या दुर्भाग्य के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए। केवल नई-नई बातों, यादों, अनुभवों और खुशियों के लिए ही जगह रखें।
पांचवी बात
अक्सर लोग अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हैं। अपनी कुछ गलतियों पर हंसते हैं और दुखी भी होते हैं। ऐसे में बातों से बाहर निकलने की जरूरत है। सच्चाई यह है कि हम अपनी जिंदगी में कई भूल करते हैं, जिन्हें याद कर हम अपना काफी समय पछतावा में ही गंवा देते हैं। पर इन सब बातों के बीच याद रखने वाली चीज यह है कि जिन लोगों ने विपरीत परिस्थितियों में विजय पाई, उनका तरीका क्या था?

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