सबसे लोकप्रिय इंटरनेट सर्च इंजन गूगल ने उच्च शिक्षा और अनुसंधान से जुड़ी सामग्रियों के लिए एक नया 'सर्च टूल' शुरू किया है।गूगल स्कॉलर नामक इस सर्च टूल को अभी परीक्षण के तौर पर शुरू किया गया है.
अब तक एकेडेमिक ज़रूरतों को प्राथमिकता देने वाला कोई सर्च इंजन नहीं था।गूगल स्कॉलर रिसर्च पेपर, टेकनिकल रिपोर्ट, विश्वविद्यालय की वेबसाइटों और किताबों की तह में जाकर जानकारियाँ जुटाता है.
गूगल की यह नई सुविधा भी मुफ़्त उपलब्ध कराई गई है।इसमें चिकित्सा, भौतिकी, अर्थशास्त्र और कंप्यूटर विज्ञान समेत सारे शैक्षिक खंडों को समेटने की कोशिश की गई है। गूगल स्कॉलर के सर्च रिज़ल्ट की रैंकिंग प्रासंगिता के आधार पर की जाती है, न कि इस आधार पर कि किस पेज को कितने लोगों ने देखा है.
विशेष व्यवस्था
इसके लिए गूगल ने अनेक एकेडेमिक प्रकाशकों से क़रार किया है ताकि वैसी सामग्री भी उपलब्ध कराई जा सके जो आमतौर पर मुफ़्त या सबके लिए उपलब्ध नहीं थीं। आमतौर पर ऐसी चीज़ें गूगल जैसे सर्च इंजन की परिधि से बाहर रहती थीं। मतलब आम लोगों को इनकी भनक भी नहीं लग पाती थी. डैनी सुलिवन हालाँकि अब भी अनेक एकेडेमिक प्रकाशन शुल्क के साथ उपलब्ध होंगे, लेकिन उनका सारांश मुफ़्त उपलब्ध रहेगा. सर्चइंजनवॉच के संपादक डैनी सुलिवन कहते हैं, "आमतौर पर ऐसी चीज़ें गूगल जैसे सर्च इंजन की परिधि से बाहर रहती थीं. मतलब आम लोगों को इनकी भनक भी नहीं लग पाती थी." उनके अनुसार याहू और अन्य प्रमुख सर्च इंजन भी गूगल की तरह एकेडेमिक सर्च टूल विकसित करने को बाध्य होंगे.
गूगल की यह नई सुविधा भी मुफ़्त उपलब्ध कराई गई है।इसमें चिकित्सा, भौतिकी, अर्थशास्त्र और कंप्यूटर विज्ञान समेत सारे शैक्षिक खंडों को समेटने की कोशिश की गई है। गूगल स्कॉलर के सर्च रिज़ल्ट की रैंकिंग प्रासंगिता के आधार पर की जाती है, न कि इस आधार पर कि किस पेज को कितने लोगों ने देखा है.
विशेष व्यवस्था
इसके लिए गूगल ने अनेक एकेडेमिक प्रकाशकों से क़रार किया है ताकि वैसी सामग्री भी उपलब्ध कराई जा सके जो आमतौर पर मुफ़्त या सबके लिए उपलब्ध नहीं थीं। आमतौर पर ऐसी चीज़ें गूगल जैसे सर्च इंजन की परिधि से बाहर रहती थीं। मतलब आम लोगों को इनकी भनक भी नहीं लग पाती थी. डैनी सुलिवन हालाँकि अब भी अनेक एकेडेमिक प्रकाशन शुल्क के साथ उपलब्ध होंगे, लेकिन उनका सारांश मुफ़्त उपलब्ध रहेगा. सर्चइंजनवॉच के संपादक डैनी सुलिवन कहते हैं, "आमतौर पर ऐसी चीज़ें गूगल जैसे सर्च इंजन की परिधि से बाहर रहती थीं. मतलब आम लोगों को इनकी भनक भी नहीं लग पाती थी." उनके अनुसार याहू और अन्य प्रमुख सर्च इंजन भी गूगल की तरह एकेडेमिक सर्च टूल विकसित करने को बाध्य होंगे.
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